लगभग 2500 साल पहले मिस्र के राजा यानी फैरो अपने सपनों को बांचने के लिए बड़े-बड़े ज्योतिषी रखा करते थे। रोज सुबह उठते ही राजा उन्हें अपने सपनों के बारे में बताते। फिर ज्योतिषी उन सपनों का मतलब निकालते और इस तरह राजा की दिनचर्या और राजकाज की रूपरेखा तय होती। युद्ध में जाना है या नहीं, जनता से मिलना है या नहीं, राजा के सपनों के आधार पर इन मामलों के भी फैसले किए जाते थे। 19वीं सदी के अंत तक सपनों को धर्म, ज्योतिष और जादू-टोने से जोड़कर देखा जाता रहा। लेकिन 20वीं शताब्दी की शुरुआत में हुई कई मनोवैज्ञानिक रिसर्च के बाद यह धारणा बदली। सन् 1900 में जाने-माने मनोवैज्ञानिक सिगमंड फ्रायड ने बताया कि सपनों का सीधा संबंध हमारी पर्सनैलिटी और मेंटल वायरिंग से है। वास्तविक जिंदगी में हमारे साथ जो कुछ भी हो रहा होता है, सपने उसी हकीकत को बयां करते हैं। सपने को समझने से हल होंगी असल जिंदगी की समस्याएं सबसे पहले सिगमंड फ्रायड ने ही सपनों का साइंटिफिक आधार पर विश्लेषण शुरू किया। उन्होंने सपनों के बारे में एक किताब भी लिखी- ‘द इंटरप्रिटेशन ऑफ ड्रीम्स।’ इस किताब में फ्रायड ने बताया कि सपने भले ही रूमानी और झूठे लगते हों, लेकिन उनके मूल में कुछ-न-कुछ हकीकत छिपी रहती है। उन्होंने बताया कि विश्लेषण करके सपनों की तह तक पहुंचा जा सकता है और ऐसा करके वास्तविक जिंदगी की कई समस्याओं का समाधान भी ढूंढा जा सकता है। उदाहरण के लिए अगर किसी को सपने में डायनासोर या कोई भी खतरनाक जानवर दिखता है तो इसका मतलब है कि वह शख्स असल जिंदगी में किसी डर के साये में जी रहा है। उसका वही डर सपने में कुत्ता, भेड़़िया या शेर के रूप में सामने आता रहता है। यहां डरावनी चीजों के माध्यम से नींद के दौरान सपना उस शख्स के डर को जाहिर कर रहा होता है। इसी तरह कई बार सपने में किसी को खोने का डर, खुद को कहीं फंसे हुए पाना या छत से गिरने जैसी चीजें दिखाई देती हैं। ये सभी सपने कुछ-न-कुछ कहने की कोशिश करते हैं। नींद के चौथे चरण में दिमाग की सुनाई कहानियां है सपना सपनों के बारे में कई सवाल मन में उठते हैं। मसलन, सपने का मतलब क्या है, हम सपने क्यों और कब देखते हैं। साइकोलॉजी टुडे की एक रिपोर्ट के मुताबिक हमारा दिमाग 24 घंटे काम कर रहा होता है। वह एक मिनट के लिए भी आराम नहीं करता, नींद में भी नहीं। नींद के चौथे चरण यानी रैपिड आई मूवमेंट की स्थिति में दिमाग जो कहानियां बुनता है, उन्हीं में से कुछ कहानियां सपने के रूप में हमें याद रह जाती हैं। इसी को सपना देखना कहते हैं। यहां इस बात का ध्यान रखें कि नींद के स्थिति में दिमाग सिर्फ काल्पनिक कहानियां नहीं बुनता। कुछ सपने काल्पनिक लग सकते हैं, लेकिन उनकी जड़ में भी कहीं-न-कहीं असल जिंदगी की कोई हकीकत छिपी रहती है। तेज दिमाग वाले शख्स और बच्चों को आते ज्यादा सपने कुछ लोग सपना देखने को खराब नींद या अशांत मन से जोड़कर देखते हैं। डरावने सपने की स्थिति में यह बात सच भी हो सकती है। लेकिन सामान्य स्थिति में ज्यादा सपने आना अच्छी मेंटल कंडीशन, क्रिएटिव क्षमता और इमोशनल इंटेलिजेंस की निशानी है। बच्चे इमोशनल थिकिंग ज्यादा करते हैं। इस वजह से वे बड़ों के मुकाबले सपने भी ज्यादा देखते हैं। सपने किस तरह के आ रहे हैं, यह हमारी मेंटल और इमोशनल कंडीशन को दर्शाते हैं। मसलन, अगर रोज-रोज डरावने सपने आ रहे हों तो इसका मतलब यह हो सकता है कि वास्तवित जिंदगी में कोई उलझन अनसुलझी रही गई है, जो मन को डरा रही है। ये सपने कुछ कहते हैं, जानिए अपने सपनों के मायने सपनों के बारे में सिगमंड फ्रायड की रिसर्च को आगे बढ़ाते हुए कुछ मनोवैज्ञानिकों ने इसके मनोविश्लेषण की कोशिश शुरू की। हालांकि इनके 100% सही होने का दावा तो नहीं किया जा सकता है, मगर फिर भी अलग-अलग तरह के सपने एक हद तक हमारे मन की अनकही बातें बयां करते हैं।
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