अप्रैल 2012 में जब आईपीएस अधिकारी दमयंती सेन को ट्रांसफर ऑर्डर मिलिता है तो वह हैरान रह जाती हैं, क्योंकि वह नहीं जानती थीं कि हुआ क्या है. सेन उस समय कोलकाता मीडिया की सुर्खियों में छाईं हुईं थी. उन्होंने ही पार्क स्ट्रीट बलात्कार मामले को सुलझाया ही था. कोलकाता पुलिस की संयुक्त पुलिस आयुक्त (क्राइम) दयमंती सेन को उस पद से हटाकर बैरकपुर पुलिस प्रशिक्षण कॉलेज में डीआईजी (प्रशिक्षण) के पद पर तैनात कर दिया गया.
उनकी गलती क्या थी? दरअसल उन्होंने तत्कालीन नई मुख्यमंत्री के दावों की हवा निकालने की हिम्मत दिखाई थी. ममता बनर्जी को राइटर्स बिल्डिंग ( पश्चिम बंगाल सरकार का सचिवालय) में आए एक साल भी नहीं हुआ और तब उन्होंने बलात्कार मामले को ‘शाजानो घोटोना’ यानी एक नकली घटना कहकर खारिज करते हुए दावा किया कि यह ‘अपनी नई सरकार को बदनाम करने की’ एक ‘मनगढ़ंत घटना’ थी.
ममता पहले भी रेप के कई मामले कर चुकी हैं खारिज
दयमंती सेन द्वारा पार्क स्ट्रीट गैंगरेप मामले की जांच करना, मामले को सुलझाना और पांचों दोषियों को पकड़ना शायद दीदी (ममता बनर्जी) अच्छा नहीं लगा. सेन यहां सीएम के खिलाफ हीं चली गईं थी क्योंकि कोई भी दीदी के खिलाफ नहीं जाता था. वह 2012 था और अब 2024 है.. यानि 12 साल में भी कुछ खास बदलाव नहीं हुआ.
ये भी पढ़ें: रेप की पुष्टि, फ्रैक्चर नहीं… कोलकाता रेप पीड़िता के बारे में पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट से क्या-क्या सामने आया?
इस दौरान बनर्जी सरकार के दौरान हंसखाली, कामदुनी, काकद्वीप, रानाघाट, सिउरी, संदेशखली जैसे मामले आए. हंसखाली में में हुई रेप की घटना को उन्होंने ‘अफेयर’ बताकर खारिज कर दिया था जबकि कामदुनी में प्रदर्शनकारियों को उन्होंने ‘माकपा समर्थक’ बता दिया क्योंकि इन प्रदर्शकारियों ने महिलाओं के खिलाफ अपराधों सवाल उठाए थे. मई-जून 2021 में पूरे पूरे बंगाल के पुलिस थानों में बलात्कार की शिकायतों को दबा दिया गया, तब उन्होंने चुप्पी साध ली.
अब, जब कोलकाता एक और रेप तथा हत्या के मामले से सुर्खियों में बना हुआ है, जब प्रदर्शनकारी न्याय की गुहार लगाते हुए प्रदर्शन कर रहे हैं तब ममता बनर्जी विरोध प्रदर्शनों के खिलाफ प्रदर्शन कर रही हैं. क्या आप नहीं सोच रहे हैं कि उनका विरोध किसके खिलाफ था? क्या आप भी सोच रहे हैं कि वह राज्य की सत्ता पर काबिज नहीं हैं?
दोष सीबीआई पर
टीएमसी के राज्यसभा सांसद डेरेक ओ ब्रायन, जिन्होंने हमेशा बनर्जी की ज्यादतियों और कमियों का बचाव किया है, वह कहते हैं: “न्याय तभी होगा जब सीबीआई सभी शामिल लोगों को पकड़ेगी और मामले को फास्ट-ट्रैक कोर्ट में भेजेगी. सीबीआई द्वारा मामले को अपने हाथ में लेने से इसे चुपचाप दफन नहीं किया जाना चाहिए. समय की सबसे बड़ी मांग है कि त्वरित न्याय हो और दोषियों को कड़ी से कड़ी सजा मिले. इस बर्बर कृत्य को करने वाले किसी भी व्यक्ति को बख्शा नहीं जाना चाहिए.”
यानि दोष सीबीआई पर मढ़ दिया गया है. राज्य सरकार ने सुविधाजनक तरीके से युवा डॉक्टर के खून से अपने हाथ धो लिए हैं. मुख्यमंत्री ने अपनी सभी महिला सांसदों और विधायकों के साथ मामले को सुलझाने में विफल रहने पर अपनी सरकार के खिलाफ विरोध प्रदर्शन किया. क्योंकि कोई भी दीदी की तरह ट्रोल नहीं कर सकता है.
ये भी पढ़ें: BJP नेता लॉकेट चटर्जी के खिलाफ केस, पीड़िता की पहचान बताने का आरोप, 2 डॉक्टरों को भी समन
जब ममता ने रेप को अफेयर से जोड़ दिया
उदाहरण के लिए, अप्रैल 2022 को ही ले लेते हैं. नादिया में 14 साल की लड़की के साथ कथित तौर पर रेप किया गया. लड़की की मौत हो गई. जानते हैं उसके बाद सीएम ममता बनर्जी ने क्या कहा? सीएम ने कहा, “कहा जा रहा है कि बलात्कार के कारण एक नाबालिग की मौत हो गई है, क्या आप इसे रेप कहेंगे? क्या वह प्रेग्नेंट थी या उसका प्रेम संबंध था? क्या उन्होंने पूछताछ की है? मैंने पुलिस से पूछा है. उन्होंने गिरफ्तारियां की हैं. मुझे बताया गया कि लड़की का लड़के के साथ अफेयर था.” गौर करने वाली बात ये है कि आरोपी कथित तौर पर एक स्थानीय टीएमसी के दिग्गज नेता का बेटा था.
फिर 2013 में कामदुनी गैंगरेप हुआ. जब बनर्जी घटना के 10 दिन बाद कामदुनी गईं, तो उन्हें गुस्साई महिलाओं की भीड़ का सामना करना पड़ा. उनमें से एक महिला ने उन पर चिल्लाते हुए कहा था, “क्या आप यहां अपना मुंह दिखाने आई हैं?” ममता से यह सवाल पंचायत चुनाव अभियान से कुछ दिन पहले पूछा गया था और दीदी को एक बार फिर अपनी सरकार के खिलाफ साजिश की बू नजर आने लगी थी.
तब ममता ने प्रदर्शनकारियों पर थूक दिया
तब ममता बनर्जी ने कहा, “यहां के लोग सीपीएम के समर्थक हैं. मुझे यह कहते हुए दुख हो रहा है कि सीपीएम राजनीति कर रही है. बलात्कार-हत्या के लिए गिरफ्तार किए गए सभी गुंडे सीपीएम के समर्थक थे. चोर-एर मा-एर बोरो गोला (चोर की मां सबसे ऊंची आवाज में चिल्लाती है)” बनर्जी ने अपनी कार में बैठने से पहले भीड़ पर थूक दिया. भीड़ माफ करने करने को तैयार नहीं थी. वे सभी जानते थे कि मुख्य आरोपी टीएमसी पंचायत प्रधान का रिश्तेदार था.
ममता बनर्जी की गलतियों की डायरी में रेप सबसे ऊपर हैं. खासकर अगर उनकी पार्टी का कोई व्यक्ति दोषी हो. ममता बनर्जी ने अपनी वर्षों की सत्ता के दौरान साल-दर-साल बलात्कार के कई मामलों को झूठा बताया है. वह खुद पीड़ित हो जाती हैं जब एक महिला नेता के रूप में उनसे बलात्कार के मामलों पर जवाब मांगा जाता है. अगर विपक्ष द्वारा सवाल पूछे जाते हैं तो वह उल्टा आरोप लगा देती हैं.
ये भी पढ़ें: कोलकाता: उस रात पीड़िता के साथ डिनर के दौरान क्या हुआ, आखिरी बार किसने देखा, कहां थे प्रिंसिपल संदीप घोष? CBI ने डॉक्टरों से दागे सवाल
आरजी कर मामले में भी, जब साजिश की थ्योरी तेजी से फैल रही है और ताकतवर लोगों का नाम दबी जुबान में लिया जा रहा है, महिलाएं चिल्ला रही हैं, शंख बजा रही हैं, मोमबत्ती मार्च निकाल रही हैं और राज्य सरकार से न्याय की मांग कर रही हैं; तब ममता बनर्जी की प्रतिक्रिया बिल्कुल टैक्स्टबुक बनर्जी की तरह है. कोई आपको दोषी ठहराए, उससे पहले खुद को पीड़ित बता दीजिए. यह एक सच्चाई ये है कि यह कोई शाजानो घोटोना यानी एक नकली घटना नहीं है.
रिपोर्ट- अनन्या भट्टाचार्य