1 दिन पहले
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आपने जगजीत सिंह की वो गजल तो सुनी ही होगी- न उम्र की सीमा हो, न जन्म का हो बंधन।
जन्मों के बंधन को लेकर तो दावा नहीं किया जा सकता, लेकिन क्या वाकई रिश्ते में उम्र की कोई सीमा नहीं होती? इसका जवाब ‘हां’ भी है और ‘नहीं’ भी।
अगर यह सवाल प्यार करने की उम्र के बारे में पूछा जाए तो जवाब निश्चित रूप से ‘हां’ होगा क्योंकि प्यार करने की उम्र की कोई सीमा नहीं होती। नजर उठाकर देखें तो चारों ओर बूढ़े शरीर में जवां दिल वाले लोग दिख जाएंगे।
लेकिन अगर यह सवाल दो पार्टनर्स की उम्र के अंतर को लेकर उठा हो तो यहां सीमा सख्त हो जाती है। ऑस्ट्रेलिया की डीकन यूनिवर्सिटी की नई रिसर्च बताती है कि अगर दो पार्टनर्स की उम्र में ज्यादा फासला हुआ तो रिश्ते पर इसका नकारात्मक असर हो सकता है।
इसलिए आज रिलेशनशिप कॉलम में रिश्ते में उम्र की सीमा और दो पार्टनर्स के बीच उम्र के सही फासले पर बात करेंगे।
रिश्ते के मामले में उम्र सिर्फ नंबर नहीं है
अंग्रेजी में एक कहावत है- ‘एज इज ज ए नंबर,’ यानी उम्र सिर्फ एक आंकड़ा भर है। कुछ नया सीखना या करना हो तो यह बात बिल्कुल सही साबित होती है।
लेकिन अगर कोई इस फिलॉसफी का इस्तेमाल रिश्ते में करता है तो उसे इसका खामियाजा भी भुगतना पड़ सकता है क्योंकि रिश्ते के मामले में एज सिर्फ नंबर नहीं है। इसका सीधा असर रिश्ते के वर्तमान और भविष्य पर पड़ता है।
ऑस्ट्रेलिया की डीकन यूनिवर्सिटी की एक रिपोर्ट बताती है कि रोमांटिक या वैवाहिक रिश्ते में पार्टनर्स की उम्र का अंतर आगे चलकर उनकी सोच, लाइफस्टाइल, लक्ष्य और जिम्मेदारियों में भी अंतर की वजह बनता है।
जिसकी वजह से पार्टनर्स के बीच कॉमन चीजें कम होने लगती हैं। जबकि कोई भी रिश्ता दो लोगों के बीच कुछ कॉमन बातों पर ही टिका होता है। ऐसी स्थिति में पार्टनर्स की उम्र का अंतर रिश्ते को कमजोर कर देता है।
दो पार्टनर्स की उम्र में ज्यादा फासला होने से रिश्ते पर कई निगेटिव असर हो सकते हैं-
- विचारों में अंतर- उम्र के अंतर से दोनों पार्टनर्स के विचारों में अंतर आ सकता है, जिससे रिश्ते में तनाव पैदा हो सकता है।
- लाइफस्टाइल में अंतर- उम्र के अंतर से दोनों पार्टनर्स की जीवनशैली में भी अंतर आ सकता है। जैसेकि एक पार्टनर अधिक ऊर्जावान हो सकता है, जबकि दूसरा कम। उनके खाने-पीने, सोने-उठने या वर्किंग रुटीन में अंतर हो सकता है।
- सामाजिक दबाव- समाज में उम्र के अंतर वाले रिश्तों को लेकर अक्सर नकारात्मक धारणाएं होती हैं, जिससे रिश्ते पर दबाव पड़ सकता है। आसपास के ताने और समाजिक दवाब ऐसे रिश्ते को नकारात्मक ढंग से प्रभावित करते हैं।
- स्वास्थ्य समस्याएं- उम्र के अंतर से स्वास्थ्य समस्याएं भी हो सकती हैं। जैसेकि एक पार्टनर को उम्र की वजह से खर्राटे की समस्या हो सकती है, जो दूसरे पार्टनर को परेशान कर सकती है। उम्र में अंतर की वजह से पार्टनर्स अक्सर एक-दूसरे की परेशानियों को समझने में कठिनाई महसूस करते हैं क्योंकि वे खुद उस अनुभव से नहीं गुजर रहे होते।
- वित्तीय समस्याएं- उम्र के अंतर से वित्तीय समस्याएं भी आ सकती हैं, जैसेकि एक पार्टनर की आय दूसरे पार्टनर की तुलना में अधिक या कम हो सकती है।
- रिश्ते की गहराई- उम्र के अंतर से रिश्ते की गहराई पर भी असर हो सकता है, जैसेकि एक पार्टनर दूसरे पार्टनर के साथ गहरा जुड़ाव महसूस नहीं कर सकता है।
- भविष्य की चिंता- उम्र के अंतर से भविष्य की चिंता भी हो सकती है। उदाहरण के लिए एक पार्टनर दूसरे पार्टनर के जल्दी रिटायर होने की चिंता कर सकता है।
- रिश्ते में एक्टिव और पैसिव की बायनरी- पार्टनर्स की उम्र में अंतर हो तो इससे एक खतरा किसी एक पार्टनर का एक्टिव और दूसरे के पैसिव होने का भी होता है। ऐसे रिश्ते को कोई एक पार्टनर कंट्रोल करने लगता है, जिसकी वजह से रिश्ते में आपसी सहमति और एक-दूसरे के लिए रिस्पेक्ट कम हो जाती है।
पार्टनर्स की उम्र का अंतर रिश्ते में टूट की गारंटी नहीं
यहां इस बात का ध्यान रखना जरूरी है कि हर रिश्ता अलग होता है और उम्र के अंतर से रिश्ते पर निगेटिव असर होना जरूरी नहीं है। अगर दोनों पार्टनर्स एक दूसरे के प्रति समझदारी और सम्मान के साथ व्यवहार करते हैं तो रिश्ता सफल भी हो सकता है।
यह भी जरूरी नहीं कि दो पार्टनर्स की उम्र में अंतर हो तो उनका रिश्ता टूट ही जाएगा। यहां रिश्ते में उम्र की वजह से आने वाली चुनौतियों की बात की गई है। अगर दो पार्टनर्स इन चुनौतियों पर प्रॉपर ध्यान दें तो उम्र में पर्याप्त अंतर होने के बावजूद उनका रिश्ता सुखद हो सकता है।
रिश्ते में पार्टनर्स की उम्र का सही फासला कितना है
रिश्ते में पार्टनर्स की सही उम्र का अंतर व्यक्तिगत पसंद और सांस्कृतिक परंपराओं पर निर्भर करता है। हालांकि आमतौर पर माना जाता है कि 3 से 5 साल का अंतर एक स्वस्थ और स्थिर रिश्ते के लिए उपयुक्त हो सकता है।