3 मिनट पहलेलेखक: संदीप सिंह
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हाल ही में भारतीय क्रिकेटर सरफराज खान के भाई मुशीर खान कार एक्सीडेंट में घायल हो गए। वे अपने पिता नौशाद खान के साथ ईरानी कप में हिस्सा लेने के लिए आजमगढ़ से लखनऊ जा रहे थे। इसी दौरान पूर्वांचल एक्सप्रेस-वे पर उनकी तेज रफ्तार फॉर्च्यूनर पलट गई। मुशीर की गर्दन में चोट आई है और फिलहाल वह खतरे से बाहर हैं।
उत्तर प्रदेश एक्सप्रेस-वे इंडस्ट्रियल डेवलपमेंट अथॉरिटी (UPEIDA) के मुताबिक कार की स्पीड 150 से 160 के बीच थी। इस वजह से ड्राइवर ने अचानक कंट्रोल खो दिया।
टोयोटा कंपनी की फॉर्च्यूनर कार की सेफ्टी रेटिंग 5 है। इसलिए इसे बहुत ही सुरक्षित कार माना जाता है। शायद यही वजह थी कि मुशीर के साथ गाड़ी में सवार सभी लोग खतरे से बाहर हैं।
लेकिन क्या आप भी कार खरीदते समय उसकी सेफ्टी रेटिंग देखते हैं। हम भारतीय कार खरीदते समय सबसे पहले उसका लुक, माइलेज और कीमत देखते हैं, लेकिन इन सबसे कहीं ज्यादा जरूरी है, कार के सेफ्टी फीचर्स और उसकी सेफ्टी रेटिंग देखना।
इसलिए आज जरूरत की खबर में बात करेंगे कार सेफ्टी रेटिंग की। साथ ही जानेंगे कि-
- सेफ्टी रेटिंग का क्या मतलब होता है?
- सेफ्टी रेटिंग कैसे दी जाती है?
- कार लेने से पहले किन बातों का ख्याल रखना जरूरी है?
सवाल- नई कार कितनी सेफ है, यह कैसे पता कर सकते हैं?
जवाब- ग्लोबल न्यू कार असेसमेंट प्रोग्राम (GNCAP) द्वारा कार की सेफ्टी को लेकर 1 से 5 तक रेटिंग दी जाती है। इस रेटिंग के लिए कारों को कई तरह के टेस्ट से गुजरना पड़ता है। इन्हीं टेस्ट के आधार पर कारों की सेफ्टी का पता चलता है। ये सेफ्टी बड़ों और बच्चों, दोनों के लिए अलग-अलग होती है। भारत में कारों को सेफ्टी रेटिंग देने वाली संस्था भारत न्यू कार असेसमेंट प्रोग्राम (Bharat NCAP) है, जो भारत में मैन्युफैक्चर होने वाली या बेची जाने वाली नई कारों को कुछ सुरक्षा मानकों पर सेफ्टी रेटिंग देती है। नीचे ग्राफिक में देखिए-
सवाल- किसी भी कार का क्रैश टेस्ट कैसे होता है?
जवाब- इस टेस्ट के लिए कार में सवारी के तौर पर इंसानी ढांचे वाले डमी का इस्तेमाल किया जाता है। इसके बाद डमी के चेहरे, घुटनों और सिर के हिस्सों पर अलग-अलग तरह का रंग लगाया जाता है।
सबसे पहले कार को फ्रंटल इम्पैक्ट टेस्ट से गुजरना पड़ता है। इसमें कार के सामने के हिस्से को 65 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से बैरियर से टकराया जाता है। इसके बाद कार का साइड इम्पैक्ट टेस्ट किया जाता है। इसी के आधार पर कार के अन्य सेफ्टी फीचर्स का भी आंकलन किया जाता है।
सवाल- किस आधार पर कार को सेफ्टी रेटिंग दी जाती है?
जवाब- सेफ्टी टेस्ट के दौरान चाइल्ड ऑक्यूपेंट प्रोटेक्शन (COP), सेफ्टी असिस्ट टेक्नोलॉजी (SAT) और एडल्ट ऑक्यूपेंट प्रोटेक्शन (AOP) जैसे सेफ्टी मेजर्स का खास ख्याल रखा जाता है। इन तीनों सेफ्टी फीचर्स के मुताबिक ही देखा जाता है कि कार में बैठने वाले बच्चे या एडल्ट कितने सेफ हैं। इसके अनुसार कार को सेफ्टी के पैमाने पर रेटिंग दी जाती है। यह रेटिंग 1 से 5 स्टार तक होती है। 5 स्टार सबसे सुरक्षित रेटिंग मानी जाती है, जबकि 1 स्टार रेटिंग वाली कार को सबसे खराब माना जाता है। दुर्घटना की स्थिति में इसमें सबसे ज्यादा खतरा रहता है।
सवाल- कार खरीदने से पहले किस तरह के सेफ्टी फीचर्स का ध्यान रखना चाहिए?
जवाब- आमतौर पर लोग नई कार खरीदते समय उसके लुक और डिजाइन पर ज्यादा फोकस करते हैं। जबकि बदलती टेक्नोलॉजी के दौर में कार के लुक, कलर और डिजाइन के साथ उसके सेफ्टी फीचर्स का भी ध्यान रखना बहुत जरूरी है।
किसी दुर्घटना की स्थिति में सेफ्टी फीचर्स न सिर्फ आपकी कार की सुरक्षा करते हैं, बल्कि वाहन में बैठे लोगों की जान भी बचाते हैं।
नीचे दिए ग्राफिक से समझिए कि कार खरीदने से पहले किन सेफ्टी फीचर्स को देखना चाहिए।
भारत में सड़क दुर्घटनाओं का 70% कारण ओवरस्पीडिंग
भारत में करीब हर साढ़े 3 मिनट पर एक व्यक्ति की सड़क हादसे में मौत हो रही है। सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय की रिपोर्ट के मुताबिक, 2022 में भारत में सड़क दुर्घटनाओं की संख्या 4 लाख 60 हजार से ज्यादा थी। यानी हर घंटे देश में 53 सड़क हादसे हुए, जिसमें हर एक घंटे में 19 लोगों की जान चली गई।
वर्ष 2022 में हुई सड़क दुर्घटनाओं में 70% मौतें तेज स्पीड से वाहन चलाने यानी ओवर स्पीडिंग की वजह से हुईं। इसके अलावा शराब पीकर गाड़ी चलाने और ड्राइविंग के समय मोबाइल का इस्तेमाल करने से भी हजारों लोगों को अपनी जान गंवानी पड़ी। इसलिए कार में सेफ्टी फीचर्स देखने के अलावा यातायात के नियमों का पालन करना भी बहुत जरूरी है, जिससे आपकी और अन्य वाहन चालकों की जिंदगी सुरक्षित रहे।
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