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क्या कोलकाता के अस्पताल में हिंसा के पीछे सबूत मिटाने की साजिश थी? आधी रात के हमले का एक-एक सच – Hooliganism of miscreants attacks on protesters and vandalism What happened at midnight in Kolkata hospital on rape murder ntc

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पश्चिम बंगाल में ट्रेनी महिला डॉक्टर से रेप के बाद हत्या किए जाने की घटना से नाराजगी है. इस बीच, बुधवार की आधी रात कोलकाता के आरजी कर मेडिकल कॉलेज में ऐसी घटना हुई, जिसने डॉक्टर्स से लेकर मरीजों और आम लोगों तक की जिंदगी को खतरे में डाल दिया. प्रदर्शनकारियों के भेष में आए अराजक तत्व देर रात अस्पताल में घुस गए. एक घंटे तक अस्पताल में तांडव मचाया. पुलिस के बैरिकेड तोड़ दिए और कैंपस में तोड़फोड़ की और ड्यूटी स्टाफ से भी मारपीट की. अस्पताल के दरवाजे, खिड़कियां, बेड, मेडिकल उपकरण… जो भी सामने आया उसे बर्बाद करते चले गए.

सवाल उठ रहा है कि आखिर अस्पताल पर ये भीड़ का हमला था या सबूत मिटाने की साजिश? आखिर एक घंटे तक हुड़दंग की छूट किसने दी. ये कौन लोग थे? घटना क्यों हुई? कौन इसमें संलिप्त हैं? प्रदर्शनकारी किन मांगों को लेकर अस्पताल के बाहर पहुंचे थे? हालांकि, पुलिस का कहना है कि उपद्रवियों के बारे में पता किया जा रहा है. आइए जानते हैं अस्पताल में बवाल की पूरी घटना…

अस्पताल में तोड़फोड़ पर सियासत भी शुरू हो गई है. टीएमसी और बीजेपी ने एक-दूसरे पर आरोप लगाने शुरू कर दिए हैं. बीजेपी ने टीएमसी पर गुंडागर्दी का आरोप लगाया है तो टीएमसी सांसद अभिषेक बनर्जी ने अस्पताल पर हमला करने वालों की पहचान कर एक्शन लेने की बात कही है.

दरअसल, 9 अगस्त को कोलकाता के आरजी कर मेडिकल कॉलेज और अस्पताल में 31 साल की महिला रेजिडेंट डॉक्टर का शव बरामद हुआ था. शरीर के कई अंगों से खून बह रहा था. गर्दन की हड्डी भी टूटी हुई थी. सामने आया कि ट्रेनी डॉक्टर की रेप के बाद हत्या की गई है. पुलिस ने मामले में जांच की और संजय नाम के आरोपी को गिरफ्तार कर लिया. संजय 14 दिन की पुलिस कस्टडी में है. हालांकि डॉक्टर्स का गुस्सा थमा नहीं है और वो हड़ताल पर बने हुए हैं. घटना के 5 दिन बाद जब ये केस हाईकोर्ट पहुंचा तो कोर्ट ने मामले की जांच केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) की सौंप दी. फिलहाल, सीबीआई की एक टीम कोलकाता पहुंच गई है.

कोलकाता मर्डर केस
अस्पताल में प्रदर्शनकारी घुस गए और पुलिस बेरिकेड तोड़ दिए. (फोटो- पीटीआई)

कितने लोग अस्पताल में घुसे थे?

पुलिस के अनुसार, प्रदर्शनकारियों के भेष में करीब 40 उपद्रवियों ने अस्पताल परिसर में प्रवेश किया. संपत्ति को नुकसान पहुंचाया और वहां मौजूद पुलिस कर्मियों पर पथराव किया. भीड़ को तितर-बितर करने के लिए पुलिस को आंसू गैस के गोले छोड़ने पड़े. पुलिस ने बताया कि ये उपद्रवी लाठी-डंडे, ईंटें और रॉड लेकर आए थे. उपद्रवियों ने इलाके और उसके आसपास के कई सीसीटीवी कैमरों को नष्ट कर दिया और उस मंच पर भी तोड़फोड़ की, जहां जूनियर डॉक्टर विरोध-प्रदर्शन और हड़ताल पर बैठे थे. घटना में एक पुलिस वाहन पलट गया और वहां खड़े कई दोपहिया वाहन भी क्षतिग्रस्त हो गए. कुछ पुलिस अधिकारियों को चोटें आईं हैं. अस्पताल के कर्मचारियों ने क्षतिग्रस्त इमरजेंसी वार्ड की सफाई शुरू कर दी है.

आधी रात को क्यों अस्पताल के बाहर पहुंचे प्रदर्शनकारी? 

यह घटना उस समय घटी, जब प्रदर्शनकारी (ज्यादातर महिलाएं) ‘रिक्लेम द नाइट’ अभियान के तहत आधी रात को सड़कों पर उतरे और अस्पताल परिसर के बाहर पहुंच गए. उसके स्थिति हिंसक हो गई और उपद्रवी जबरन अस्पताल में घुस गई. दरअसल, कोलकाता में बुधवार रात महिलाओं का प्रदर्शन बुलाया गया था. इस कैंपेन को ‘रिक्लेम द नाइट’ नाम दिया गया. उद्देश्य था कि महिलाएं प्रदर्शन करेंगी और अपनी आजादी और सुरक्षा की मांग करेंगी. 14 अगस्त की रात 11 बजकर 55 मिनट पर कैंपेन की शुरुआत हुई और फिर इस प्रदर्शन में ना सिर्फ कोलकाता, बल्कि कई अन्य शहर और कस्बों में भी लोग हाथों में तख्तियां और बैनर लेकर सड़क पर उतरे. ‘रिक्लेम द नाइट’ कैंपेन को सोशल मीडिया के जरिए गति दी गई. बाद में करीब दो बजे कोलकाता पुलिस कमिश्नर विनीत गोयल मौके पर पहुंचे.

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भीड़ ने अस्पताल में घुसकर क्या किया?

खबर आई कि अराजकतत्वों ने अस्पताल की चौथी मंजिल पर स्थित उस सेमिनार हॉल में भी तोड़फोड़ की है, जहां महिला डॉक्टर के साथ वारदात को अंजाम दिया गया था. हालांकि, कोलकाता पुलिस ने इसका खंडन किया है. पुलिस ने एक बयान में कहा, क्राइम ऑफ सीन सेमिनार रूम है और इसे टच नहीं किया गया है. गलत खबरें ना फैलाएं. हम अफवाह फैलाने पर कानूनी कार्रवाई करेंगे. अस्पताल में उपद्रवियों ने किस तरह तांडव मचाया, उसे तस्वीरें बयां कर रही हैं. अस्पताल के अंदर चारों तरफ चिकित्सकीय उपकरण पड़े हैं. मरीजों के टूटे-फूटे बेड और फर्श पर दवाएं पड़ी हैं. लोगों के बिखरे पड़े जूते-चप्पलों बता रहे हैं कि यहां कैसी भगदड़ मची होगी.

टूटे बेरिकेड और कुर्सियां पड़ी हैं. अस्पताल के दरवाजे, खिड़की तक उखाड़ दिए गए. अस्पताल के बाहर खड़ी पुलिस की गाड़ियों में भी तोड़फोड़ की गई है. अज्ञात प्रदर्शनकारियों ने अस्पताल के बाहर भी हुडदंग मचाया है. बाहर जहां घटना के खिलाफ रेजिडेंट डॉक्टर्स प्रदर्शन कर रहे थे, वहां की कुर्सियों और बैनर-टेंट को भी फाड़ दिया. वहां लोगों के बैग, जूते-चप्पल और कई जरूरी समान बिखरे पड़े मिले.

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प्रदर्शनकारी डॉक्टर्स से क्या नाराजगी?

बुधवार रात की घटना के बाद रेजिडेंट डॉक्टर्स का प्रोटेस्ट थम गया था. लेकिन गुरुवार दोपहर एक बार फिर डॉक्टर आरजी कर मेडिकल कॉलेज के अस्थाई शिविर में धरने पर बैठ गए हैं. यहां पर डॉक्टर जस्टिस की मांग कर रहे हैं. कल रात जब उपद्रवी अस्पताल में घुसे थे तो उन्होंने सबसे पहले धरनास्थल का स्थाई शिविर तोड़ा था और डॉक्टर्स को भदेड़ भगाया था. कुछ डॉक्टर्स के साथ मारपीट किए जाने की खबरें हैं. उपद्रवियों को हिंसक देखकर डॉक्टर जान बचाने के लिए छिप गए थे. स्थाई शिविर को तोड़ दिया गया था. सुबह भी तोड़फोड़ की गई. डॉक्टर्स का कहना है कि पुलिस को यह पता लगाना चाहिए कि उपद्रवी कैसे अंदर घुसे और क्यों इमरजेंसी में तोड़फोड़ की और क्यों हमारे साथियों से मारपीट की?

भीड़ अंदर कैसे घुसी… क्या इंटेलीजेंस फेल हो गया?

प्रदर्शनकारियों डॉक्टर्स ने घटना पर पुलिस की कार्यप्रणाली पर सवाल उठाए हैं. एक प्रदर्शनकारी मेडिकल स्टूडेंट ने कहा, रात में जब उपद्रवी अस्पताल में घुसे, तब यहां हमारे साथी प्रदर्शन कर रहे थे. हमले के बाद प्रदर्शनकारी डॉक्टर्स को अपनी जान बचाने के लिए इधर-उधर भागना पड़ा. जो हुआ, वो बहुत गलत हुआ है. लेकिन इस घटना को लेकर पुलिस से पूछा जाना चाहिए. इतनी भीड़ अस्पताल के अंदर कैसे घुस गई? उस भीड़ को अंदर कैसे जाने दिया गया? दो दिन पहले भी एक इंसीडेंट हुआ था, तब भी पुलिस की मौजूदगी थी. हमारे सीनियर्स पुलिस से आग्रह करते रह गए. भीड़ ने तब भी अस्पताल में घुसने की कोशिश की थी. ठीक उसी तरह की घटना बुधवार रात में हुई है. हम कैसे मान लें कि पुलिस को जानकारी नहीं थी या इंटेलीजेंस सर्विस ठीक नहीं है? सिर्फ दिनभर खड़ा रहने से कुछ नहीं होता है.

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कहां से आई भीड़ और कौन लोग शामिल थे?

एक अन्य मेडिकल स्टूडेंट ने कहा, पुलिस की मौजूदगी में देर रात पूरी घटना हुई है. पुलिस को हर चीज मालूम होना चाहिए. उसे जवाब देना पड़ेगा. हमारे साथियों के साथ मारपीट की गई है. पूरी इमरजेंसी खत्म कर दी है. ये बाहर से आई भीड़ का कृत्य है. ये एक इंटेंशन लेकर आई थी. पुलिस को सवालों के जवाब तलाशने चाहिए. चूंकि, उपद्रवियों ने अस्पताल में जहां-जहां सीसीटीवी कैमरे लगे थे, उन्हें तोड़ दिया है, ताकि हमलावरों की पहचान ना हो सके और कोई साक्ष्य ना जुटाए जा सकें. हालांकि, जो सीसीटीवी बाहर लगे थे, उन्हें पुलिस ने रिकवर कर लिया और फुटेज के आधार पर 9 लोगों को गिरफ्तार कर लिया है. स्थानीय डॉक्टर्स का कहना था कि हम लोग डर के साये में रह रहे हैं. हम पर कभी भी हमला हो सकता है. सीबीआई जांच कर रही है. कुछ सोचने की स्थिति में नहीं है. हमें समय दीजिए. हम सुरक्षा मांग रहे हैं.

आरजी कर मेडिकल कॉलेज के एक ट्रेनी डॉक्टर हसन मुश्ताक ने बताया, हम प्रोटेस्ट साइट से रात 11 बजे निकलने वाले थे. लेकिन, कैंपस के बाहर लोगों का एक समूह था, वे नारा लगा रहे थे- ‘We want Justice’, लेकिन वे वहां से जा नहीं रहे थे. उसके बाद भीड़ उग्र हो गई और वे कैंपस में घुसने की कोशिश कर रहे थे. अचानक वे भीतर घुसे और तोड़फोड़ करना शुरू कर दिया. हमने पहले ही अपनी महिला टीम को वहां से चले जाने के लिए कह दिया था. उनके जाते ही भीड़ ने बैरिकेड तोड़ दिया और अंदर घुस गई और हमें अपनी जान बचाने के लिए वहां से भागना पड़ा.

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प्रत्यक्षदर्शी गार्ड ने क्या बताया…

अस्पताल के प्रणव दास गार्ड कहते हैं कि उनकी ड्यूटी मैन गेट पर थी. रात में अचानक करीब 5 हजार की भीड़ आ गई. गेट तोड़ दिया. हम लोग जान बचाकर भागे. पुलिस भी मौजूद थी. उपद्रवियों ने अस्पताल में जो देखा, उसे तोड़ दिया. ये लोग प्लान करके आए थे. ये लोग कौन थे, ये पता नहीं चल सका है. जितने कैमरे लगे थे, वो तोड़ दिए और हंगामा किया. मारपीट की. कुछ भी सामान नहीं छोड़ा.

घटना से मेडिकल स्टाफ में क्यों नाराजगी?

आरजी कर मेडिकल कॉलेज की नर्सों ने गुरुवार सुबह तोड़फोड़ की घटना का विरोध किया है और परिसर में उचित सुरक्षा की मांग की. प्रदर्शनकारी नर्सों का कहना था कि अस्पताल के अंदर ऐसी गुंडागर्दी स्वीकार्य नहीं है. प्रदर्शनकारी डॉक्टर्स का कहना था, गुंडों ने परिसर में प्रवेश किया और आंदोलनकारी डॉक्टरों की पिटाई की. यह हमारे मनोबल को तोड़ने की कोशिश है, ताकि हम विरोध से पीछे हट जाएं, लेकिन ऐसी घटनाओं ने अंत तक लड़ने के हमारे संकल्प को मजबूत किया है. उन्होंने आरोप लगाया कि पुलिस कर्मियों की मौजूदगी के बावजूद भी बर्बरता की गई. अस्पताल में पुलिस चौकी में भी तोड़फोड़ की गई.

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पुलिस कमिश्नर क्या बोले?

कोलकाता पुलिस कमिश्नर विनीत गोयल ने घटना के बाद मौका मुआयना किया. उन्होंने कहा, हम मामले की जांच कर रहे हैं. उन्होंने यह भी कहा कि गलत मीडिया कैंपेन ने स्थिति को खराब कर दिया है. उन्होंने कहा, पुलिस ने इस मामले को सुलझाने के लिए क्या नहीं किया है? लेकिन एक दुर्भावनापूर्ण मीडिया कैंपेन चल रहा है, जिसके कारण कोलकाता पुलिस ने लोगों का भरोसा खोया है. हमने कभी नहीं कहा कि सिर्फ एक ही व्यक्ति (आरोपी) है. हमने कहा है कि हम वैज्ञानिक सबूतों का इंतजार कर रहे हैं और इसमें समय लगता है. सिर्फ अफवाहों के आधार पर मैं एक युवा पीजी स्टूडेंट को गिरफ्तार नहीं कर सकता. मीडिया का बहुत दबाव है. मैं इस बात को लेकर बहुत स्पष्ट हूं कि हमने वही किया है जो सही है. एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ने सुबह कहा कि उन्होंने अस्पताल के बाहर अतिरिक्त कर्मियों को तैनात किया है.

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बीजेपी बोली- टीएमसी ने गुंडे भेजे थे

हमले पर बीजेपी नेता शुभेंदु अधिकारी ने कहा, ममता बनर्जी ने अपने टीएमसी गुंडों को आरजी कर मेडिकल कॉलेज और अस्पताल के पास अराजनीतिक विरोध रैली में भेजा है. वह सोचती हैं कि वो पूरी दुनिया में सबसे चतुर इंसान हैं और लोग इस चालाकी को समझ नहीं पाएंगे कि प्रदर्शनकारियों के रूप में दिखाई देने वाले उनके गुंडे भीड़ के साथ मिल जाएंगे और आरजी कर मेडिकल कॉलेज और अस्पताल के अंदर बर्बरता को अंजाम देंगे. उन्हें पुलिस द्वारा सुरक्षित रास्ता दिया गया, जो या तो भाग गए या दूसरी तरफ देखने लगे ताकि ये गुंडे अस्पताल परिसर में प्रवेश कर सकें और महत्वपूर्ण सबूत वाले क्षेत्रों को नष्ट कर दें ताकि इसे सीबीआई द्वारा न उठाया जा सके.

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बीजेपी ने एक्स पर पोस्ट किया और लिखा, जब पश्चिम बंगाल के शांतिपूर्ण नागरिक सड़कों पर उतरे तो शातिर बदमाशों ने पूर्व नियोजित हमले में आरजी कर अस्पताल में तोड़फोड़ की, जिससे अराजकता और चोटें आईं. इस क्रूर हमले के दौरान कोलकाता पुलिस कहां थी? छाया में छुपी हुई थी और नुकसान होने के बाद ही बाहर आई. यह कर्तव्य का घोर अपमान है. अपनी विफलता को स्वीकार करने के बजाय उनमें आंदोलन और मीडिया को बलि का बकरा बनाने का दुस्साहस है. वहीं, SUCI (कम्युनिस्ट) ने अस्पताल में बर्बरता के विरोध में 16 अगस्त को पश्चिम बंगाल में 12 घंटे की आम हड़ताल का आह्वान किया. पार्टी के राज्य सचिव चंडीदास भट्टाचार्य ने यह जानकारी दी है.

टीएमसी ने कहा, 24 घंटे में आरोपियों को पकड़ा जाए

तृणमूल कांग्रेस के महासचिव और सांसद अभिषेक बनर्जी ने कहा, मैंने कमिश्नर गोयल से बात की और उनसे यह सुनिश्चित करने का आग्रह किया कि आज की हिंसा के लिए जिम्मेदार प्रत्येक व्यक्ति की पहचान की जाए, उसे जवाबदेह ठहराया जाए और अगले 24 घंटों के भीतर कानून के दायरे में लाया जाए. भले ही वो किसी भी राजनीतिक दल से संबंध रखता हो. उन्होंने एक्स पर एक पोस्ट में कहा, आज रात आरजी कर में गुंडागर्दी और बर्बरता सभी स्वीकार्य सीमाओं को पार कर गई है. अभिषेक बनर्जी ने कहा, प्रदर्शनकारी डॉक्टरों की मांगें उचित हैं. उनकी सुरक्षा को प्राथमिकता दी जानी चाहिए.

अधीर रंजन बोले- ममता नहीं चाहतीं असलियत सामने आए

कांग्रेस नेता अधीर रंजन चौधरी ने कहा, कोलकाता पुलिस कमिश्नर खाली टाल-मटोल करते हैं. कमिश्नर दलाली कर रहे हैं, क्योंकि उनका प्रमोशन हुआ था. सीएम ममता हरसंभव प्रयास करेंगी कि असलियत सामने ना आए. पुलिस तो सीएम के इशारे पर काम करती है. एक व्यक्ति ने इस घटना को अंजाम नहीं दिया है. CM ममता तो तानाशाह हैं.

राज्यपाल बोले- सख्त एक्शन लेंगे

राज्यपाल सीवी आनंद बोस ने कहा, आप सभी को इंसाफ मिलेगा…मैं आपके साथ हूं. मेरे आंख-कान खुले हैं. हम राज्य में महिलाओं के खिलाफ अत्याचार की इजाजत नहीं देंगे. हम दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई करेंगे. अस्पताल में तोड़फोड़ की घटना से आरजी कर अस्पताल की प्रिंसिपल भी हैरान हैं. प्रिंसिपल डॉ. सुहरिता पॉल ने कहा, हमें नहीं पता  कल रात को किसने अटैक किया. क्या हुआ, कैसे हुआ- मुझे नहीं पता. इमरजेंसी वार्ड काम कर रहा है. मैं ये कहना चाहती हूं, वहां तोड़फोड़ हुई लेकिन वहां अभी काम चल रहा है. आजतक से बातचीत में पीड़िता के पिता ने इंसाफ की गुहार लगाई है. उन्होंने दोंषियों के लिए मौत की सजा दिए जाने मांग की है.

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