18 घंटे पहले
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एन. रघुरामन, मैनेजमेंट गुरु
जूूली स्विनी 53 साल की हैं और उन्होंने देश की किसी भी अदालत को परेशान किए बिना ब्रिटेन के चेशायर में इन दशकों में एक शांत जीवन बिताया। मतलब उन्होंने कभी भी पुलिस या कोर्ट को परेशान नहीं किया। वह अपने बीमार पति की भी देखभाल करती रहीं बाकी लोगों की तरह उनका भी सोशल मीडिया पर अकाउंट था और 5100 सदस्यों वाले फेसबुक कम्युनिटी ग्रुप का हिस्सा थीं।
3 अगस्त 2024 को उन्होंने एक तस्वीर पर कमेंट किया, ‘ये बिल्कुल बकवास है, मत बचाओ…और वयस्कों के साथ उड़ा दो’ यह तस्वीर साउथपोर्ट में फैली अराजकता के बाद स्थानीय लोगों द्वारा एक देवालय की मरम्मत की थी। उन्हें नफरत फैलाने के आरोप में गिरफ्तार किया गया और उनका मामला दंगों के बाद तेजी से निपटाए गए मामलों में एक था।
केस की सुनवाई करते हुए जज स्टीन एवरेट ने कहा, स्विनी जैसे तथाकथित कीबोर्ड वॉरियर्स को अपनी भाषा की जवाबदारी लेना सीखना होगा, खासकर स्थानीय विवाद के संदर्भ में, जो कि पूरे देश में चल रहा है।
अदालत ने उनका बचाव करने वाले वकील का पक्ष सुना, जिन्होंने कहा कि स्विनी ने स्वीकार किया कि वह मूर्ख थी और कहा कि “यह एक ही दिन में एक ही टिप्पणी थी।” कोर्ट ने उसका मार्मिक पत्र भी पढ़ा, जो उसने अपनी गलती समझाते हुए जज को लिखा। फिर भी 14 अगस्त 2024 को उसे 15 महीने के लिए जेल भेज दिया गया।
आजकल हर कोई और हर चीज सोशल मीडिया पर है! इससे बच नहीं सकते, जब तक कोई गुफा में न रहे और शिकारी जिंदगी न जिए। जो भी सोशल मीडिया पर टिप्पणी करता है वह हमेशा ऐसा इसलिए नहीं करता क्योंकि वो ‘लाइक’ चाहता है, बल्कि वो ये दिखाना पसंद करता है कि मौजूदा स्थिति पर उसकी राय है और वह चाहता है कि दूसरे ये जानें।
यदि आपके अधिक फॉलोअर्स हैं या हजारों सदस्यों वाले ग्रुप का हिस्सा हैं, जैसे स्विनी थी तो आपको अधिक जिम्मेदार होना होगा। कुछ पोस्ट, कमेंट या शेयर से पहले सोचें। कई लोगों ने ये समझ लिया है कि उनकी हल्की टिप्पणी से नौकरी भी जा सकती है।
आपको याद है, कोच्चि में कोटक महिंद्रा बैंक की सहायक शाखा प्रबंधन द्वारा एक त्रासदी पर गैर-जिम्मेदाराना टिप्पणी से अप्रैल 2018 में उनकी नौकरी चली गई थी। 2019 में एक साइबर सुरक्षा कंपनी ने भारतीय व्यवहार के साथ-साथ लोगों की ऑनलाइन सतर्कता पर अध्ययन किया। इसमें पता चला कि 21.4% को चिंता है कि उनके सोशल प्रोफाइल पर मौजूद सामग्री करियर व नौकरी की संभावनाओं पर नकारात्मक असर डालेगी।
वहीं सकारात्मक पक्ष यह है कि 63% से अधिक भारतीयों ने पेशेवर इस्तेमाल के लिए अलग से सोशल मीडिया प्रोफाइल बनाई है, वहीं 46.9% व्यक्तिगत और कामकाजी जीवन को अलग रखना पसंद करते हैं। सर्वे का निष्कर्ष है कि भारतीयों के सोशल मीडिया चैनल्स पर बहुत सारी अवांछनीय सामग्री है, जो एनएसएफडब्ल्यू (नॉट सेफ फॉर वर्क) यानी कामकाज के लिए असुरक्षित है।
इसके लिए तीन नियमों का पालन जरूरी है
1. आलोचनात्मक रूप से जुड़ें : कमेंट करने से पहले विभिन्न नजरिए समझें और सामग्री का विश्लेषण करने के लिए आलोचनात्मक सोच विकसित करें। याद रखें, किसी भी साइट पर किसी भी पोस्ट में कोई भागदौड़ नहीं चल रही कि अगर आप पहले पोस्ट करेंगे, तो कोई पुरस्कार मिलेगा। इसलिए अपना समय लें, यह सुनिश्चित करें कि सूचना विश्वसनीय स्रोत से है और कमेंट भी सम्मानपूर्वक करें।
2. डिजिटल एटिकेट का अभ्यास : ऐसी बातचीत, जो धीरे-धीरे बहसबाजी में बदल रही है, उसमें हद से ज्यादा न पड़ें। पता नहीं चलेगा कि आप किस भंवर में फंस गए।
3. ज्यादा सोशल मीडिया से मेंटल हेल्थ पर असर : इससे तनाव-चिंता बढ़ती है, इसके प्रयोग में बुद्धिमानी रखें। कोई चीज निगेटिव प्रभाव डाले तो अनफॉलो-म्यूट करें।
फंडा यह है कि अगर आप कीबोर्ड पर अच्छा-खासा वक्त बिता रहे हैं तो कीबोर्ड वॉरियर्स बनने से बचें, सुनिश्चित करें, आपका कंटेंट एनएसएफडब्ल्यू न हो।