25 मिनट पहलेलेखक: संदीप सिंह
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मध्यप्रदेश के सीधी जिले में 7 आदिवासी छात्राओं के साथ रेप की घटना हुई। जब इस मामले की पड़ताल की गई तो पता चला कि आरोपी मैजिक वॉयस ऐप का इस्तेमाल करते थे और कॉलेज की महिला टीचर की आवाज में छात्राओं से बात करते थे। छात्राओं को स्कॉलरशिप के लिए डॉक्यूमेंट देने के नाम पर सुनसान जगह पर बुलाते थे।
एआई का इस्तेमाल करके महिलाओं के खिलाफ जघन्य अपराध की यह दिल दहला देने वाली घटनाएं टेक्नोलॉजी पर भी कई गंभीर सवाल खड़े करती हैं।
आज के दौर में आवाज के साथ हेर-फेर करना बेहद आसान है। गूगल प्ले स्टोर और एप्पल ऐप स्टोर पर कई ऐसे एप्लिकेशन मौजूद हैं, जिनमें कॉल करते समय आवाज बदली जा सकती है।
इसके अलावा AI (आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस) वॉयस क्लोनिंग के जरिए भी किसी की भी आवाज को बेहद सफाई से कॉपी किया जा सकता है।
यही वजह से है कि वॉयस कॉल के जरिए स्कैम और साइबर क्राइम की घटनाएं बढ़ रही हैं।
इसलिए आज जरूरत की खबर में बात करेंगे कि वॉयस चेजिंग ऐप और वॉयस क्लोनिंग कितनी खतरनाक है? साथ ही जानेंगे कि-
- किसी की भी आवाज कैसे कॉपी की जा सकती है?
- इस तरह की धोखाधड़ी से कैसे बच सकते हैं?
एक्सपर्ट: ईशान सिन्हा, साइबर एक्सपर्ट (नई दिल्ली)
सवाल- वॉयस चेजिंग ऐप और वॉयस क्लोनिंग में क्या अंतर है?
जवाब- वॉयस चेजिंग एप्लिकेशन का इस्तेमाल करके न केवल आवाज की पिच और टोन बदली जा सकती है, बल्कि किसी व्यक्ति, बच्चे, बुजुर्ग, महिला की आवाज या किसी कम्प्यूटराइज्ड आवाज में कॉल की जा सकती है।
जबकि वॉयस क्लोनिंग में AI का इस्तेमाल करके केवल तीन या चार सेकंड के ऑडियो से किसी भी आवाज की कॉपी की जा सकती है। AI वॉयस को क्लोनिंग के बाद पहचानना बेहद मुश्किल है। पहली बार में आवाज हू-ब-हू मिलती-जुलती लगती है।

सवाल- साइबर क्रिमिनल्स वॉयस चेजिंग ऐप या वॉयस क्लोनिंग के जरिए किन लोगों को अपना शिकार बनाते हैं?
जवाब- वॉयस चेजिंग टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल करके किसी को भी स्कैम का शिकार बनाया जा सकता है। लेकिन पिछले कुछ मामलों में देखा गया है कि साइबर क्रिमिनल का प्राइमरी टारगेट टीनएजर्स, महिलाएं या बुजुर्ग होते हैं।
सवाल- नकली वॉयस कॉल को कैसे पहचान सकते हैं?
जवाब- AI वॉयस क्लोन को पहचानने के कई तरीके हैं। इन्हें इन पॉइंट्स के जरिए देख सकते हैं।
- अगर नए नंबर से किसी परिचित की आवाज में कॉल आता है तो सावधान रहने की जरूरत है। अधिकांश मामलों में देखा गया है कि साइबर क्रिमिनल रात में फोन करते हैं।
- साइबर क्रिमिनल AI के जरिए वॉयस क्लोनिंग करके तुरंत कोई इमरजेंसी बताते हैं। जैसेकि पैसे की तुरंत जरूरत है। ऐसी स्थिति में बिल्कुल घबराना नहीं चाहिए।
- AI वॉयस क्लोन को पहचानने का सबसे आसान तरीका है, बातचीत का अंदाज पहचानना। कॉलर के शब्दों और उच्चारण को बहुत ध्यान से सुनें। इस बात का ध्यान रखें कि कॉलर की आवाज और बातचीत का तरीका क्या असली व्यक्ति की टोन, उसके बात करने के तरीके से मैच कर रहा है क्योंकि AI से किसी की आवाज तो कॉपी की जा सकती है, लेकिन उसके बात करने का तरीका और अंदाज कॉपी नहीं किया जा सकता।
- कोई नए नंबर से कॉल करके आपसे सीधे पैसे मांगता है तो सतर्क और सावधान रहें और जानकारी को क्रॉस वेरिफाई जरूर करें।
- अगर अनजान नंबर से आए कॉल पर आपकी निजी जानकारी जैसे घर का पता, बैंक अकाउंट, OTP मांगता है तो कभी भी शेयर न करें।
हाल ही में ट्रूकॉलर(Truecaller) ने AI वॉयस कॉल स्कैम और फेक कॉल्स से लोगों को बचाने के लिए AI कॉल स्कैनर फीचर लॉन्च किया है।
इस फीचर की मदद से कॉल को सुनकर असली इंसान की आवाज है या किसी मशीन की नकली आवाज है, यह आसानी से पता किया जा सकता है।
हालांकि यह फीचर अभी सिर्फ अमेरिका में शुरू हुआ है। जल्द ही यह भारत में भी आ सकता है।
सवाल- फेक वॉयस कॉल स्कैम से कैसे बच सकते हैं?
जवाब- साइबर एक्सपर्ट ईशान सिन्हा कहते हैं कि पिछले कुछ समय में AI वॉयस क्लोनिंग या वॉइस चेंजर ऐप के जरिए स्कैम की घटनाएं बढ़ी हैं।
इसका बड़ा कारण है कि इस तरह के ऐप्स और टूल्स बिल्कुल फ्री होते हैं, जिससे हैकर्स आसानी से किसी को भी इमोशनली ब्लैकमेल करके या लालच देकर अपने झांसे में फंसा लेते हैं।
हमेशा ध्यान रहे कि किसी अनजान कॉल के प्रलोभन में न आएं। अगर कोई कॉल के जरिए डराने-धमकाने का प्रयास करे तो तुरंत नजदीकी पुलिस स्टेशन में इसकी शिकायत करें।
नीचे दिए ग्राफिक से समझिए कि फेक वॉयस कॉल स्कैम से बचने के लिए किन बातों का ध्यान रखना चाहिए।

पिछले कुछ सालों में साइबर क्राइम की घटनाएं तेजी से बढ़ी हैं। साइबर क्रिमिनल हर रोज ठगी के नए-नए तरीके ईजाद कर रहे हैं। ऐसे में डिजिटल प्लेटफार्म पर बेहद सावधान और सतर्क रहने की जरूरत है। किसी अनजान नंबर से फर्जी कॉल आने पर www.cybercrime.gov.in पर शिकायत दर्ज कराएं। इस पोर्टल पर दर्ज शिकायतों को साइबर क्राइम पुलिस द्वारा संज्ञान में लिया जाता है। इसके अलावा Cyber Crime Help Line (Toll Free) नंबर 1930 पर शिकायत दर्ज कराएं।