“हमारा मानसिक स्वास्थ्य ही जीवन की सबसे बड़ी पूंजी है।” -दलाई लामा जीवन में सबसे मूल्यवान क्या है? रुपया, पैसा, बड़ा मकान, ताकत, रुतबा, रिश्ते, सफलता या कुछ और। दलाई लामा की मानें तो अच्छा मानसिक स्वास्थ्य रूपए-पैसे, घर-संपत्ति से ज्यादा मूल्यवान है। उसका भी एक कारण है क्योंकि अगर हम शारीरिक और मानसिक तौर पर स्वस्थ्य रहेंगे, तब ही ये सारी चीजें हासिल कर पाएंगे। सारे काम सही तरीके से कर पाएंगे। जीवन में अनुशासन सीखने, ध्यान करने और यहां तक कि सफलता के लिए भी हमारा मानसिक स्वास्थ्य बेहतर होना बहुत जरूरी है। गोल्डन स्लैम टेनिस चैंपियन सर्बिया के नोवाक जोकोविच की सफलता का राज भी यही है। चारों ग्रैंड स्लैम के साथ ओलिंपिक गोल्ड जीतने वाले टेनिस खिलाड़ी को गोल्डन स्लैम कहते हैं। टेनिस में उनके बेहतरीन प्रदर्शन का एक बड़ा कारण उनकी मेंटल स्ट्रेंथ है। वे अपने मानसिक स्वास्थ्य पर बहुत ध्यान देते हैं। नोवाक जोकोविच की माइंडफुल ब्रीदिंग हाल ही में एक इंटरव्यू में नोवाक जोकोविच से पूछा गया कि वह फोकस और सक्सेस यानी सफलता के लिए अपने दिमाग को कैसे ट्रेन करते हैं तो जवाब में जोकोविच ने कहा, “यह कोई ईश्वर का दिया तोहफा नहीं है। इसे काफी मेहनत से कमाना पड़ता है।” जोकोविच ने कहा कि इसके लिए वह माइंडफुल ब्रीदिंग (सांसों पर ध्यान केंद्रित करना) करते हैं। खासकर उन क्षणों में, जब उन्हें स्ट्रेस हो रहा हो या जब खेल पर फोकस करना हो। जोकोविच के मुताबिक इसी से उनकी मेंटल स्ट्रेंथ बनी रहती है। वह कहते हैं कि मेंटल स्ट्रेंथ भी कोई गिफ्टेड चीज नहीं होती। इसके लिए मेहनत करनी पड़ती है। साइंस भी यह मानता है कि यदि आप तनाव से जूझ रहे हैं तो सांस लेने की कई तकनीकें आपको शांत करने और आराम पहुंचाने में मददगार हो सकती हैं। आपको बस एक शांत जगह चाहिए, जहां आप अपनी सांस लेने-छोड़ने की प्रक्रिया पर ध्यान दे सकें। हम दिन में कितनी बार सांस लेते हैं लंग फाउंडेशन, ऑस्ट्रेलिया के मुताबिक एक वयस्क व्यक्ति दिन में तकरीबन 22,000 बार सांस लेता है। एक मिनट में औसतन हम 10 से 20 बार सांस लेते हैं। यह एक ऐसी प्रक्रिया है, जो जन्म से शुरू होकर दुनिया में आखिरी सांस लेने तक हर रोज और हर सेकेंड घटित हो रही है। हम हर क्षण सांस ले रहे हैं, लेकिन कभी भी इस पर ध्यान नहीं देते। हममें से ज्यादातर लोगों के लिए सांस लेना एक अचेतन प्रकिया है। क्या हम अपनी सांसों पर ध्यान दे रहे हैं कितना अजीब है न कि जीवन की सबसे जरूरी और सबसे कीमती चीज का हमें कोई चेतन बोध ही नहीं है। ध्यान साधना की सबसे प्राचीन प्रक्रिया विपश्यना भी माइंडफुल ब्रीदिंग ही है, जिसका अनुसंधान भगवान बुद्ध ने किया था। अपने शरीर, मन की स्थिति और वर्तमान क्षण के बारे में ज्यादा जागरूक होने के लिए हमें अपनी सांसों के बारे में सचेत होना चाहिए। यह शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य की बुनियाद है। रोजमर्रा की भागदौड़ भरी जिंदगी में हम कई प्रकार के तनाव से गुजरते हैं। सोते-जागते, खाते-पीते हर समय दिमाग में कोई-न-कोई परेशानी या तनाव चलता ही रहता है। इसके चलते अक्सर सिरदर्द, गर्दन में अकड़न, कमर का दर्द, मोटापा और थकान जैसी समस्याएं हो जाती हैं। ऐसे में ब्रीदिंग एक्सरसाइज की मदद से दिमागी तनाव और अन्य समस्याओं से छुटकारा पाया जा सकता है। नेशनल लाइब्रेरी ऑफ मेडिसिन की एक स्टडी के मुताबिक, नियमित रूप से माइंडफुल ब्रीदिंग तनाव प्रबंधन, साइकोफिजियोलॉजिकल स्थितियों पर नियंत्रण और मानसिक स्वास्थ्य में सुधार के लिए एक कारगर माध्यम है। क्या है माइंडफुल ब्रीदिंग माइंडफुल ब्रीदिंग में आप आमतौर पर अपनी सांसों के बारे में जागरूकता विकसित करते हैं। सांसों के बारे में सोचना, उस पर ध्यान देना और गहरी सांसें लेना ही माइंडफुल ब्रीदिंग प्रैक्टिस है। इस तकनीक का अभ्यास तब किया जाता है, जब कोई व्यक्ति चिंता का अनुभव कर रहा हो या थकान महसूस कर रहा हो, मन बेचैन हो और किसी चीज को लेकर एंग्जाइटी हो रही हो। लेकिन सामान्य परिस्थितियों में भी माइंडफुल ब्रीदिंग का अभ्यास करने से स्ट्रेस, एंग्जाइटी, थकान और तनाव वगैरह कम होते हैं। सांस के माध्यम से हम ऑक्सीजन ग्रहण करते हैं। यह ऑक्सीजन हमारे खनू के रेड ब्लड सेल्स के माध्यम से शरीर की प्रत्येक छोटी-बड़ी कोशिका तक पहुंचती है। अगर बॉडी में ऑक्सीजन की सप्लाई बंद हो जाए तो कुछ ही मिनटों में जान जा सकती है। ब्रीदिंग यानी सांस लेना जीवन के लिए इतनी बेसिक और क्रिटिकल चीज है। ब्रीदिंग का महत्व सालों पहले प्राणायाम के रूप में भी बताया गया है। केवल गहरी सांस लेने और छोड़ने से ही हमें कई तरह के फायदे होते हैं। योग फिलॉसफी के मुताबिक, माइंडफुल ब्रीदिंग आपके शरीर और दिमाग दोनों के लिए फायदेमंद है। पारंपरिक योगिक ज्ञान मानता है कि जब सांस सुचारू, शांत और नियंत्रित हो तो तनाव हो ही नहीं सकता है। नीचे दिए ग्राफिक से जानें, क्या हैं माइंडफुल ब्रीदिंग के फायदे- नेशनल लाइब्रेरी ऑफ मेडिसिन में वर्ष 2020 में प्रकाशित एक स्टडी के मुताबिक माइंडफुल ब्रीदिंग कई गंभीर बीमारियों को दूर करने में भी मददगार है, जैसेकि क्रॉनिक ऑब्सट्रक्टिव पल्मोनरी डिजीज (COPD) और ब्रॉन्कियल अस्थमा। इसके अलावा नेशनल लाइब्रेरी ऑफ मेडिसिन में ही वर्ष 2019 में प्रकाशित एक रिव्यू स्टडी में पाया गया कि नियमित माइंडफुल ब्रीदिंग से ब्रेन एक्टिविटी, फेफड़ों और नर्वस सिस्टम का फंक्शन और मेटाबॉलिज्म भी बेहतर होता है। इसके अलावा सिरदर्द या क्रॉनिक माइग्रेन जैसी समस्याओं में भी यह कारगर है। पैनिक अटैक, घबराहट और एंग्जाइटी को कम करता है। जैसे हम कोई एग्जाम या इंटरव्यू देने जा रहे हों और हमें स्ट्रेस और एंग्जाइटी हो, तब माइंडफुल ब्रीदिंग बहुत काम आती है। कैसे अभ्यास में लाएं माइंडफुल ब्रीदिंग माइंडफुल ब्रीदिंग में माइंडफुलनेस के 7 चरणों को शामिल किया है। आपको बस एक आरामदायक और शांत जगह ढूंढनी है, अपने फोन में पांच मिनट का टाइमर सेट करना है और इन चरणों का पालन करना है- इन तकनीकों का अभ्यास करने के बाद, आपको सकारात्मक फायदे दिखाई देंगे, जो आपके जीवन को बेहतर बनाएंगे। दिन में केवल पांच मिनट निकालकर अपनी सांसों पर ध्यान देने से आपको तनावमुक्त और शांति महसूस करने में मदद मिलेगी। ये न केवल आपके लिए बल्कि आपके आस-पास के लोगों के लिए भी अच्छा है।
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