25 मिनट पहले
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हर कोई सफल होना चाहता है। लेकिन सफलता कुछ लोगों के ही हाथ लगती है। बाकी लोग पूरी उम्र सफलता की राह देखते रह जाते हैं।
सफलता और असफलता के बीच सबसे बड़ा अंतर क्या है? वह कौन सी बात है, जो एक शख्स को सफल तो दूसरे को सामाजिक पैमानों पर असफल बना देती है।
वैसे तो इसकी पूरी फेहरिस्त गिनाई जा सकती है। लेकिन मनोविज्ञान की दुनिया में ‘सेल्फ इमेज’ यानी खुद के बारे में राय को सफलता और असफलता की सबसे बड़ी वजह बताई जाती है।
आपसी बातचीत में या मोटिवेशनल लेक्चर्स में अक्सर यह सलाह मिलती है कि खुद को पसंद करना कितना जरूरी है। लेकिन सवाल यह है कि खुद को पसंद कैसे किया जाए। खुद की नजरों में अच्छा और बेहतर कैसे साबित हुआ जाए।
आज रिलेशनशिप कॉलम में इन्हीं सवालों के जवाब ढूंढने की कोशिश करेंगे।
क्या है सेल्फ इमेज और सेल्फ कंपैशन
आसान भाषा में समझें तो सेल्फ इमेज का मतलब खुद के बारे में हमारी धारणा से है। हम अपने बारे में, अपनी क्षमताओं और सपनों के बारे में क्या सोचते हैं, यही हमारी सेल्फ इमेज है।
दूसरी ओर, सेल्फ कंपैशन पॉजिटिव सेल्फ इमेज से जुड़ा है क्योंकि कई बार सेल्फ इमेज निगेटिव भी हो सकती है। जब कोई शख्स खुद पर और अपनी क्षमताओं पर भरोसा करना छोड़ देता है। ऐसी स्थिति में मेंटल-फिजिकल वेलबीइंग के साथ उसके रिश्ते-नाते और उसका करियर भी बिगड़ने लगता है।
साइकोलॉजी टुडे की एक रिपोर्ट के मुताबिक सेल्फ कंपैशन की स्थिति में शख्स अपने हित, जरूरतों और सपनों के प्रति सतर्क रहता है। वह दूसरों को खुश करने के लिए खुद के साथ ज्यादा समझौते नहीं करता। वह खुद को जमाने के सामने साबित करने से पहले अपनी नजर में बेहतर होने की कोशिश करता है।
सेल्फ कंपैशन और पॉजिटिव सेल्फ इमेज की यह स्थिति मेंटल-फिजिकल वेलबीइंग और सभी तरह के रिश्तों के लिए भी फायदेमंद होती है।
‘हाउ टू फील गुड अबाउट योरसेल्फ’ के राइटर क्रिस्टोफर एबी सेल्फ इमेज बेहतर करने के लिए ये टिप्स सुझाते हैं-
- सकारात्मक सोच- जहां तक संभव हो सके, अपने बारे में सकारात्मक सोच रखें और अपनी ताकतों पर ध्यान केंद्रित करें। यह न सोचें कि आपसे क्या-क्या नहीं हो सकता है। बल्कि जो चीजें आप कर सकते हैं, उसे करने पर ध्यान लगाएं।
- अपना क्रिटीक खुद बनें- दुनिया में तमाम तरह के लोग हमारे बारे में तमाम तरह की राय रख सकते हैं। सबकी राय का एक समान या अपने मन-मुताबिक होना संभव भी नहीं है। ऐसे में बेहतर है कि अपना आलोचक खुद बना जाए। ऐसी स्थिति में आगे बढ़ने के लिए आत्मबल और सही दिशा मिलती है।
- अपनी जरूरतों के प्रति सजग रहें- पॉजिटिव सेल्फ इमेज बनाने के लिए जरूरी है कि अपने शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य का ध्यान रखें। तन और मन के लिए जो चीजें जरूरी हों, वह करें।
- पॉजिटिव रिश्तों के बीच रहें- जहां तक संभव हो सके, निगेटिव माहौल और लोगों से दूरी बनाएं। निगेटिव माहौल और सोच समय के साथ हमारी सोच को भी प्रभावित करती है। फिर एक समय बाद हम खुद अपने और अपनी क्षमताओं के बारे में निगेटिव सोच रखने लगते हैं और खुद को कमतर आंकते हैं।
- खुद को माफ करना और आगे बढ़ना जरूरी- कई बार ऐसा भी होता है, जब अपनी किसी गलती को हम जीवन भर ढोते रहते हैं। उसी गलती के बोझ तले भविष्य को भी गलत दिशा में ले जाते हैं। ऐसी स्थिति से बचने के लिए खुद अपना मूल्यांकन करना, उसके आधार पर अपनी गलतियां पहचानना और फिर गलतियों को सुधार कर आगे बढ़ना जरूरी हो जाता है।
- लगातार सीखना और सेल्फ डेवलपमेंट- खुद के बारे में पॉजिटिव राय बनाने के लिए निरंतर सीखने और सुधार करने की कोशिश करें। अपने कौशल को विकसित करने के लिए रोज नई कोशिशें करें और नई चीजें सीखें।
- सेल्फ टॉक यानी खुद से बातें करना- पॉजिटिव सेल्फ इमेज बनाने के लिए अपने आप को समझना भी बहुत जरूरी है। अगर हम किसी और को अच्छे से जानना चाहते हैं तो पहले खुद को समझना जरूरी है। आप अपनी खूबियों और खामियों को पहचानें। अगर हम अपने बारे में पॉजिटिव राय रखना चाहते हैं तो अपने मन को गहराई से समझना होगा। अपनी पसंद और नापसंद की भी परवाह करनी होगी। यह तभी संभव हो पाएगा, जब हम खुद के साथ समय बिताएंगे और अपने मन में झाकेंगे। सेल्फ टॉक यानी अकेले में खुद से बातें करना इसका बढ़िया तरीका हो सकता है।
ध्यान रखें, पॉजिटिव सेल्फ इमेज का मतलब आत्ममुग्धता नहीं
यहां इस बात का ध्यान रखना भी जरूरी है कि पॉजिटिव सेल्फ इमेज किसी भी स्थिति में आत्ममुग्धता के स्तर तक न पहुंचे। जब कोई शख्स अपनी छवि और व्यवहार को लेकर अडिग हो जाता है तो उसे अपनी गलतियां दिखनी बंद हो जाती हैं।
वह चाहकर भी खुद में सुधार नहीं ला पाता। जमाने के प्रति उसकी सोच निगेटिव होती चली जाती है। ऐसी स्थिति में उस शख्स के स्वभाव में आत्ममुग्धता घर कर रही होती है। पॉजिटिव सेल्फ इमेज से उलट आत्ममुग्धता का रिश्ता, करियर और मेंटल-फिजिकल वेलबीइंग पर निगेटिव प्रभाव पड़ता है।