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कोलकाता में आरजी कर अस्पताल के आसपास 7 दिनों के लिए धारा 163 लागू, पूर्व प्रिंसिपल संदीप घोष से 13 घंटे चली CBI पूछताछ – Section 163 imposed for 7 days around RG Kar Hospital in Kolkata CBI interrogation of former principal Sandeep Ghosh lasted for 13 hours ntc

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कोलकाता के आरजी कर अस्पताल में ट्रेनी डॉक्टर के साथ रेप और हत्या मामले की जांच सीबीआई कर रही है. शनिवार को सीबीआई ने इस सिलसिले में अस्पताल के पूर्व प्रिंसिपल से करीब 13 घंटे तक पूछताछ की. बीते दिनों देर रात भीड़ द्वारा अस्पताल पर किए गए हमले को देखते हुए पुलिस ने कानून व्यवस्था बनाए रखने के लिए आरजी कर अस्पताल के आसपास बीएनएस की धारा 163 लागू कर दी है.

कोलकाता पुलिस ने गैरकानूनी तौर पर जमा होने वाली भीड़ को रोकने के लिए 18.8.2024 से सात दिनों के लिए आरजी कर मेडिकल कॉलेज और अस्पताल के आसपास बीएनएसएस (भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता, 2023) की धारा 163 (जो पहले सीआरपीसी की धारा 144 थी) लागू कर दी है.

संदीप घोष से 13 घंटे की पूछताछ

सीबीआई ने शनिवार को आरजी कर अस्पताल के पूर्व प्रिंसिपल डॉ. संदीप घोष से लंबी पूछताछ की. संदीप घोष सीबीआई कार्यालय से 13 घंटे बाद बाहर निकले. वहीं सीबीआई ने अब आरोपी संजय राय का साइकोलॉजिकल टेस्ट करने का फैसला किया है. इसके लिए दिल्ली से CFSL (केंद्रीय फोरेंसिक विज्ञान प्रयोगशाला) की टीम शनिवार को कोलकाता पहुंची. टीम आरोपी संजय रॉय का टेस्ट करेगी. 

इस टेस्ट के जरिए CBI की टीम आरोपी के बारे में जानने की कोशिश करेगी और उसकी मनोदशा को समझने का प्रयास किया जाएगा. कोलकाता पुलिस ने वारदात के दूसरे दिन ही टूटे हुए हेडफोन और सीसीटीवी से आरोपी की पहचान कर ली थी और फिर संजय राय को गिरफ्तार कर लिया था. आरोपी ने अपना गुनाह कबूल लिया है.

IMA ने पीएम मोदी को लिखी चिट्ठी

इस घटना के विरोध में देशभर में प्रदर्शन हो रहे हैं और लोग पीड़िता के लिए न्याय की मांग कर रहे हैं. बता दें कि कोलकाता के आरजी कर मेडिकल कॉलेज में ट्रेनी महिला डॉक्टर से दरिंदगी के बाद हत्या के मामले में इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (IMA) ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को लेटर लिखा है. 

IMA ने अपने पत्र में लिखा कि ‘9 अगस्त को आरजी कर मेडिकल कॉलेज की पोस्ट ग्रेजुएट छात्रा के साथ ड्यूटी के दौरान बेरहमी से रेप के बाद हत्या कर दी गई. इस घटना ने मेडिकल बिरादरी और पूरे देश को झकझोर कर रख दिया है. 15 अगस्त को अस्पताल में भीड़ ने तोड़फोड़ की, जिसमें घटनास्थल समेत अस्पताल के कई हिस्सों में तोड़फोड़ हुई. पेशे की प्रकृति के कारण डॉक्टर, विशेष रूप से महिला डॉक्टर हिंसा की चपेट में आती हैं. अस्पतालों और परिसरों के अंदर डॉक्टरों की सुरक्षा सुनिश्चित करना अधिकारियों का काम है. आरजी कर मेडिकल कॉलेज में हुई घटना ने अस्पताल में हिंसा को सामने ला दिया है.’

सोशल मीडिया से तस्वीर हटाने की मांग

मामले में मृतक की तस्वीर, नाम और पहचान सोशल मीडिया के विभिन्न प्लेटफॉर्म्स से हटाने की गुहार लगाते हुए सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका दाखिल की गई है. याचिका में कहा गया है कि मृत डॉक्टर की तस्वीर और उसके परिवार की पहचान उजागर करने से परिवार की प्रतिष्ठा प्रभावित हो रही है. याचिका में सोशल मीडिया के लगभग सभी बड़े प्लेटफॉर्म्स को पक्षकार बनाया गया है. सुप्रीम कोर्ट में 20 अगस्त को इस अर्जी पर सुनवाई होगी.

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