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साजिश और सजा: एक तांगेवाला कैसे बना संत? फिर इस हरकत ने पहुंचाया जेल… जानिए आसाराम की क्राइम कुंडली – Rapist Baba Asaram Bapu guilty life imprisonment Jodhpur Central Jail Rajasthan High Court parole approval treatment relief police crime pvzs

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Rape Convict Asaram Bapu Parole Granted: रेप के मामले में आसाराम को राजस्थान हाई कोर्ट से बड़ी राहत मिली है. अदालत ने इलाज के लिए आसाराम की 7 दिन की पैरोल मंजूर कर ली है. पिछले करीब 11 साल में यह पहला मौका है, जब आसाराम पैरोल पर जेल से बाहर आएगा. उसे पुलिस कस्टडी में इलाज के लिए महाराष्ट्र ले जाया जाएगा. फिलहाल, वो जोधपुर सेंट्रल जेल में उम्रकैद की सजा काट रहा है. 

11 साल में पहली बार मिली पैरोल
असल में आज से ठीक 11 साल पहले आसाराम को गिरफ्तार किया गया था. एक वो दिन था और आज का दिन, पिछले 11 वर्षों से आसाराम जेल में है. आसाराम को गांधीनगर की अदालत ने बलात्कार के मामले में सजा दी थी. इस मामले में आसाराम को सेशन कोर्ट ने उम्रकैद की सजा सुनाई थी. आसाराम के खिलाफ रेप का यह मामला साल 2013 में दर्ज हुआ था. हालांकि, पीड़िता के साथ रेप की वारदात साल 2001 से 2006 के बीच हुई थी. 

यौन उत्पीड़न के मामले में बेटा भी जेल में
गौर करने वाली बात ये है कि पीड़िता की बहन ने ही आसाराम के बेटे नारायण साईं के खिलाफ भी दुष्कर्म का केस दर्ज कराया था. इस मामले में नारायण साईं को अप्रैल 2019 में आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई थी. आसाराम को जिस मामले में सजा सुनाई गई थी, उसकी FIR साल 2013 में अहमदाबाद के चांदखेड़ा पुलिस थाने में दर्ज करवाई गई थी. 

आसाराम समेत 7 लोगों के खिलाफ FIR
FIR के मुताबिक, पीड़ित महिला के साथ अहमदाबाद शहर के बाहर बने आश्रम में साल 2001 से 2006 के बीच कई बार बलात्कार किया गया था. पीड़ित महिला ने इस मामले में आसाराम और सात अन्य लोगों के खिलाफ दुष्कर्म और अवैध तरीके से बंधक बनाने का मामला दर्ज करवाया था. इस मामले में आसाराम के अलावा उसकी पत्नी लक्ष्मी और बेटी भारती को भी आरोपी बनाया गया था.

अदालत ने सिर्फ आसाराम को माना था दोषी 
हालांकि, सेशन कोर्ट के जज डीके सोनी ने इस मामले में सिर्फ आसाराम को ही दोषी मानते हुए सजा सुनाई है. बाकी 6 आरोपियों को सबूतों के अभाव में बरी कर दिया है. जबकि, ट्रायल के दौरान ही अक्टूबर 2013 में एक आरोपी की मौत हो गई थी. आसाराम खुद को ‘भगवान’ बताता था और उसके भक्त उसे ‘बापू’ कहकर बुलाते थे. एक समय आसाराम के भक्तों में बड़े-बड़े सेलेब्रिटीज भी शामिल थे, लेकिन आज उस पर ‘बलात्कारी’ का ठप्पा लग चुका है.

आसुमन थाउमल हरपलानी कैसे बना आसाराम?
17 अप्रैल 1941 को मौजूदा पाकिस्तान के सिंध इलाके के बैरानी गांव में आसुमन थाउमल हरपलानी का जन्म हुआ. बंटवारे के बाद परिवार गुजरात के अहमदाबाद शहर में आकर बस गया. कहा जाता है कि आसुमल हरपलानी उर्फ आसाराम कभी तांगा चलाता था. उसने कभी सड़क किनारे चाय बेचने का काम भी किया था और कभी शराब के धंधे में भी हाथ आजमाया था.

आसाराम की वेबसाइट के मुताबिक, ईश्वर प्राप्ति के लिए वो लीलाजी महाराज के पास गया. लीलाजी महाराज ने उन्हें साधना सिखाई. 7 अक्टूबर 1964 को आसाराम को ‘आत्म साक्षात्कार’ हुआ. इस तरह वो आसुमल से ‘आसाराम’ बन गया. ऐसा भी कहा जाता है कि आसाराम के अंदर ‘भगवान’ बनने की इच्छा थी.

1972 में आसाराम ने अहमदाबाद से 10 किलोमीटर दूर मोटेरा कस्बे में अपना पहला आश्रम खोला. धीरे-धीरे आसाराम लोगों का ‘बापू’ बन गया. आसाराम की वेबसाइट पर दावा किया गया है कि आज दुनियाभर में उसके 400 आश्रम और 40 गुरुकुल हैं. ये भी दावा किया जाता है कि दुनियाभर में उसके तीन करोड़ भक्त हैं.

ऐसे शुरू हुआ आसाराम का पतन!
आसाराम सिर्फ भारत ही नहीं दुनिया के लिए बड़ा ‘संत’ बन चुका था. उसके आश्रम में मत्था टेकने बड़े-बड़े सेलेब्रिटीज और राजनेता आते थे. आसाराम का पतन तब शुरू हुआ जब 2008 में उसके आश्रम में दो बच्चों के अधजले शव मिले.

दरअसल, 5 जुलाई 2008 को गुजरात के मोटेरा आश्रम के बाहर साबरमती नदी के सूखे तल में 10 साल के अभिषेक वाघेला और 11 साल के दीपक वाघेला के अधजले शव मिले थे. दोनों चचेरे भाई थे. परिजनों का आरोप था कि उन दोनों का दाखिला गुरुकुल में करवाया गया था और तंत्र-मंत्र के लिए बच्चों की बलि दे दी गई.

इस मामले ने जब तूल पकड़ा तो गुजरात के तब के सीएम नरेंद्र मोदी ने जांच आयोग का गठन किया. आयोग की रिपोर्ट को सार्वजनिक नहीं किया गया. कुछ गिरफ्तारियां भी हुईं. कइयों को हत्या का दोषी भी ठहराया गया. इस मामले में आसाराम पर तो कोई आंच नहीं आई, लेकिन उसकी मुसीबतें बढ़नी शुरू हो गई.

बाबा की काली करतूतें उजागर
आसाराम और उसके परिवार की ‘काली करतूतें’ दुनिया के सामने 2013 में आईं. उस समय आसाराम पर नाबालिग लड़की के साथ दुष्कर्म करने का आरोप लगा. लड़की के माता-पिता ने बताया कि उनकी बेटी छिंदवाड़ा के गुरुकुल में रहती थी. एक दिन उनके पास फोन आया कि बेटी की तबीयत खराब है, उस पर भूत-प्रेत का साया है और अब आसाराम ही उसे ठीक कर सकते हैं. 

लड़की के माता-पिता उसे लेकर जोधपुर स्थित आश्रम पहुंचे. आरोप लगा कि 16 साल की उनकी बेटी को आसाराम ने कुटिया में बुलाया और उसके साथ दुष्कर्म किया. 15 अगस्त 2013 को आसाराम के खिलाफ केस दर्ज किया गया. 31 अगस्त को आसाराम को इंदौर से गिरफ्तार कर लिया गया.

फिर दो बहनों ने लगाया था रेप का इल्जाम
नाबालिग लड़की से दुष्कर्म का मामला सामने आने के कुछ ही महीनों बाद दो बहनों ने भी केस दर्ज करवाया. एक बहन ने आसाराम पर तो दूसरी ने नारायण साईं के खिलाफ केस दर्ज करवाया.

दोनों बहनों ने दुष्कर्म, अप्राकृतिक यौन संबंध और अवैध तरीके से बंधक बनाने का आरोप लगाया. बहनों का आरोप था कि आसाराम और उसके बेटे नारायण साईं ने 2001 से 2006 के बीच उनका दुष्कर्म किया. इस मामले में आसाराम की पत्नी लक्ष्मी और बेटी भारती को भी आरोपी बनाया गया. एक बहन ने सूरत में नारायण साईं के खिलाफ तो दूसरी ने अहमदाबाद में आसाराम के खिलाफ केस दर्ज करवाया था.

इस मामले में मिली सजा
जोधपुर के आश्रम में नाबालिग लड़की के साथ दुष्कर्म के मामले में आसाराम को अप्रैल 2018 में दोषी ठहराया गया था. जोधपुर की अदालत ने आसाराम को आजीवन कारावास की सजा सुनाई. 

इसके बाद, अप्रैल 2019 में सूरत की अदालत ने नारायण साईं को दुष्कर्म का दोषी माना. नारायण साईं को आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई. साथ ही पीड़ित को 5 लाख रुपये का जुर्माना देने का आदेश भी सुनाया. वहीं, अब गांधीनगर की अदालत आसाराम को दोषी ठहरा चुकी है और इस मामले में उसे उम्रकैद की सजा मिली है. 

सवालों के घेरे में आश्रम
पिछले साल अप्रैल में उत्तर प्रदेश के गोंडा स्थित आश्रम से एक बच्ची का शव मिला था. ये शव कार में रखा था. बच्ची की उम्र 13-14 साल थी. जिस बच्ची का शव मिला था, वो कई दिनों से लापता थी. इस घटना से पांच महीने पहले आसाराम के साबरमती स्थित आश्रम से एक 27 साल का युवक भी गायब हो गया था. उसके परिजनों ने गुमशुदगी की रिपोर्ट दर्ज करवाई थी. 2008 में दो भाइयों के अधजले शव भी मोटेरा आश्रम के बाहर साबरमती नदी के सूखे तल में मिले थे.

2013 में आसाराम की एक अनुयायी सुधा पटेल ने आज तक/इंडिया टुडे को इंटरव्यू दिया था, जिसमें उसने आसाराम के आश्रम की ‘काली करतूतों’ के बारे में बताया था. सुधा पटेल आसाराम के मोटेरा आश्रम में 1986 में जुड़ी थीं. सुधा पटेल ने दावा किया था कि आश्रम में दो महिलाओं का कोडनेम रखा गया था. एक का नाम ‘हेडल’ और दूसरी का ‘बंगला’ था. गुजराती में हेडल का मतलब मोरनी होता है. सुधा पटेल ने दावा किया था कि उन दोनों महिलाओं का काम आश्रम में आने वालीं युवा लड़कियों पर ध्यान देना था.

सुधा के मुताबिक, आसाराम को जो लड़की पसंद आती थी, उसके ऊपर वो फल या कैंडी फेंक देता था. इसका मतलब होता था कि लड़की को राजी किया जाए. सुधा का कहना था कि ऐसा बहुत ही कम होता था जब कोई लड़की विरोध करती थी. उल्टा ज्यादातर लड़कियां और उनके परिजन तो यही मानते थे कि उनके ऊपर भगवान की विशेष कृपा है. इतना ही नहीं, कभी-कभी तो लड़कियां इस बात पर भी बहस करती थीं कि आज आसाराम की कुटिया में कौन जाएगा.

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