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Ganesh Ji Modak History; Modak Recipe – Modak Health Benefits | जरूरत की खबर- भगवान गणेश को क्यों पसंद हैं मोदक: जानिए मोदक का इतिहास और सेहत से जुड़े लाभ, यह क्यों है सुख-समृद्धि का प्रतीक

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23 मिनट पहलेलेखक: गौरव तिवारी

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देशभर में गाजे-बाजे के साथ जगह-जगह गणपति बप्पा विराजमान हो गए हैं। भाद्रपद माह के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी से शुरू हुआ ये उत्सव 10 दिन तक चलेगा। हर दिन ‘गणपति बप्पा मोरया’ के उद्घोष होंगे। लोग गणपति जी से बुद्धि-विवेक से लेकर सुख-सौभाग्य तक बहुत सी कामनाएं करेंगे।

भगवान गणेश ऐसे देवता हैं, जिनकी पूजा-अर्चना उनके बाल स्वरूप में होती है। उनका प्रिय भोग मोदक और उनकी सवारी मूषक उनकी छवि को और भी आकर्षक बनाते हैं। इसलिए वह बच्चों के दिल के बहुत करीब हैं। भारतीय सिनेमा में बच्चों के लिए बनी फिल्मों में सबसे लोकप्रिय सीरीज भी ‘माय फ्रेंड गणेशा’ ही है।

इसलिए आज ‘जरूरत की खबर’ में गणपति बप्पा के प्रिय भोग मोदक के बारे में बात करेंगे। साथ ही जानेंगे कि-

  • मोदक का इतिहास कितना पुराना है?
  • गणेश भगवान को मोदक इतने क्यों भाते हैं?
  • मोदक के चिकित्सकीय गुण क्या हैं?
  • मोदक बनाने की विधि क्या है?

सवाल: भगवान गणेश को मोदक का भोग क्यों चढ़ाया जाता है?

जवाब: भगवान गणेश का प्रिय भोग मोदक है। इसे लेकर धर्म-अध्यात्म में कई कहानियां प्रचलित हैं। इनमें से एक कहानी ये है कि एक बार ऋषि अत्रि की पत्नी देवी अनुसूया ने सभी देवताओं को भोजन पर आमंत्रित किया। वहां भगवान शिव अपने परिवार के साथ भोजन कर रहे थे। माता अनुसूया भगवान गणेश को लगातार भोजन परोसती रहीं, पर वह तृप्त ही नहीं हो रहे थे। जब भोजन की आखिरी थाली बची तो माता अनुसूया ने उनकी थाली में भोजन की बजाय मोदक रख दिया। इसे खाते ही उन्हें जोर की डकार आई। यह संतुष्टि और तृप्ति का इशारा था। इसके तुरंत बाद भगवान शिव को 21 डकारें आई। यह देखकर माता पार्वती बहुत प्रभावित हुईं। उन्होंने कहा कि जो कोई भी भगवान गणेश को 21 मोदक का प्रसाद चढ़ाएगा, उसे सुख-समृद्धि की प्राप्ति होगी।

इससे संबंधित दूसरी कहानी यह है कि एक बार भगवान शिव विश्राम कर रहे थे। गणेश जी इसमें विघ्न की शंका से द्वार पर पहरा दे रहे थे। उसी दौरान परशुराम वहां पहुंचे और शिव जी से मिलने की इच्छा जताई। भगवान शिव को विश्राम करते देख गणेश जी ने उन्हें द्वार पर ही रोक दिया। इससे परशुराम क्रोधित हो गए और गणेश जी से युद्ध करने लगे। इस युद्ध में परशु के प्रहार से गणेश जी का एक दांत टूट गया। उन्हें खाने में तकलीफ हुई तो माता पार्वती ने उन्हें नरम मोदक बनाकर दिए। ये गणेश जी को बहुत पसंद आए। तब से ही मोदक उनका प्रिय भोग है।

सवाल: क्या रामायण और महाभारत में भी मोदक का जिक्र मिलता है?

जवाब: हां, रामायण और महाभारत काल में भी मोदक का वर्णन मिलता है। महाभारत के अनुशासन पर्व में मोदक को सबसे अच्छी मिठाई बताया गया है। जबकि रामायण के लंका कांड (युद्ध कांड) में इसका उल्लेख किया गया है। इसके अलावा अग्नि पुराण में भी इसका वर्णन किया गया है। हालांकि समय और स्थान के साथ इसे बनाने की विधि में परिवर्तन आते रहे हैं। आज भारत में 21 से भी अधिक तरह के मोदक बनाए जाते हैं।

सवाल: क्या समकालीन इतिहास में मोदक का जिक्र किया गया है?

जवाब: चालुक्य वंश के राजा सोमेश्वर द्वितीय ने ‘मानसोल्लास’ ग्रंथ की रचना की। इसमें राजनीति, शासन, नैतिकता, अर्थशास्त्र, ज्योतिष, खगोल विज्ञान, बागवानी, इत्र, भोजन, पशु चिकित्सा, खेल, चित्रकला, कविता, खेल, वास्तुकला, नृत्य और संगीत जैसे तमाम विषयों को शामिल किया गया है। इसमें मोदक का भी उल्लेख है। हालांकि, इस पुस्तक में मोदक को वर्सोपालगोलक कहा गया है।

इसके अलावा एलोरा की गुफाओं में भी भगवान गणेश की एक मूर्ति है, जिसमें वह मोदक के आकार की कोई चीज खाते हुए दिखते हैं। इसे ग्राफिक में देखिए।

सवाल: भगवान गणेश के प्रिय मोदक के आकार का क्या मतलब है?

जवाब: मोदक का आकार धन की पोटली की तरह होता है। इसलिए इसे धन और सुख समृद्धि का प्रतीक माना जाता है। इसके अलावा इसका आकार ऊपर की ओर इशारा करते हुए त्रिकोण सा नजर आता है। इसलिए इसे शिव और आध्यात्मिकता का प्रतीक भी माना जाता है।

सवाल: मोदक तैयार करने की सामग्री और तरीका क्या है?

जवाब: अगर घर पर ही मोदक बना रहे हैं तो हमें इसके लिए जरूरी सामग्री जुटानी होगी। सबसे पहले चावल का आटा, किसा हुआ नारियल, हरी इलायची, गुड़, नमक और घी जुटाना होगा।

सबसे पहले हमें स्टफिंग तैयार करनी होती है। इसके लिए किसे हुए नारियल को हल्की आंच में भून लेते हैं। फिर इसे ठंडा होने देते हैं। फिर गुड़ के पाउडर को पानी में उबाल लेते हैं, इसमें हरी इलायची मिलाते हैं। इसके बाद नारियल को मिलाकर अच्छे से मिक्स कर लेते हैं। इससे हमारी स्टफिंग तैयार हो जाती है।

अब बारी है डफ की। इसके लिए चावल का आटा लेकर उसमें पानी और नमक मिलाते हैं। इसे गूंथकर आधे घंटे तक अच्छे से फूलने के लिए छोड़ देते हैं। फिर आटे की छोटी लोई बनाकर उन्हें पूड़ी का आकार देते हैं। इसमें स्टफिंग भरकर मोदक का आकार प्रदान करते हैं। उसके बाद इन्हें स्टीम यानी भाप में अच्छे से पका लेते हैं। बस भगवान गणेश के प्रिय मोदक भोग के लिए तैयार हैं। इसे बनाने का तरीका नीचे ग्राफिक में देखिए।

सवाल: क्या मोदक के कोई हेल्थ बेनिफिट्स भी होते हैं?

जवाब: मोदक दिल की सेहत के लिए बहुत फायदेमंद होते हैं। चरक संहिता में भी इसका जिक्र किया गया है। इसे कई तरह के दोष में पाचन के संतुलन के लिए खाया जाता है। इसमें मौजूद घी, नारियल और सूखे मेवे जैसी सामग्री बैड कोलेस्ट्रॉल लेवल कम करके अच्छा कोलेस्ट्रॉल बढ़ाती हैं। मोदक मीठे होने के बावजूद डायबिटिक लोगों के लिए फायदेमंद होते हैं क्योंकि इसमें मिठास के लिए गुड़ का प्रयोग किया जाता है। गुड़ का ग्लाइसेमिक इंडेक्स चीनी की अपेक्षा काफी कम होता है। नारियल और सूखे मेवों में मौजूद एंटी ऑक्सीडेंट्स शरीर को हानिकारक फ्री रेडिकल्स से बचाते हैं और लंबे समय तक युवा बनाए रखते हैं।

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