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Men Breast Cancer Symptoms; Types – Reason | DCIS | सेहतनामा- पुरुषों को भी हो सकता है ब्रेस्ट कैंसर: ये 8 लक्षण दिखें तो हो जाएं सावधान, डॉक्टर से जानें बचाव के उपाय

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15 मिनट पहलेलेखक: शिवाकान्त शुक्ल

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आमतौर पर यह माना जाता है कि ब्रेस्ट कैंसर सिर्फ महिलाओं को होने वाली बीमारी है। लेकिन ये सच नहीं है। अन्य कैंसरों की तरह ब्रेस्ट कैंसर भी महिला और पुरुष दोनों को हो सकता है। हालांकि महिलाओं की तुलना में पुरुषों में ये काफी रेयर है।

नेशनल लाइब्रेरी ऑफ मेडिसिन में पब्लिश स्टडी के मुताबिक, भारत के एक कैंसर रिसर्च इंस्टीट्यूट में 10 सालों तक ब्रेस्ट कैंसर के मरीजों पर स्टडी की गई। जनवरी, 2005 से दिसंबर 2014 के बीच इस स्टडी में कुल 1752 मरीजों को शामिल किया गया। स्टडी के अनुसार, 1752 मरीजों में मेल ब्रेस्ट कैंसर के सिर्फ 18 मामले थे। इन मरीजों की औसत उम्र 60 वर्ष थी।

विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के मुताबिक, मेल ब्रेस्ट कैंसर काफी रेयर बीमारी है। कुल ब्रेस्ट कैंसर के मामलों में इसके मात्र 0.5-1% केस दर्ज किए जाते हैं। लेकिन फिर भी इस बारे में जानकारी होनी बहुत जरूरी है।

तो आज सेहतनामा में हम मेल ब्रेस्ट कैंसर के बारे में बात करेंगे। साथ ही जानेंगे कि-

  • पुरुषों में ब्रेस्ट कैंसर क्यों होता है?
  • इसके क्या लक्षण हैं?
  • मेल ब्रेस्ट कैंसर से कैसे बचा जा सकता है?

मेल ब्रेस्ट कैंसर क्या है?

मेल ब्रेस्ट कैंसर में पुरुषों के ब्रेस्ट टिश्यू में कैंसर सेल्स डेवलप होने लगते हैं। ये सेल्स तब डेवलप होते हैं, जब ब्रेस्ट टिश्यूज की सेल्स अनियंत्रित रूप से बढ़ती हैं। आमतौर पर पुरुषों में ब्रेस्ट कैंसर 50 की उम्र के बाद ही होता है।

मेल ब्रेस्ट कैंसर कितनी तरह का होता है?

वुमन ब्रेस्ट कैंसर की तरह ही मेल ब्रेस्ट कैंसर भी कई तरह के होते हैं। इसे नीचे पॉइंटर्स से समझिए-

इनवेसिव डक्टल कार्सिनोमा (IDC): ये सबसे कॉमन ब्रेस्ट कैंसर है। ये कैंसर ब्रेस्ट की डक्ट्स (Ducts) यानी नलिकाओं में शुरू होता है और ब्रेस्ट के आसपास के टिश्यूज पर हमला करता है। यह आसपास के दूसरे टिश्यूज में भी फैल सकता है।

लोब्यूलर ब्रेस्ट कैंसर: यह ब्रेस्ट कैंसर का दूसरा सबसे आम प्रकार है। इसे इनवेसिव लोब्युलर कार्सिनोमा या (ILC) भी कहा जाता है। यह ब्रेस्ट के लोब्यूल्स यानी ब्रेस्ट ग्लैंड्स में डेवलप होता है और फिर आसपास के टिश्यूज पर हमला करता है।

डक्टल कार्सिनोमा इन सीटू (DCIS): ये ब्रेस्ट कैंसर का एक शुरुआती फेज है। इस कंडीशन में कैंसर सेल्स ब्रेस्ट डक्ट्स तक ही सीमित रहती हैं और आसपास के टिश्यूज पर हमला नहीं करती हैं।

इसके अलावा मेल ब्रेस्ट कैंसर के दुर्लभ प्रकारों में इन्फ्लेमेटरी ब्रेस्ट कैंसर भी हाे सकता है।

मेल ब्रेस्ट कैंसर के क्या लक्षण हैं?

मेल ब्रेस्ट कैंसर के लक्षण लगभग फीमेल ब्रेस्ट कैंसर की तरह ही होते हैं। नीचे ग्राफिक से इसके लक्षणों को समझिए-

मेल ब्रेस्ट कैंसर किन वजहों से होता है?

मेल ब्रेस्ट कैंसर ज्यादातर खराब लाइफस्टाइल और जेनेटिक कारणों से होता है। ब्रेस्ट में गांठ तब बनती है, जब हेल्दी सेल्स कैंसर सेल्स में बदल जाती हैं। हेल्दी सेल्स के विपरीत कैंसर सेल्स तेजी से बढ़ती हैं।

मेल ब्रेस्ट कैंसर का खतरा किन्हें सबसे अधिक है?

मेल ब्रेस्ट कैंसर ज्यादातर 50 की उम्र के बाद होता है। हालांकि कुछ लोगों को इसका खतरा ज्यादा होता है। इसे नीचे पॉइंटर्स से समझिए-

  • जिनके परिवार में पहले किसी को ब्रेस्ट कैंसर हुआ है।
  • जो लोग मोटापे का शिकार हैं।
  • जो लोग ज्यादा शराब पीते हैं।
  • जिनकी लाइफस्टाइल बेहद खराब है।
  • जिनकी बॉडी में एस्ट्रोजेन हॉर्मोन लेवल अधिक है।

मेल ब्रेस्ट कैंसर का पता कैसे लगाया जाता है?

इसका पता लगाने के लिए डॉक्टर्स लक्षणों, ब्रेस्ट कैंसर की फैमिली हिस्ट्री और अन्य जोखिम कारकों के बारे में जानकारी लेते हैं। इसके बाद कुछ टेस्ट्स कराते हैं। इसे नीचे पॉइंटर्स से समझिए-

ब्रेस्ट एग्जामिनेशन: इसके जरिए डॉक्टर ब्रेस्ट टिश्यू, स्किन में बदलाव, गांठ या अन्य असामान्यताओं की जांच करते हैं।

इमेजिंग टेस्ट्स: अधिकांश मेल ब्रेस्ट कैंसर का पता मैमोग्राम से लगाया जा सकता है। मैमोग्राम एक लो डोज वाला एक्स-रे है, जो ब्रेस्ट टिश्यू की तस्वीरें लेता है। इसके अलावा डॉक्टर्स अल्ट्रासाउंड भी करा सकते हैं। ब्रेस्ट टिश्यू की तस्वीरें लेने के लिए अल्ट्रासाउंड में साउंड वेव्स का इस्तेमाल किया जाता है।

बायोप्सी: डॉक्टर्स ब्रेस्ट टिश्यू में कैंसर सेल्स का पता लगाने के लिए बायोप्सी कराते हैं। इसके लिए वे ट्यूमर से टिश्यू निकालते हैं और उसे टेस्ट के लिए लैब में भेजते हैं। इन टेस्ट्स के जरिए कैंसर और उसकी मौजूदा स्थिति की जानकारी मिलती है।

मेल ब्रेस्ट कैंसर का इलाज कैसे होता है?

ऑन्कोलॉजिस्ट डॉ. समित पुरोहित बताते हैं कि मेल ब्रेस्ट कैंसर का इलाज महिलाओं में होने वाले ब्रेस्ट कैंसर की तरह ही होता है। समय पर इलाज मिलने पर मेल ब्रेस्ट कैंसर को पूरी तरह ठीक किया जा सकता है। इसका इलाज किन तरीकों से किया जाता है। इसे नीचे पॉइंटर्स से समझिए-

सर्जरी: शुरुआती फेज के ब्रेस्ट कैंसर में सर्जरी एक सबसे आम इलाज है। इसके लिए पूरे ब्रेस्ट को हटाने की सर्जरी (मास्टेक्टॉमी) केवल ट्यूमर को हटाने की सर्जरी (लम्पेक्टॉमी) की जाती है।

रेडिएशन थेरेपी: इसमें कैंसर सेल्स को मारने के लिए एक्स-रे या अन्य एनर्जी सोर्स का इस्तेमाल किया जाता है। रेडिएशन आमतौर पर सर्जरी (लम्पेक्टॉमी) के बाद किया जाता है ताकि बची हुई कैंसर सेल्स को मारा जा सके।

कीमोथेरेपी: इसमें कैंसर सेल्स को मारने और ट्यूमर को बढ़ने से रोकने के लिए दवाओं का इस्तेमाल किया जाता है। कीमो ट्रीटमेंट कई हफ्तों या महीनों तक चल सकता है। कैंसर के फेज और सर्जरी के प्रकार के आधार पर कीमोथेरेपी और रेडिएशन थेरेपी मिल सकती है।

हार्मोन थेरेपी: डॉक्टर एस्ट्रोजन लेवल को कम करने या उनके प्रभावों को रोकने के लिए हार्मोन थेरेपी का इस्तेमाल करते हैं। अगर कैंसर सेल्स ग्रोथ के लिए एस्ट्रोजन जैसे हार्मोन का इस्तेमाल करती हैं तो इसके जरिए उसका इलाज किया जाता है।

टारगेटेड थेरेपी: इससे कैंसर सेल्स के ग्रोथ प्रोसेस को ‘टारगेट’ किया जाता है या उनमें इंटरफेयर किया जाता है। टारगेटेड थेरेपी केवल खास प्रकार की कैंसर सेल्स पर काम करती है। डॉक्टर्स कंडीशन के अनुसार इनमें से किसी थेरेपी के जरिए मेल ब्रेस्ट कैंसर का इलाज करते हैं।

मेल ब्रेस्ट कैंसर के खतरे से बचने के लिए क्या करें?

डॉ. समित पुरोहित बताते हैं कि कुछ सावधानी और जागरूकता के साथ मेल ब्रेस्ट कैंसर से बचा जा सकता है। इसे नीचे ग्राफिक से समझिए-

महिलाओं की तुलना में पुरुषों में ब्रेस्ट कैंसर ज्यादा खतरनाक

महिलाओं की तुलना में मेल ब्रेस्ट कैंसर ज्यादा खतरनाक होता है क्योंकि पुरुषों में इसका पता काफी लेट स्टेज में चलता है। अक्सर पुरुष इसके लिए कोई स्क्रीनिंग नहीं करवाते। ऐसे में लेट स्टेज में पता लगने से इसका इलाज भी मुश्किल हो जाता है। अमेरिकन ब्रेस्ट कैंसर रिसर्च फाउंडेशन के मुताबिक, मेल ब्रेस्ट कैंसर के रोगियों की मृत्यु दर महिलाओं की तुलना में 19% अधिक है।

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