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Earbuds Side Effects; Earphones Vs Headphones Impact On Hearing | जरूरत की खबर- इयरबड्स से हो सकता है बहरापन: शोर को लेकर WHO की चेतावनी, कानों को तेज आवाज से बचाएं, बरतें 7 सावधानियां

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9 दिन पहलेलेखक: संदीप सिंह

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विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के मुताबिक, साल 2050 तक चार में से एक व्यक्ति की सुनने की क्षमता कमजोर हो सकती है। WHO की स्टडी में इसके कई कारण बताए गए हैं, जिनमें प्रमुख वजहों में से एक है इयरबड्स और इयरफोन का बढ़ता इस्तेमाल।

स्टडी के मुताबिक लगभग 65% लोग इयरबड्स, इयरफोन या हेडफोन से म्यूजिक, पॉडकास्ट या कुछ भी और सुनते हुए वॉल्यूम 85 DB (डेसीबल) से अधिक रखते हैं, जो कान के इंटरनल हिस्से के लिए बेहद नुकसानदायक है।

आजकल इयरबड्स या इयरफोन का इस्तेमाल म्यूजिक सुनने के अलावा सोशल मीडिया प्लेटफार्म पर रील्स और वीडियो देखने के लिए भी किया जाता है, जिनमें कई बार वॉल्यूम आउटपुट सामान्य से अधिक होता है। लंबे समय तक इनका इस्तेमाल करना कानों को नुकसान पहुंचाता है।

दुनिया की 5% से अधिक आबादी की सुनने की क्षमता कमजोर है। इसमें अधिकांश लोग निम्न और मध्यम आय वाले देशों में रहते हैं।

इसलिए आज जरूरत की खबर में बात करेंगे कि इयरबड्स या इयरफोन का इस्तेमाल करते समय किन बातों का ध्यान रखें? साथ ही जानेंगे कि-

  • म्यूजिक सुनते समय गैजेट्स को कितने वॉल्यूम पर सेट करना चाहिए?
  • कितनी देर से ज्यादा इयरफोन या इयरबड्स का इस्तेमाल नहीं करना चाहिए?

एक्सपर्ट: डॉ. गीता श्रीवास्तव, सीनियर कंसल्टेंट, ENT, धर्मशिला नारायणा अस्पताल, दिल्ली

सवाल- लंबे समय तक इयरफोन या इयरबड्स लगाने से कानों को क्या नुकसान पहुंचता है?

जवाब- डॉ. गीता श्रीवास्तव बताती हैं कि इयरफोन या इयरबड्स से उत्पन्न ध्वनि की तरंगें हमारे कानों तक पहुंचती हैं, जिससे कान का परदा कंपन करने लगता है। यह कंपन कान के कॉक्लिया (Cochlea) तक पहुंचती है।

कॉक्लिया एक खोखली सर्पिल आकार की हड्डी होती है, जो इंसान के कान के आंतरिक भाग में होती है। सुनने की प्रक्रिया में इसकी महत्वपूर्ण भूमिका होती है।

इसके अलावा इयरफोन की तेज आवाज से हियरिंग सेल्स को भी नुकसान पहुंचता है। हालांकि हियरिंग सेल्स को कितना नुकसान पहुंचेगा, यह इस पर निर्भर करता है कि-

  • आवाज कितनी तेज है?
  • तेज आवाज कितनी देर तक सुनी जा रही है?
  • एक लंबी अवधि में तेज आवाज से एक्सपोजर का समय कितना है?

तेज आवाज के लगातार और लंबे समय तक संपर्क में रहने से सुनने की क्षमता कम हो सकती है। साथ ही कान में इन्फेक्शन या बहरापन भी हो सकता है, जिसे दोबारा ठीक नहीं किया जा सकता।

नीचे दिए ग्राफिक से समझिए कि लंबे समय तक इयरफोन या इयरबड्स लगाने से किस तरह की समस्याएं हो सकती हैं।

सवाल- इयरबड्स और इयरफोन को कितने DB पर सुनना सही है?

जवाब- डॉ. गीता श्रीवास्तव बताती हैं कि डेसीबल (DB) आवाज मापने की एक इकाई है। 70 या उससे कम की आवाज हमारे कान की सुनने की क्षमता के लिए सेफ मानी जाती है। यह दो लोगों के बीच होने वाली सामान्य बातचीत की आवाज होती है।

अधिकांश पर्सनल म्यूजिक डिवाइस (इयरफोन, इयरबड्स) की आवाज 60% वॉल्यूम लेवल पर 75-80 DB की होती है। अगर आप 85 DB से ज्यादा की आवाज में लंबे समय तक कुछ सुनते हैं तो आपकी सुनने की क्षमता धीरे-धीरे कमजोर होने लगती है।

इयरफोन, इयरबड्स से फुल वॉल्यूम पर 110 DB की आवाज हो जाती है। DB बढ़ने के साथ सेफ लिसनिंग टाइम कम होता जाता है।

एक दिन में कुल 90 मिनट से ज्यादा इयरफोन, इयरबड्स का इस्तेमाल नहीं करना चाहिए।

सवाल- सेफ लिसनिंग के लिए किन बातों का ध्यान रखना चाहिए?

जवाब- पिछले कुछ सालों में इयरबड्स और इयरफोन यूजर्स की संख्या तेजी से बढ़ी है। आज ब्लूटूथ वायरलेस के इयरफोन की वजह से यूजिंग टाइम बढ़ गया है। लोग इयरबड्स या इयरफोन का इस्तेमाल ट्रैवलिंग, वर्कआउट, गेम खेलने, मूवी देखने या घर के छोटे-मोटे काम के दौरान खूब करते हैं।

लेकिन अगर आप हर रोज घंटों इयरबड्स का इस्तेमाल करते हैं तो बेहद जरूरी है कि आप इसके इस्तेमाल पर ध्यान दें और जितनी वॉल्यूम कानों के लिए सही है, उतनी ही वॉल्यूम में म्यूजिक सुनें।

नीचे दिए ग्राफिक से समझिए कि सेफ लिसनिंग के लिए किन बातों का ख्याल रखना चाहिए।

आइए ग्राफिक में दिए इन पॉइंट्स को विस्तार से समझते हैं।

  • अधिकतम वॉल्यूम और समय की अवधि के प्रतिशत के लिए 60/60 के नियम का पालन करें यानी अपने गैजेट्स का अधिकतम वॉल्यूम 60% से ज्यादा नहीं करना चाहिए।
  • इयरबड्स और इयरफोन का लगातार कुल 60 मिनट से ज्यादा इस्तेमाल नहीं करना चाहिए। साथ ही वॉल्यूम जितना तेज हो, उसकी अवधि उतनी ही कम होनी चाहिए।
  • इयरबड्स और इयरफोन की तुलना में हेडफोन एक बेहतर विकल्प है। हेडफोन बाहरी शोर को कम करने का काम करते हैं। इससे सीधे कान के छेद को नुकसान नहीं पहुंचता है। इसलिए जब भी आपके पास विकल्प हो तो हेडफोन चुनना बेहतर है।
  • पब्लिक ट्रांसपोर्ट में यात्रा के दौरान शोर-शराबे और ट्रैफिक की आवाज के कारण डेसिबल का स्तर बढ़ जाता है। इससे आपके काम को दोहरा नुकसान पहुंचता है। इसलिए पब्लिक ट्रांसपोर्ट में यात्रा करते समय इयरबड्स और इयरफोन लगाने से बचना चाहिए।
  • लंबे समय तक लाउडस्पीकर सुनने से आपके कानों को नुकसान पहुंचता है। इसलिए क्लब, लाइव म्यूजिक कॉन्सर्ट, खेल के मैदान या ऐसे कार्यक्रम जहां बहुत ज्यादा शोर हो, ऐसी जगह जाने से बचना चाहिए।
  • अगर आप किसी ऐसे स्थान पर जा रहे हैं जहां आप लंबे समय तक तेज आवाज के संपर्क में रहेंगे तो आप कान में प्लग या नॉइज कैंसिलेशन हेडफोन का इस्तेमाल कर सकते हैं। यह आपके आसपास के शोर और दूसरे साउंड को रोकने में मददगार होते हैं। यहां नॉइज कैंसिलेशन हेडफोन का मकसद गाना सुनना नहीं, बल्कि बाहर की आवाज और शोर से आपके कानों को प्रोटेक्ट करना है।

सवाल- बारिश के मौसस में इयरबड्स या इयरफोन को लेकर क्या सावधानियां बरतनी चाहिए?

जवाब- बारिश के मौसम में कानों की अतिरिक्त देखभाल करने की जरूरत होती है क्योंकि बारिश के मौसम में बैक्टीरिया, फफूंद, फंगल होने का खतरा ज्यादा रहता है। इसलिए इयरबड्स या इयरफोन को नियमित साफ करें। इससे इयरबड्स या इयरफोन पर मौजूद धूल या मिट्टी के छोटे-छोटे कण इयर कनाल तक नहीं पहुंचते हैं।

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