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Memory Loss Reasons (Yaddasht Badhane Ke Upay) Sleep Deprivation | Stress | रिलेशनशिप- क्या आप भी हर छोटी-छोटी बात भूलने लगे हैं: कैसे बढ़ाएं मेमोरी, हेल्दी लाइफस्टाइल जरूरी, साइकोलॉजिस्ट के 10 जरूरी सुझाव

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5 मिनट पहलेलेखक: शैली आचार्य

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क्या आप ऑफिस जाते वक्त अपनी घड़ी, वॉलेट, रूमाल वगैरह घर पर ही भूल जाते हैं। या फिर हर दिन कुछ-न-कुछ चीजें भूल रहे होते हैं। जैसे घर आने के बाद कार की हेडलाइट बंद की या नहीं। याद नहीं आया तो दोबारा चेक करने बाहर जाना पड़ा। कई बार गैस पर बर्तन चढ़ाकर भी भूल जाते हैं।

ऐसे कई वाकये आपके साथ होते होंगे, जो आपकी याददाश्त के कमजोर होने का अहसास दिलाते हैं। भूलने की ये आदत सामान्य हो सकती है। लेकिन इसे हंसी-मजाक में टालकर या छोटी-मोटी समस्या सोचकर नजरअंदाज नहीं करना चाहिए। यही आदत आगे चलकर गंभीर समस्या का रूप ले सकती है।

जैसे-जैसे उम्र बढ़ती है, वैसे-वैसे हमारी याददाश्त भी कमजोर होने लगती है। छोटी-छोटी बातों को याद रखना मुश्किल हो जाता है। इसके पीछे खराब लाइफस्टाइल एक मुख्य कारण हो सकता है।

मेडिसिन की भाषा में बातों को जल्दी भूल जाना, 5-10 मिनट बाद ही कुछ चीजों याद न रख पाना, इसे ही शॉर्ट-टर्म मेमोरी इम्पेयरमेंट कहते हैं।

नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ एजिंग के मुताबिक, इंसान की उम्र के साथ याददाश्त बदलती है। जैसे-जैसे लोग बड़े होते हैं, मस्तिष्क के साथ शरीर के सभी हिस्सों में बदलाव होते हैं। हमारी याददाश्त कमजोर होना इसके परिणामों में से एक है। जिन लोगों में यह कमी होने लगती है, वे कभी-कभी चीजें गलत जगह रख सकते हैं या बिल का भुगतान करना भूल सकते हैं।

किसी भी उम्र में कभी-कभी चीजें भूल जाना सामान्य बात है, लेकिन अगर यह आदत में आ जाए तो इसका निवारण जरूरी है।

तो आज ‘रिलेशनशिप’ कॉलम में बात करेंगे याददाश्त के कमजोर होने के क्या कारण हैं। साथ ही जानेंगे कुछ स्ट्रेटजीज के बारे में, जो हमारी याददाश्त को मजबूत कर सकती हैं।

उम्र बढ़ने के साथ मेमोरी लॉस होना कितना नॉर्मल

याददाश्त का कमजोर होना तब एक समस्या बन जाती है, जब यह आपके सामान्य जीवन पर नकारात्मक असर डालने लगती है। अगर आपको दाएं या बाएं मुड़ना याद नहीं रहता तो यह कोई बड़ी समस्या नहीं है। हालांकि, यह भूल जाना कि आप गाड़ी क्यों चला रहे हैं, आपको कहां जाना है या यहां तक कि गाड़ी कैसे चलानी है तो यह गंभीर बात है।

इसी तरह आपने घर की किसी अलमारी में जरूरी कागजात रखे हैं। उनकी जरूरत अचानक पड़ गई और आप हड़बड़ाहट में उन्हें ढूंढ रहे हैं, लेकिन याद नहीं आ रहा कि वह कहां रखे हैं। कई बार वह सामने होते हुए भी नजर नहीं आते। यह सब भी याददाश्त कमजोर होने की वजह से होता है।

जीवन में हुई घटनाओं का भी दिमाग पर पड़ता गहरा असर

जीवन में होने वाली बड़ी, दर्दनाक या तनावपूर्ण घटनाएं भी याददाश्त की समस्याएं पैदा कर सकती हैं। जैसे हाल ही में हुए रिटायरमेंट या अपने जीवनसाथी की मृत्यु से जूझ रहे किसी व्यक्ति को दुख, अकेलापन, चिंता या तनाव महसूस हो सकता है। तनाव और नकारात्मक भावनाएं दिमाग पर गहरा असर डालती हैं। जीवन में होने वाले ऐसे बदलावों और भावनाओं से निपटने की कोशिश करने से कुछ लोग भ्रमित हो जाते हैं। वे धीरे-धीरे बातों और चीजों को भूलने लगते हैं।

नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ एजिंग के मुताबिक, नकारात्मक भावनाओं से होने वाली याददाश्त से जुड़ी समस्याएं आमतौर पर अस्थायी होती हैं और तनाव के कम होने पर ये ठीक हो जाती हैं। सक्रिय रहना, सामाजिक रूप से जुड़े रहना और नए कौशल सीखकर उपलब्धि की भावना का अनुभव करना मेमोरी और मूड दोनों को बेहतर बनाने में मदद कर सकता है।

स्वस्थ्य जीवनशैली अपनाना है जरूरी

जीवन शैली को स्वस्थ्य बनाए रखना बहुत जरूरी है। इसके लिए एंटीऑक्सीडेंट, विटामिन और पोषण तत्वों से भरपूर संतुलित आहार लें। डॉक्टर्स का भी यही कहना है कि नियमित शारीरिक व्यायाम भी बहुत जरूरी है क्योंकि यह मस्तिष्क में रक्त के प्रवाह को बढ़ाता है, न्यूरोजेनेसिस को बढ़ावा देता है और नए न्यूरॉन्स का निर्माण करता है।

जब हमारी दिनचर्या व्यवस्थित नहीं होती तो भूलने की समस्या सबसे ज्यादा हो सकती है। पहले आप अपनी दिनचर्या सही करें, जैसे कितने बजे उठना है, व्यायाम के बाद नाश्ता कब करना है, इसका समय तय करें।

  • अगर ऑफिस जाते हैं और घर से उसकी दूरी आधे घंटे की है तो दस मिनट पहले ही सामान गाड़ी में रखें, इससे सामान भूलेंगे नहीं।
  • ऑफिस ले जाने वाला सामान जैसे लैपटॉप बैग, लंच, पर्स, मोबाइल, ईयरफोन, डायरी को एक ही जगह पर रखें। इससे कोई भी सामान ले जाना नहीं भूलेंगे।
  • लौटकर इनको वापस जगह पर रखें। रात को क्या-क्या करना है, उसका समय भी तय करें।
  • ऐसा करना आपकी आदत में आ जाएगा और आपको चीजें याद रहेंगी।

संगीत ब्रेन के न्यूरोट्रांसमिटर्स को करता एक्टिवेट

दुनिया भर में हुई कई स्टडीज ये कहती हैं कि संगीत ब्रेन के न्यूरोट्रांसमिटर्स को एक्टिवेट करता है। इससे दिमाग तेज होता है। नेशनल लाइब्रेरी ऑफ मेडिसिन की एक स्टडी के मुताबिक, तनाव कम करने के लिए कोई भी म्यूजिकल इंस्ट्रूमेंट बजाना फायदेमंद हो सकता है। साथ ही इससे और भी फायदे होते हैं। जैसेकि एंग्जाइटी कम होना, कम्युनिकेशन स्किल बेहतर होना और इमोशनल इंटेलिजेंस डेवलप होना।

लिखकर याद रखें, कैलेंडर साथ रखें

लिखकर याद रखना सबसे अच्छा तरीका है। आज कौन-कौन से काम करने हैं, कौन-से काम अभी तक नहीं हुए और दिन भर में क्या-क्या काम करने हैं, ये सब एक डायरी में नोट कर लें। साथ में सारे जरूरी फोन नंबर्स, दोस्तों और परिजनों के जन्मदिन व सालगिरह की तारीख, अप्वाइंटमेंट्स लिख सकते हैं। वहीं पॉकेट कैलेंडर में डेट के सामने नोट्स लिख सकते हैं। इस कैलेंडर को हमेशा अपने पर्स में या बिस्तर के नीचे रखें। रोज सुबह एक नजर जरूर डालें।

नियमित नींद का पैटर्न जरूरी

अच्छी नींद यादों को मजबूत करने में मदद करती है। रात में पूरी नींद लेने से मस्तिष्क के टॉक्सिक पदार्थों को साफ करने में मदद मिलती है। इससे हमारे दिमाग को भी रेस्ट मिलता है। नींद पूरी होने के बाद हमारा दिमाग तेज चलता है, हम हर काम बेहतर तरीके से कर पाते हैं।

अमेरिका के पेरेलमैन स्कूल ऑफ मेडिसिन की एक स्टडी में पाया गया है कि नींद से मेमोरी में 20 से 40% तक सुधार होता है।

मेमोरी बढ़ाने में शतरंज जैसे खेल मददगार

2019 की एक स्टडी में यह भी पाया गया कि शतरंज की प्रैक्टिस करने वाले बच्चों में पर्सपेक्टिव डेवलप होता है। बता दें कि ‘मैग्नस’, ‘ब्रुकलिन कैसल’ और ‘द क्वीन ऑफ कैटवे’ इन सभी फिल्मों में युवाओं को कॉम्पिटिटिव चेस की दुनिया में महानता की ओर बढ़ते हुए दिखाया गया है।

तो अगर आपको भी भूलने की आदत है तो ऊपर दी गई तकनीकों को अपना कर आप अपनी याददाश्त तेज कर सकते हैं।

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