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Malaika Arora Father Suicide Reason | Mental Health Disorder | सेहतनामा- मलाइका अरोड़ा के पिता ने की आत्महत्या: विश्व में हर 40 सेकेंड में एक सुसाइड, 90% में कारण खराब मेंटल हेल्थ, कैसे समझें और

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15 मिनट पहलेलेखक: गौरव तिवारी

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बॉलीवुड एक्ट्रेस मलाइका अरोड़ा के पिता अनिल मेहता पंचतत्व में विलीन हो गए। पुलिस ने शुरुआती जांच में उनकी मौत की वजह आत्महत्या बताई है। जांच में पता चला है कि उन्होंने आखिरी बार अपनी दोनों बेटियों से फोन पर बात करते हुए कहा था, “आय एम सिक एंड टायर्ड।” (मैं बीमार और थका हुआ हूं।)

इसका मतलब है कि वह खुद को बहुत लाचार और निराश महसूस कर रहे थे। कुछ मीडिया रिपोर्ट्स में दावा किया गया है कि वह कुछ समय से बीमार थे, जबकि इसकी कोई आधिकारिक पुष्टि नहीं हुई है।

विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के मुताबिक, हर साल आत्महत्या के कारण दुनिया में 7 लाख 20 हजार से अधिक लोगों की मौत हो जाती है। नेशनल लाइब्रेरी ऑफ मेडिसिन में साल 2018 में पब्लिश एक स्टडी के मुताबिक, आत्महत्या के लगभग 90% मामलों के लिए कोई-न-कोई मेंटल हेल्थ डिसऑर्डर या मेंटल इलनेस जिम्मेदार है।

इसलिए आज ‘सेहतनामा’ में बात करेंगे आत्महत्या और मेंटल हेल्थ डिसऑर्डर के कनेक्शन की। साथ ही जानेंगे कि-

  • किसी के आत्महत्या करने के पीछे क्या कारण हो सकते हैं?
  • इसका हेल्थ से क्या कनेक्शन है?
  • क्या आत्महत्या से पहले लोग कुछ इशारा करते हैं?
  • क्या हम किसी को आत्महत्या करने से बचा सकते हैं?

हर 40 सेकेंड में आत्महत्या से 1 व्यक्ति की मौत

नेशनल लाइब्रेरी ऑफ मेडिसिन में पब्लिश एक रिपोर्ट के मुताबिक, पूरी दुनिया में होने वाली मौतों में लगभग 1.4% मौतों का कारण आत्महत्या है। दुनिया में हर साल 7 लाख से अधिक लोग आत्महत्या के कारण जान गंवा रहे हैं, जबकि भारत में हर साल लगभग पौने 2 लाख लोग आत्महत्या कर रहे हैं।

विश्व स्वास्थ्य संगठन के मुताबिक, पूरी दुनिया में हर 40 सेकेंड में एक व्यक्ति आत्महत्या से मर रहा है।

आत्महत्या से पहले दिखने लगते हैं निराशा के संकेत

कोई भी शख्स आत्महत्या की कगार पर एकाएक नहीं पहुंचता। इसके पीछे दिमाग में लंबे समय से एक तैयारी चल रही होती है। इसे आसान भाषा में ऐसे समझिए कि अगर किसी को अपने गांव से दिल्ली तक जाना है तो वह बैग तैयार करेगा, करीबी शहर के लिए बस या ऑटो लेगा, वहां से ट्रेन या फ्लाइट पकड़कर दिल्ली पहुंचेगा। उसके लिए गए ये रास्ते और टिकट बताते हैं कि वह कहां जा रहा है। इसी तरह अगर हम ध्यान से देखें तो अपने आसपास के लोगों को आत्महत्या के निर्णय से बहुत पहले ही उन्हें किसी और स्टेशन में उतारकर वापस ला सकते हैं।

आइए ग्राफिक से समझते हैं कि लोग आत्महत्या से पहले किस तरह के संकेत देते हैं।

हमारे शरीर का असली बॉस है ब्रेन, बाकी सब अंग इसके खिदमतगार

शरीर का असली बॉस हमारा ब्रेन होता है। इसे शरीर का राजा कह सकते हैं और शरीर के बाकी अंग इसके खिदमतगार हैं। यह राजा इन सबकी मदद से मिलकर शरीर नाम की सल्तनत चला रहा है। यह बहुत ईमानदार राजा है, जो हर हाल में और हर स्तर पर जाकर शरीर की रक्षा करता है।

इसका मतलब है कि हमारा ब्रेन हमें हर बीमारी, मुसीबत और हर मुश्किल से निकालने के लिए अपनी जान झोंक देता है। अब जरा सोचिए कि अगर यह राजा (ब्रेन) ही बीमार पड़ जाए तो क्या होगा। मतलब साफ है कि सल्तनत मुसीबत में पड़ जाएगी। यही बात कई स्टडीज कह रही हैं। आत्महत्या का विचार दिमाग में सिर्फ तभी आ सकता है, जब वह बीमार हो। इसीलिए आत्महत्या के 90% मामलों में मेंटल इलनेस या मेंटल हेल्थ डिसऑर्डर कारण होता है।

साथ ही इसके पीछे कई रिस्क फैक्टर्स भी हो सकते हैं। आइए ग्राफिक में देखते हैं।

कोई रास्ता न सूझने पर आत्महत्या करते हैं लोग

सेंटर्स फॉर डिजीज कंट्रोल एंड प्रिवेंशन के मुताबिक, जब कोई व्यक्ति आत्महत्या करने के बारे में सोचने लगता है तो इस स्थिति को साइकिएट्रिक सुसाइडल आइडिएशन कहते हैं। इसका मतलब है, आत्महत्या के ख्याल आना। जब किसी व्यक्ति को किसी मुश्किल से, बीमारी से या परिस्थिति से निकलने का कोई रास्ता नहीं सूझता है तो वह अपना जीवन समाप्त करने के बारे में सोचने लगता है।

आत्महत्या की तरफ बढ़ रहे व्यक्ति को कैसे बचा सकते हैं

अगर कोई व्यक्ति आत्महत्या के बारे में सोच रहा है तो उसके लिए अकेलापान सबसे घातक साबित हो सकता है। ऐसे में वह खुद को बहुत अलग-थलग और सबसे लाचार महसूस करता है और यही ट्रिगर पॉइंट बन जाता है। अगर आपको किसी व्यक्ति में आत्महत्या के संकेत मिल रहे हैं तो ये टिप्स मददगार हो सकते हैं।

  • निराशा और अवसाद के संकेत दे रहे व्यक्ति की मेंटल हेल्थ को तुरंत एड्रेस किया जाना जरूरी है। कई बार यह स्थिति काउंसिलिंग से बेहतर हो सकती है और कई बार क्लिनिकल मदद की जरूरत भी हो सकती है। ऐसे में क्लिनिकल साइकिएट्रिस्ट दवाइयों के जरिए डिप्रेशन के लक्षणों को कंट्रोल करने की कोशिश करते हैं।
  • अगर कोई बाईपोलर डिसऑर्डर, स्किड्जोफ्रेनिया जैसे मेंटल हेल्थ डिसऑर्डर का शिकार है तो उसे भी तत्काल क्लिनिकल मदद की जरूरत है।
  • आत्महत्या का ख्याल रखने वाले लोगों के साथ बैठकर उनको चुपचाप सुनना जरूरी है। उनसे बहुत आत्मीयता से बात करनी चाहिए ताकि वह खुलकर अपनी बात कह सकें।
  • उन्हें बीच में टोके बिना चुपचाप उनकी पूरी बात सुननी चाहिए। पूरी बात को समझे बिना अपना कोई मत नहीं बनाना चाहिए।
  • उनकी समस्या को समझने की कोशिश करनी चाहिए और उस समय कोई सलाह देने की बजाय समस्या को स्वीकार करना चाहिए। कभी भी यह नहीं कहना चाहिए कि ये तो कोई समस्या ही नहीं है।
  • हमें उनकी भावनाओं को समझने की कोशिश करनी चाहिए। उनका विश्वास पाकर किसी एक्सपर्ट से मदद लेनी चाहिए।

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