4 मिनट पहलेलेखक: संदीप सिंह
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आपके मोबाइल फोन पर भी ऐसे लोन ऐप के मैसेज जरूर आते होंगे, जो बिना किसी दस्तावेज के केवल एक क्लिक में लाखों का लोन देने का ऑफर देते हैं। इनका भ्रम जाल इतना खतरनाक है कि भोले-भाले लोग आसानी से इसके झांसे में आ जाते हैं। लेकिन बहुत जल्द उन्हें पता चलता है कि वो ब्लैकमेल और प्रताड़ना के जाल में फंस चुके हैं।
लेकिन अब आप लोन देने वाले इन फर्जी ऐप्स का शिकार होने से बच सकते हैं।
दरअसल भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) राष्ट्रीय स्तर पर एक यूनिफाइड लेंडिंग इंटरफेस (ULI) लॉन्च करने जा रही है। इसके पायलट प्रोजेक्ट पर पिछले एक साल से काम चल रहा था।
भारतीय रिजर्व बैंक के गवर्नर शक्तिकांत दास ने 25 अगस्त को इसके बारे में विस्तार से जानकारी दी।
बेंगलुरु में आयोजित डिजिटल पब्लिक इंफ्रास्ट्रक्चर और इमर्जिंग टेक्नोलॉजी की ग्लोबल कॉन्फ्रेंस में गवर्नर शक्तिकांत दास ने कहा कि UPI ने जैसे पेमेंट के तरीके को बदल दिया। उसी तरह ULI भारत में लोन के क्षेत्र में बड़ा बदलाव ला सकता है।
इसलिए आज जरूरत की खबर में बात करेंगे कि ULI क्या है? साथ ही जानेंगे कि-
- ULI कैसे काम करेगा?
- किन लोगों को इससे ज्यादा फायदा होगा?
सवाल- ULI क्या है?
जवाब- रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया ULI नाम से एक नया सिस्टम ला रही है, जो UPI की तरह काम करेगा। यानी जिस तरह UPI के जरिए पिन डालकर महज एक क्लिक में ऑनलाइन पेमेंट हो जाता है, उसी तर्ज पर पिन डालकर अब लोन भी अप्रूव कराया जा सकेगा। इससे आवेदनकर्ता बैंक या फाइनेंस कंपनी के चक्कर काटने से बच सकेगा। वह घर बैठे आसानी से लोन ले सकता है।
ULI पर रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया के द्वारा अप्रूव किए गए लोन ऐप्स ही होंगे, जिनमें यूजर कई तरह के लोन के लिए अप्लाई कर सकेगा। ULI कर्ज की लंबी प्रक्रिया को बेहद आसान बनाने की गारंटी देता है।
सवाल- ULI से कितने तक लोन मिल सकता है?
जवाब- इसमें आधार कार्ड, E-KYC, राज्य सरकार के लैंड रिकॉर्ड, पैन वेरिफिकेशन जैसे अलग-अलग सोर्स से डेटा जमा किया जाएगा। इस डेटा की मदद से आवेदक के लोन चुकाने की कैपेसिटी का पता चल सकता है। यह पूरी प्रक्रिया आवेदक की सहमति से ही होगी। साथ ही इसमें मौजूद आपकी कॉन्फिडेंशियल जानकारी पूरी तरह से गोपनीय रहेगी।
सवाल- ULI के आने से किसे सबसे ज्यादा फायदा होने की उम्मीद है?
जवाब- पहले किसी को भी लोन लेने के लिए एक लंबी-चौड़ी बैंकिंग प्रक्रिया से गुजरना पड़ता था। इसमें सबसे ज्यादा समस्या छोटा व्यापार करने वाले लोगों, मध्यमवर्गीय परिवारों और किसानों को होती थी। कई बार डॉक्यूमेंट होने के बाद भी लोगों के लोन पास नहीं हो पाते थे।
लेकिन रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया ने ULI में UPI वाली एनालॉजी का इस्तेमाल किया है। इसमें आवेदनकर्ता को बहुत ज्यादा दस्तावेज देने की जरूरत नहीं होती है और उसका लोन भी आसानी से अप्रूव हो जाता है।
कई बार छोटे-मोटे डॉक्यूमेंट या पेपर के अभाव में किसानों, छोटा-मोटा रोजगार करने वाले लोगों को लोन मिलने में समस्या आती थी। सिर्फ एक पेपर के अभाव में उन्हें महीनों बैंक या लोन देने वाली एजेंसी के चक्कर काटने पड़ते थे। लेकिन अब ULI आने के साथ इन सारी समस्याओं का समाधान हो जाएगा।
इसके अंतर्गत आपका सबसे महत्वपूर्ण डॉक्यूमेंट आपका पैन नंबर है। यह पैन नंबर के जरिए आपकी आर्थिक स्थिति, आय, लोन चुकाने की क्षमता, एसेट जैसी तमाम जानकारियां खुद कलेक्ट कर लेगा। आपका पूरा डेटा ULI में एक जगह ही दर्ज होगा। इससे यह पता चल सकेगा कि जिस व्यक्ति ने लोन के लिए आवेदन किया है, वह योग्य है या नहीं। इससे समय की भी बचत होगी।
इसके अलावा ULI में लोन देने वाली कंपनियों को भी अप्लाई करने वाले आवेदकों का डेटा आईडेंटिफाई करने में कोई समस्या नहीं होगी क्योंकि ULI खुद आवेदक की विश्वसनीयता तय करेगा। यह पूरी तरह से सुरक्षित और पारदर्शी होगा।
सवाल- ULI आने के बाद किस तरह के बदलाव की उम्मीद है?
जवाब- डिजिटल ट्रांजैक्शन के इस दौर में लोगों के खर्च की सीमा में इजाफा हुआ है। बढ़े हुए खर्चों की वजह से कई बार लोगों का बजट बिगड़ जाता है और उन्हें लोन की जरूरत पड़ती है। आज के दौर में कार लोन, होम लोन या सुख-सुविधाओं के सामान के लिए लोन देने वाले कई प्लेटफॉर्म मौजूद हैं। इसमें से कई ऐप्स फर्जी और अवैध भी हैं, जो लोन के बहाने लोगों का पर्सनल डेटा चोरी कर लेते हैं और बाद में ब्लैकमेलिंग के जरिए उनसे मुंह मांगी रकम वसूलते हैं।
बीते जून के महीने में इंदौर में एक चाइनीज लोन ऐप की ब्लैकमेलिंग की वजह से एक युवक ने आत्महत्या कर ली थी। लोन देने वाले ऐप ने युवक का पर्सनल डेटा हैक कर लिया था और उसे लगातार ब्लैकमेल किया जा रहा था।
इससे पहले फरवरी के महीने में आंध्र प्रदेश में इंजीनियरिंग के एक छात्र ने लोन ऐप के फाइनेंसरों के उत्पीड़न से परेशान होकर आत्महत्या कर ली थी।
ULI आने के बाद देश में बढ़ते लोन ऐप से जुड़े साइबर फ्रॉड को भी काफी हद तक कम किया जा सकता है।
नेशनल पेमेंट्स कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया (NPCI) ने UPI को अप्रैल, 2016 में लॉन्च किया था। बीते 8 साल में UPI डिजिटल पेमेंट की दुनिया में गेंम चेंजर बनकर उभरा है। जुलाई, 2024 में UPI के जरिए 1,444 करोड़ ट्रांजैक्शन हुए। इस दौरान कुल 20.64 लाख करोड़ रुपए ट्रांसफर किए गए हैं। अब रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया को ULI से भी इसी तरह की सफलता की उम्मीद है, जिसमें ग्राहक के फाइनेंशियल और नॉन-फाइनेंशियल रिकॉर्ड तक पहुंच कर ULI से कृषि और MSME जैसे क्षेत्र में लोन की बड़ी मांग को आसानी से पूरा किया जा सके।
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भारत में डिजिटल पेमेंट ट्रांजैक्शन का चलन तेजी से बढ़ता जा रहा है। इसकी बड़ी वजहों में से एक है UPI यानी यूनिफाइड पेमेंट इंटरफेस। UPI की मदद से घर बैठे आसानी से एक बैंक अकाउंट से दूसरे बैंक अकाउंट में पैसे ट्रांसफर किए जा सकते हैं। पढ़ें पूरी खबर…