- Hindi News
- Lifestyle
- Premarital Health Checkup List; Sickle Cell Anemia | Hepatitis B, Blood Group Test
3 दिन पहलेलेखक: संदीप सिंह
- कॉपी लिंक

भारतीय परंपरा में किसी भी शादी से पहले सबसे जरूरी चीज मानी जाती है, वर-वधू की कुंडली मिलाना। माना जाता है कि जितने ज्यादा गुण मिलेंगे, जिंदगी उतनी ही खुशहाल और रिश्ता मजबूत बनेगा।
लेकिन इसी के साथ शादी से पहले एक चीज की जांच-परख करना और जरूरी है, जिसके बारे में अभिनेता जैकी श्रॉफ ने हाल ही में एक इंटरव्यू में बात की। उन्होंने कहा कि युवा शादीशुदा जोड़ों को संतान की प्लानिंग करने से पहले एक बार थैलेसीमिया का टेस्ट जरूर करना चाहिए।
थैलेसीमिया एक जेनेटिक बीमारी है, जो माता-पिता से उनके बच्चों में भी ट्रांसफर हो सकती है। उन्होंने तो सिर्फ एक टेस्ट की बात कही, लेकिन ऐसी बहुत सारी जेनेटिक बीमारियां हैं, जो माता-पिता से बच्चों में भी ट्रांसफर हो सकती हैं। इसलिए विवाह से पहले या कम-से-कम बच्चे की प्लानिंग करने से पहले एक बार से मेडिकल टेस्ट जरूर कराए जाने चाहिए।
हमारे जीवन की खुशियों में कभी ग्रहण न लगे, उसके लिए कुछ प्री मैरिटल चेकअप्स यानी शादी से पहले कुछ हेल्थ चेकअप भी उतने ही जरूरी हैं।
यह चेकअप्स न सिर्फ वर-वधू, बल्कि उनकी आने वाली जनरेशन की सेहत के लिए भी जरूरी हैं।
दरअसल कुछ बीमारियां आनुवांशिक होती हैं, जो माता-पिता से बच्चों को होती हैं। इन बीमारियों का अगर समय पर इलाज कर लिया जाए तो आने वाली पीढ़ी को आनुवांशिक बीमारियों के खतरे से बचाया जा सकता है।
इसलिए आज जरूरत की खबर में बात प्री मैरिटल चेकअप्स की। साथ ही जानेंगे कि-
- प्री मैरिटल चेकअप्स क्यों जरूरी हैं?
- शादी से पहले कौन से मेडिकल टेस्ट कराने चाहिए?
एक्सपर्ट- डॉ. वंदना गावडी, गायनेकोलॉजिस्ट, अपोलो अस्पताल (नवी मुंबई)
सवाल- प्री मैरिटल हेल्थ टेस्ट क्यों जरूरी हैं?
जवाब- शादी से पहले प्री मैरिटल हेल्थ टेस्ट कराने से महिला व पुरूष की स्वास्थ्य समस्याओं की पहचान करने में मदद मिलती है। इसके अलावा इन टेस्ट की मदद से दोनों परिवारों की जेनेटिक बीमारियों और किसी तरह के इन्फेक्शन के बारे में पता लगाया जा सकता है।
यहां तक कि अगर आप और आपका पार्टनर स्वस्थ हैं और दोनों की कोई मेडिकल हिस्ट्री नहीं है, फिर भी विवाह से पहले यह टेस्ट कराना फायदेमंद है क्योंकि इससे संभावित जोखिमों और भविष्य में बच्चों के स्वास्थ्य पर पड़ने वाले नकारात्मक प्रभाव की पहचान समय रहते की जा सकती है।
सवाल- शादी से पहले कौन से टेस्ट कराने सही हैं?
जवाब- शादी किसी के लिए भी जीवन की एक नई शुरूआत होती है क्योंकि शादी के बाद पति-पत्नी एक नए परिवार की नींव रखते हैं।
इसलिए आने वाली पीढ़ी स्वस्थ और सेहतमंद हो, उसके लिए कुछ मेडिकल टेस्ट जरूरी हैं।
नीचे दिए ग्राफिक से समझिए कि शादी से पहले कपल्स को कौन-कौन से मेडिकल टेस्ट कराने चाहिए।

आइए, अब जानते हैं कि यह टेस्ट इतने जरूरी क्यों हैं और इन टेस्ट को कराने से किस तरह की बीमारियों को आने वाली जनरेशन में ट्रांसफर होने से रोका जा सकता है।
सिकल सेल एनीमिया टेस्ट
सिकल सेल एनीमिया एक आनुवांशिक बीमारी है। यह माता-पिता से बच्चों में पहुंचती है।
दो सिकल सेल के जीन वाले लोगों को आपस में शादी नहीं करनी चाहिए क्योंकि माता-पिता दोनों के शरीर में इस बीमारी के जीन होने पर बच्चों में इसके ट्रांसफर होने की संभावना बढ़ जाती है।
जेनेटिक टेस्ट
हार्ट डिजीज, डायबिटीज जैसी बीमारियों में भी जीन की बड़ी भूमिका होती है। हालांकि एक हेल्दी लाइफ स्टाइल के जरिए इन बीमारियों को कुछ हद तक टाला जा सकता है, लेकिन अगर फैमिली में डायबिटीज, हाइपरटेंशन, हार्ट डिजीज की हिस्ट्री है तो यह बात पता होनी जरूरी है ताकि समय रहते बीमारी के ऑनसेट को कंट्रोल किया जा सके।
थैलेसीमिया टेस्ट
कपल्स में थैलेसीमिया के जीन का पता लगाने के लिए यह टेस्ट कराना जरूरी है क्योंकि थैलेसीमिया बच्चों को पेरेंट्स से अनुवांशिक तौर पर मिलने वाली बीमारी है। यह बीमारी शरीर के अंगों तक ऑक्सीजन पहुंचाने की ब्लड की क्षमता को प्रभावित करती है।
अगर माता-पिता दोनों ही मानइर थैलेसीमिया से पीड़ित हैं तो बच्चे को मेजर थैलेसीमिया होने की आशंका बढ़ जाती है।
हेपेटाइटिस बी और सी टेस्ट
अगर शादी के पहले हेपेटाइटिस बी और सी का टेस्ट करा लिया जाए तो भविष्य में आने वाली परेशानियों से बचाव किया जा सकता है। जैसे एक पार्टनर हेपेटाइटिस बी की बीमारी से पीड़ित है तो शारीरिक संबंध बनाने से दूसरा पार्टनर भी इन्फेक्टेड हो सकता है। ऐसे में प्रेग्नेंसी प्लान करते समय क्या सावधानी बरतनी चाहिए या फिर प्रेग्नेंसी कब प्लान करनी चाहिए, इस तरह के एहतियात के लिए यह टेस्ट कराना जरूरी है।
ब्लड ग्रुप कंपैटिबिलिटी टेस्ट
इस टेस्ट का मतलब है कि हमारे ब्लड ग्रुप आगे की जिंदगी लिए कंपैटिबल हैं या नहीं। इस टेस्ट के जरिए आपका और आपके पार्टनर का RH फैक्टर पता लगाया जा सकता है, जो स्वस्थ बेबी के लिए जरूरी है। अगर ये कंडीशन मेल नहीं खाती है तो बेबी प्लानिंग में दिक्कत आ सकती है। ये दिक्कत दूसरे बच्चे के लिए और भी ज्यादा नुकसानदायक साबित हो सकती है। इससे ऑटो इम्यून डिस्टर्बेंस की स्थिति बन सकती है, जिसमें प्रेग्नेंट महिला के ब्लड में मौजूद एंटीबॉडीज बच्चे की ब्लड सेल्स को ही नष्ट करने लगती हैं।

सवाल- कौन सी बीमारियां पेरेंट्स से बच्चों को ट्रांसफर हो सकती हैं?
जवाब- आमतौर पर कम उम्र में बच्चों को होने वाली बीमारियों का कारण जेनेटिक होता है क्योंकि पेरेंट्स के कुछ जीन बच्चों में ट्रांसफर होते हैं। ये जीन ही तय करते हैं कि बच्चे का रंग-रूप कैसा होगा, बच्चे की लंबाई कैसी होगी। इसके अलावा जीन के जरिए ही पेरेंट्स की बीमारी बच्चों तक पहुंचती है। यही वजह है कि कई परिवारों में कोई बीमारी पीढ़ी-दर-पीढ़ी चलती रहती है।
नीचे दिए ग्राफिक से समझिए कि कौन सी बीमारियां पेरेंट्स से बच्चों में आ सकती हैं।

जेनेटिक बीमारियों को लेकर डॉक्टर वंदना गावडी बताती हैं कि ऐसी धारणा है कि किसी मां-बाप को कोई बीमारी है तो उसके बच्चे को वह बीमारी जरूर होगी। जबकि ऐसा बिल्कुल नहीं है। बच्चों में जेनेटिक बीमारियां होने की संभावना सिर्फ 40 से 50% तक होती है और इसे भी अच्छी लाइफस्टाइल और खानपान के जरिए कम या पूरी तरह से खत्म किया जा सकता है।
डॉक्टर वंदना गावडी कहती हैं कि प्री मैरिटल हेल्थ टेस्ट का मतलब यह बिलकुल नहीं है कि आप शादी के लिए इलेजिबल हैं या नहीं। यह शादी का इलेजिबिलटी टेस्ट भी नहीं है। यह आपकी आने वाली पीढ़ी को संभावित खतरों से बचाने की एक कोशिश मात्र है, जिससे आपके बच्चे कई जेनेटिक बीमारियों से बच सकें और सेहतमंद रहें।