11 दिन पहलेलेखक: शैली आचार्य
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क्या आपने कभी सोचा है कि हम जो खाना खाते हैं, वह पचने में कितना वक्त लेता है?
पहले दांत उसे चबाते हैं, फिर वह पेट में जाता है, फिर छोटी आंत से होकर बड़ी आंत में और अंत में जाकर किडनी के रास्ते शरीर से बाहर। काफी लंबी यात्रा तय करनी होती है हमारे भोजन को, इससे पहले कि वह शरीर को पोषण दे, ऊर्जा दे, दिमाग को ताकत दे और जीभ को स्वाद दे।
सुबह उठने से लेकर रात में सोने तक हम तरह-तरह की चीजें अपने पेट में डालते रहते हैं, जैसे डस्टबिन में कचरा। हमने तो खा लिया, लेकिन उसे पचाने के लिए मेहनत तो हमारे पेट को करनी पड़ती है।
नेशनल लाइब्रेरी ऑफ मेडिसिन की एक स्टडी के अनुसार, भारत में क्रॉनिक कॉन्स्टिपेशन एक आम समस्या है। इस स्टडी के मुताबिक 79% लोगों को क्रॉनिक कब्ज की शिकायत रहती है, 10% को यह समस्या कभी-कभी होती है और 10% को अक्सर होती है। वहीं पुरुषों की तुलना में महिलाएं क्रॉनिक कॉन्स्टिपेशन का शिकार ज्यादा होती हैं।
आज ‘सेहतनामा’ में हम बात करेंगे कि शरीर में खाना कितने वक्त में पचता है? साथ ही जानेंगे कि-
- हमारा डायजेस्टिव सिस्टम कैसे काम करता है?
- कौन सी चीजें पचाना सबसे मुश्किल है?
- आसानी से पचने वाले फूड कौन से हैं?
हमारा डायजेस्टिव सिस्टम कैसे काम करता है?
ये तो हम सबने साइंस की किताबों में पढ़ा है कि हमारा पाचन तंत्र कई चरणों में बंटा हुआ है। तो चलिए, डिटेल में जानते हैं कि पाचन तंत्र काम कैसे करता है और भोजन को पचाने में कितना समय लगता है?
नीचे दिए ग्राफिक से समझिए-
कुल मिलाकर ऊपर डायग्राम में दिए शरीर के इन पांच हिस्सों की फूड डायजेशन में प्रमुख भूमिका होती है। पाचन की प्रक्रिया में फूड इन पांच चरणों से होकर गुजरता है।
डायजेशन के पांच चरण
- पहला चरण- च्युइंग और स्वालोइंग यानी खाना चबाना और निगलना।
- दूसरा चरण- फूड का पेट में जाना।
- तीसरा चरण- फूड चर्निंग यानी उसका छोटे-छोटे मॉलीक्यूल्स में टूटना।
- चौथा चरण- फूड का स्मॉल इंटेस्टाइन (छोटी आंत) से लार्ज इंटेस्टाइन (बड़ी आंत) में पहुंचना।
- पांचवा चरण- न्यूट्रिएंट्स का ब्लड सेल्स में मिलना और वेस्ट मटेरियल का बाहर निकलना।
अब नीचे दिए पॉइंटर्स में भोजन के पाचन से जुड़ी प्रक्रिया को डिटेल में समझिए-
- वैसे तो खाना पचाने की प्रक्रिया मुंह से ही शुरु हो जाती है। हमारे मुंह में जो स्लाइवा (लार) है, वो फूड के स्टार्च को ब्रेक करने का काम करता है। स्लाइवा में मौजूद एंजाइम्स का काम है फूड डायजेशन की प्रक्रिया में पहला योगदान देना।
- हमारा मुंह दिन भर में तकरीबन एक लीटर स्लाइवा बनाता है। जब हम भोजन को चबाते हैं तो यह जिस फॉर्म में तब्दील होता है, उसे विज्ञान की भाषा में कहते हैं बोलस (bolus)।
- हमारे इसोफेगस यानी भोजन की नली के दोनों छोरों पर मसल्स का बना एक दरवाजा होता है, जो तभी खुलता है, जब भोजन पहुंचता है। एक दरवाजा मुंह के सिरे पर और दूसरा अमाशय के सिरे पर होता है।
- खाना इसोफेगस से गुजरते हुए पेट में पहुंचता है। यहां पेट में तीन एंजाइम रिलीज होते हैं- हाइड्रोक्लोरिक एसिड, म्यूकस और पेप्सिन।
- पता है, पेट के अंदर ढेर सारा हाइड्रोक्लोरिक एसिड होता है। वही हाइड्रोक्लोरिक एसिड, जिसका इस्तेमाल फर्श की सफाई और कपड़ों के दाग छुड़ाने में भी किया जाता है। यह हाइड्रोक्लोरिक एसिड काफी खतरनाक भी होता है।
- यूं समझ लीजिए कि पेट खुद को इस एसिड से बचाकर रखता है। इसीलिए पेट की दीवारों पर प्रोटेक्शन के लिए म्यूकस की एक मोटी लेयर होती है वरना ये एसिड पेट को ही खा जाए।
- हमारे पेट में एक छोटा सा अंग अग्नाशय (पैंक्रियाज) होता है, जो हमारे शरीर के लिए सबसे महत्वपूर्ण और निर्णायक एंजाइम बनाता है- इंसुलिन। इंसुलिन का काम है खून से अतिरिक्त शुगर को साफ करना और उसे फैट सेल्स में बदलकर कोशिकाओं में डिपॉजिट करना।
- छोटी आंत में जो एब्जॉर्व होने से बच जाता है, वो बड़ी आंत में पहुंचता है यानी कि फाइबर। बड़ी आंत में अरबों की संख्या में माइक्रोब्स होते हैं, जो फाइबर खाते हैं।
- माइक्रोब्स यानी वो अरबों बैक्टीरिया, जो हमारे पेट में ही रहते हैं, खाते हैं, सोते हैं, पॉटी करते हैं और बदले में हमें ढेर सारा पोषण देते हैं। अगर उन्हें अपना फेवरेट फूड फाइबर खाने को न मिले तो वो पेट की म्यूकस लेयर को ही खाने लगते हैं। इसलिए उन्हें फाइबर खिलाना और खुश रखना बहुत जरूरी है।
- इसलिए डॉक्टर हमेशा कहते हैं कि भोजन में ढेर सारा फाइबर होना चाहिए।
- आमतौर पर भोजन को पचने में 24 से 72 घंटे का समय लगता है। यह इस पर निर्भर करता है कि आपने किस तरह का भोजन किया और कितनी मात्रा में खाया।
- पाचन में लगने वाला समय आपके मेटाबॉलिकल रेट, जेंडर, उम्र, गट माइक्रोब्स की संख्या से भी तय होता है। और इस बात से कि आपको कोई डाइजेस्टिव समस्या तो नहीं है।
- 6 से 8 घंटे के भीतर भोजन मुंह से शुरू करके बड़ी आंत तक पहुंचने की प्रक्रिया पूरी कर चुका होता है।
- बड़ी आंत में पहुंचने के बाद वह वहां 24 घंटे तक रहता है। बारीक मॉलीक्यूलर लेवल पर उसके ब्रेक डाउन की प्रक्रिया वहीं पूरी होती है।
- मीट, मछली आदि प्रोटीन रिच फूड को पूरी तरह पचने में दो दिन तक का समय लग सकता है क्योंकि ये कॉम्प्लेक्स मॉलीक्यूल्स होते हैं।
- वहीं सब्जियां और फल, जिनमें फाइबर ज्यादा होता है, वह एक दिन के भीतर अपने पाचन की प्रक्रिया पूरी कर लेते हैं।
- सबसे जल्दी से पचने वाली चीजें होती हैं शुगर, हाइली अल्ट्रा प्रॉसेस्ड जंक फूड। ये चीजें छोटी आंत में ही पूरी तरह एब्जॉर्ब हो जाती हैं। घंटे भर के भीतर ही पच जाती हैं। इसलिए आपको तुरंत ही दोबारा भूख लग जाती है।
भोपाल की डाइटिशियन डॉ. अंजू विश्वकर्मा कहती हैं कि अच्छे पाचन के लिए लो फैट फूड और हरी सब्जियां-फल आदि डाइट में शामिल करना चाहिए। देर से पचने वाला खाना जैसे मीट-मटन, जंक फूड आदि से बचना चाहिए।
नीचे दिए ग्राफिक में देखिए कि कौन-सा भोजन पचने में सबसे ज्यादा वक्त लेता है।
ये तो हुई गरिष्ठ चीजों की बात। अब जानिए कि सबसे ज्यादा आसानी से कौन सी चीजें पचती हैं।
आसानी से पचने वाला फाइबर रिच फूड खाने से आपकी पाचन शक्ति मजबूत होगी और शरीर को ज्यादा पोषण मिलेगा। अब बात करते हैं कि अच्छे पाचन के आसान टिप्स की।