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Setting Multiple Morning Alarms (Health Risks and Side Effects) | रिलेशनशिप- आपका मॉर्निंग अलार्म हर 5 मिनट पर बजता है: दिमाग और शरीर पर इसका बुरा असर, स्नूजिंग से बढ़ता आलस, एक अलार्म पर उठें

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11 दिन पहलेलेखक: शैली आचार्य

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क्या आपको सुबह उठने में आलस आता है? आप सुबह जल्दी उठने के लिए स्ट्रगल कर रहे होते हैं और इसके लिए एक नहीं बल्कि 4-5 अलार्म लगाकर रखते हैं। दो-तीन अलार्म स्नूज करने के बाद फिर कहीं जाकर चौथे या पांचवे अलार्म पर उठते हैं। इस वजह से कई बार आप अपने काम पर जाने में भी लेट हो जाते हैं। अगर ऐसा है तो यह जानना बेहद जरूरी है कि आप अपने मानसिक स्वास्थ्य को नुकसान पहुंचा रहे हैं।

स्लीप एक्सपर्ट्स का कहना है कि कई अलार्म सेट करना आपके लिए कुछ समस्याएं पैदा कर सकता है। इससे आपको दिन भर सुस्ती और थकावट महसूस हो सकती है।

नेशनल लाइब्रेरी ऑफ मेडिसिन में इस विषय पर कई स्टडीज प्रकाशित हुई हैं, जिसमें अलग-अलग रिजल्ट सामने आए हैं। एक स्टडी में पाया गया कि नींद से जागने के 20 मिनट पहले अलार्म बार-बार स्नूज किया जाता है तो मानसिक स्वास्थ्य पर इसका नकारात्मक असर पड़ता है।

कई लोग इससे सहमत होंगे कि उनकी नींद पूरी न होने की वजह से उन्हें दिन भर आलस और थकान लगती है। इसका एक कारण आपका कई अलार्म लगाना हो सकता है, जो आपकी नींद पूरी ही नहीं होने देता है।

तो आज ‘रिलेशनशिप’ में बात करेंगे कि एक से ज्यादा मॉर्निंग अलार्म लगाने से आपके मानसिक स्वास्थ्य पर क्यों नकारात्मक असर पड़ता है। साथ ही जानेंगे पहले अलार्म पर उठने के कुछ आसान तरीके। इस विषय पर साइकोलॉजिस्ट डॉ. जफर खान ने दैनिक भास्कर से बात की।

क्यों है एक से ज्यादा अलार्म लगाना चिंताजनक

यह सुनने में आपको अजीब लग सकता है कि कैसे अलार्म आपके मानसिक स्वास्थ्य पर असर डाल सकता है। लेकिन डॉक्टर और विशेषज्ञ यह बताते हैं कि ऐसा करना वास्तव में आपके लिए कई परेशानियां खड़ी कर सकता है। आमतौर पर नींद से जागने के कुछ मिनट पहले हम स्लीप साइकल के आखिरी चरण में होते हैं। इसे रैपिड आई मूवमेंट (REM) स्लीप कहते हैं।

REM नींद की वह अवस्था है, जिसमें सबसे ज्यादा सपने आते हैं। सपने देखते समय हमारी आंखें पलकों के पीछे घूम रही होती हैं। ये लगभग 90 मिनट का चरण होता है। इस वक्त आपका दिमाग बहुत सक्रिय होता है। उतना ही, जितना यह जागते समय होता है।

एक से ज्यादा अलार्म के कारण नींद के इस चरण में खलल पड़ता है। इससे दिमाग की काम करने की क्षमता पर नकारात्मक प्रभाव हो सकता है।

नीचे ग्राफिक में जानें, क्या हैं एक से ज्यादा अलार्म लगाने के नुकसान-

एक से ज्यादा अलार्म आपको चिड़चिड़ा बना सकता

अमेरिकन स्‍लीप फाउंडेशन के मुताबिक, एक इंसान को रोज कम-से-कम 7-8 घंटे की नींद लेनी चाहिए। लेकिन देर तक मोबाइल चलाने, तेज रोशनी और शोर-शराबे में सोने के कारण नींद नहीं आती। ऐसे में आपको तनाव हो सकता है। नींद पूरी नहीं होने पर अगले दिन व्यक्ति समय से नहीं उठ पाता और उसे स्‍लीप एप्निया, सिरदर्द, चिड़चिड़ेपन की शिकायत हो जाती है।

नींद से जागने के लिए एक अलार्म ही सही

स्लीपिंग डिसऑर्डर की विशेषज्ञ एलिसिया रॉथ (Alicia Roth) के मुताबिक, जागने के लिए एक अलार्म ही सबसे अच्छा होता है। हालांकि कुछ लोगों के लिए ऐसा कर पाना मुश्किल हो सकता है क्योंकि वे खुद से नहीं उठ पाते हैं। अध्ययनों में पाया गया है कि जिन लोगों की नींद पूरी नहीं होती है, उनमें कई तरह की गंभीर बीमारियों के विकसित होने का जोखिम ज्यादा होता है।

देर से सोना ही है देर से उठने का कारण

हमारी स्लीप साइकल इसलिए डिस्टर्ब होती है क्योंकि हम रात में देर तक जागते हैं। यह आदत भले ही सामान्य लगती हो पर सेहत पर इसके कई प्रकार से नकारात्मक असर हो सकते हैं।

देर से सोने वाले लोगों में स्वाभाविक रूप से सुबह देर से उठने की भी आदत होती है। इसलिए ही उन्हें कई अलार्म लगाने की जरूरत पड़ती है। इस कारण से ऐसे लोग सुबह के हर काम में लेट हो जाते हैं।

देर रात तक जागने के पीछे कई कारण हो सकते हैं। जैेसेकि-

  • अपने काम रात तक के लिए टालना
  • दिन और रात की डाइट में पोषक तत्वों की कमी
  • दिन भर में ज्यादा कैफीन लेना
  • किसी बात को लेकर तनाव में होना
  • ज्यादा स्मोकिंग और एल्कोहल का सेवन करना

कनाडा के हेल्थ प्रमोशन एंड क्रॉनिक डिजीज प्रिवेंशन जर्नल में प्रकाशित एक अध्ययन में शोधकर्ताओं ने पाया कि देर से सोने वाले लोगों में अन्य लोगों की तुलना में आलस, शारीरिक कमजोरी की समस्याएं भी ज्यादा देखने को मिलती हैं, जिसका उनकी सेहत पर बहुत नकारात्मक असर हो सकता है।

इसलिए सिर्फ एक अलार्म लगाना ही सही है। एक अलार्म से जागना चुनौतीपूर्ण हो सकता है। ऐसे में विशेषज्ञ सलाह देते हैं कि अलग-अलग अलार्म घड़ियों के साथ प्रयोग किया जा सकता है।

एक स्टैंडर्ड बेड टाइम सेट करें

मिशिगन मेडिसिन स्लीप डिसऑर्डर सेंटर में स्लीप मेडिसिन फिजिशियन डॉ. कैथी गोल्डस्टीन के मुताबिक, हर दिन लगभग एक ही समय पर जागना और बिस्तर पर जाना भी जरूरी है। ऐसा करने से आप एक अलार्म से ही उठ जाएंगे। जैसे ही यह आपकी आदत में आ जाएगा, फिर आपको अलार्म की भी जरूरत नहीं पड़ेगी।

ऐसे में इस तरह की अलार्म घड़ी का इस्तेमाल करें, जिसे बंद करने के लिए बिस्तर से बाहर निकलना पड़े। साथ ही, अपने सोने की आदतों को मॉनिटर करें।

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