10 मिनट पहलेलेखक: शशांक शुक्ला
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आज के दौर में हर हाथ में स्मार्टफोन और हर व्यक्ति के पास इंटरनेट उपलब्ध है। यह देखने में भले ही कूल लगता है कि कुछ क्लिक्स में फूड ऑर्डर कर रहे हैं, फेवरेट फैशन ब्रांड्स के कपड़े मंगा रहे हैं, मनचाही फिल्म देख रहे हैं, लेकिन इंटरनेट अपने साथ कई खतरे भी लेकर आता है।
क्या आपको इस बात का अंदाजा है कि बढ़ता हुआ डिजिटलाइजेशन अपने साथ कई खतरे भी लेकर आ रहा है? इसका सबसे ज्यादा शिकार हमारे घर-परिवार के टीनएजर्स हो रहे हैं। इस डिजिटलीकरण के साथ एक नया खतरा भी सामने आया है, जिसे साइबर बुलिंग कहते हैं।
साइबर बुलिंग एक ऐसा अपराध है, जिसमें व्यक्ति या समूह किसी दूसरे व्यक्ति को इंटरनेट और सोशल मीडिया के माध्यम से मानसिक, भावनात्मक या शारीरिक रूप से परेशान करता है। यह आजकल युवाओं और बच्चों के बीच तेजी से फैल रहा है। सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स, जैसे फेसबुक, इंस्टाग्राम, एक्स (ट्विटर) और टेलीग्राम इस प्रकार के अपराधों के लिए आदर्श स्थल बन गए हैं।
आज हम रिलेशनशिप में जानेंगे कि-
- साइबर बुलिंग क्या है?
- इससे नुकसान क्या हो सकते हैं?
- इससे बचने के उपाय क्या हैं?
साइबर बुलिंग क्या है?
हमारे जीवन में इंटरनेट और सोशल मीडिया का अहम स्थान है। इस डिजिटल दुनिया के कई फायदे हैं, तो वहीं इसके कुछ काले पक्ष भी हैं। इसमें से एक है साइबर बुलिंग। जब कोई व्यक्ति इंटरनेट, सोशल मीडिया या किसी अन्य डिजिटल माध्यम का इस्तेमाल करके दूसरे को मानसिक या भावनात्मक रूप से नुकसान पहुंचाता है, तो इसे साइबर बुलिंग कहा जाता है। यह केवल स्कूल या वर्कप्लेस जैसी जगहों तक सीमित नहीं है, बल्कि स्मार्टफोन और कंप्यूटर के जरिए यह कहीं भी और कभी भी हो सकती है।
पारंपरिक बुलिंग और साइबर बुलिंग में अंतर?
बुलिंग में हमें अक्सर यह देखने को मिलता है कि मजाक उड़ाने वाला, परेशान करने वाला सामने रहता है। आमतौर पर पीड़ित और दोषी दोनों एक-दूसरे से परिचित होते हैं। साइबर बुली करने वाले सामने नहीं होते हैं। वे बिना किसी डर के सोशल मीडिया पर या मैसेजिंग प्लेटफॉर्म्स पर आपको घेर सकते हैं। एक जरा सी चूक में उनकी बातें सैकड़ों लोगों तक पहुंच जाती हैं। यह किसी भी समय और किसी भी जगह हो सकती है।
कैसा महसूस करता है साइबर बुलिंग का पीड़ित?
अगर आप या आपके जानने वाले साइबर बुलिंग का शिकार हो रहे हैं, तो यह समझना जरूरी है कि यह सिर्फ एक मैसेज या पोस्ट नहीं है। यह एक ऐसा घाव है जो अंदर ही अंदर बढ़ता जाता है। जो लोग इस पीड़ा से गुजरते हैं अपमान, गुस्सा, निराशा और अकेलापन महसूस कर सकते हैं। कभी-कभी आत्महत्या जैसे खतरनाक विचार भी उनके मन में आ सकते हैं। साइबर बुलिंग एक बहुत ही दर्दनाक अनुभव हो सकता है।
साइबर बुलिंग हमारे मेंटल हेल्थ, इमोशनल हेल्थ को नुकसान पहुंचाता है। कभी-कभी यह हमें शारीरिक रूप से नुकसान पहुंचाने का कारण बन सकता है। ऐसे में अगर आप भी साइबर बुलिंग का शिकार हो रहे हैं तो कुछ टिप्स को अपनाकर आप इससे निपट सकते हैं।
साइबर बुली को सही तरीके से प्रतिक्रिया दें
यदि आप साइबर बुलिंग का शिकार हो रहे हैं, तो गुस्से या दुःख में आकर रिएक्ट न करें। जो भी पोस्ट आपके खिलाफ लिखी जा रही हो, चाहे वह कितनी भी अपमानजनक या गलत क्यों न हो, आपको उस पर प्रतिक्रिया नहीं करनी चाहिए। रिएक्ट करने से स्थिति और बिगड़ सकती है। साइबर बुली का उद्देश्य आपकी भावनाओं को आहत करना है।
साइबर बुलिंग से बचाव के तरीके
साइबर बुलिंग से बचाव के लिए आप अच्छे दोस्त बना सकते हैं। यह दोस्त सोशल मीडिया पर बनाने के बजाय वास्तविक दुनिया में बनाएं जो आपके स्कूल, कॉलेज और परिवार के हों। ऐसे लोगों से दोस्ती करें जो ऐसी मुसीबत में आपको सपोर्ट करें।
भावनाओं को साझा करें: अपने करीबी दोस्तों या परिवार से बात करें। भले ही वे समाधान न दे सकें, लेकिन उनकी बात सुनना और आपनी भावनाओं को साझा करना आपके मनोबल को बढ़ा सकता है।
होनहार दोस्त बनाएं: ऐसे लोगों को दोस्त बनाएं जो आपकी तरह विचार रखते हों। ऐसे दोस्तों के साथ अपने विचार जाहिर कर सकते हैं और अच्छे दोस्त बना सकते हैं।
खुद को दोष न दें: साइबर बुलिंग के दौरान आपको कभी भी खुद को दोष नहीं देना चाहिए। इसमें आप नहीं बल्कि सामने वाला दोषी है।
खुद को नुकसान न पहुंचाएं: साइबर बुलिंग की घटना को बार-बार न पढ़ें और न ही खुद को मानसिक रूप से नुकसान पहुंचाएं।
बॉडी पॉजिटिविटी का अभ्यास: साइबर बुलिंग में अक्सर बॉडी शेमिंग की जाती है। टीनएजर्स इस दौरान शरीर में बदलाव के दौर से गुजर रहे होते हैं और वे परेशान हो सकते हैं।
सकारात्मक विचार रखें: जब कोई साइबर बुली आपके रूप-रंग पर आलोचना करता है, तो खुद को नकारात्मक विचारों से बचाएं। अपनी आंखों, बालों या अपने अच्छे गुणों पर ध्यान दें।
स्वीकार करें: शारीरिक रूप से आपकी क्या स्थिति है, इसे स्वीकार करें। हर किसी के पास अपनी विशेषताएं होती हैं। यह सामान्य है कि हम सभी में कुछ न कुछ असमानताएं हों।