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1 घंटे पहलेलेखक: शैली आचार्य
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एक वक्त था, जब बोलना किसी भी इंसान की सबसे बड़ी खूबी समझी जाती थी। जो जितनी बेबाकी और स्पष्टता के साथ बोल पाता था, उसे उतना ही बेहतर समझा जाता था। पर्सनल और प्रोफेशनल रिश्ते भी बोलने की काबिलियत पर ही निर्भर करते थे।
लेकिन बदलती तकनीक के दौर में सिर्फ बोलना करियर या रिश्ते में सफलता की वजह नहीं रह गया। आईटी युग में हम बोलने से ज्यादा लिखकर मैसेज भेजना पसंद करते हैं। किसी प्रिय शख्स से अपने दिल की बातें कहनी हों या दफ्तर में देर से पहुंचने के लिए बॉस को इन्फॉर्म करना हो, हम फटाफट एक टेक्सट कर देते हैं।
स्टेटिस्टा की रिपोर्ट के मुताबिक, इस साल अब तक तकरीबन 2.78 अरब लोगों ने व्हाट्सएप पर मैसेज भेजे हैं। वहीं 2023 की बात करें तो भारतीयों ने एक दिन में लगभग 140 अरब मैसेज भेजे। इसमें टेक्सट, फोटो, वीडियो, लिंक्स, कॉन्टेक्ट्स सब शामिल हैं।
औसतन एक भारतीय व्हाट्सएप यूजर हर महीने 21.4 घंटे सिर्फ व्हाट्सएप पर ही बिता देता है। सोचने में अजीब लग रहा होगा, लेकिन यह बात सच है। हम कभी यह ध्यान ही नहीं देते कि हम सोशल मीडिया पर कितना वक्त गुजार देते हैं। हर पांच मिनट में अपना फोन चेक करना, किसी के मैसेज का वेट करना, सुबह से लेकर रात तक फोन का इस्तेमाल करना, जिसमें सबसे ज्यादा वक्त हम मैसेज करने में ही बिता देते हैं।
कैनेडियन वायरलेस टेलीकम्युनिकेशंस एसोसिएशन (CWTA) के मुताबिक, कनाडा के लोग प्रतिदिन औसतन 25 करोड़ टेक्सट मैसेज भेजते हैं। टेक्सटिंग की सुविधा और उस पर तुरंत मिलने वाली प्रतिक्रिया ने इसे कम्युनिकेशन का सबसे पसंदीदा विकल्प बना दिया है। लेकिन क्या आप टेक्सटिंग और मैसेजिंग के नियमों से परिचित हैं? शायद नहीं। आप सोच रहे होंगे कि क्या ऐसा भी कुछ होता है।
तो आज ‘रिलेशनशिप’ कॉलम में टेक्सटिंग मैनर्स के बारे में बात करेंगे। कुछ टिप्स जानेंगे, जिनकी मदद से मैसेज को ज्यादा असरदार बनाया जा सकता है। कैसे आप मैसेज में अपनी बात को बेहतर तरीके से सामने वाले तक पहुंचा सकते हैं। साथ ही जानेंगे कि मैसेज भेजते वक्त किन बातों का ध्यान रखना चाहिए।
ज्यादातर इन्ट्रोवर्ट पसंद करते टेक्सट मैसेज में बात करना
क्या आप उन लोगों में से हैं, जो अपनी बात को सामने से या कॉल पर कहने की बजाए मैसेज में कहना बेहतर समझते हैं। ऐसा ज्यादातर इन्ट्रोवर्ट लोग करते हैं यानी वो लोग जो सबके सामने बोलने में शर्माते हैं। ज्यादा बात करना पसंद नहीं करते या फिर मैसेज में बात करने में ज्यादा कम्फर्टेबल रहते हैं।
वहीं एक्सट्रोवर्ट लोग वो होते हैं, जो अपनी बात आसानी से चार लोगों के सामने कह देते हैं। उनका कॉन्फिडेंस लेवल अन्य लोगों की तुलना में ज्यादा होता है। वे अपनी बात को कहने के लिए टेक्सट का सहारा नहीं लेते, बल्कि खुलकर अपनी बात कह देते हैं।
टेक्सट करने का भी एक तरीका होता है। इस विषय पर अमेरिकन लेखिका एलिजाबेथ रोस्सी ने एक किताब लिखी है- ‘द टेक्सट बुक।’ इस किताब में उन्होंने बताया है कि कैसे आप अपनी टेक्सटिंग और कम्युनिकेशन को बेहतर बना सकते हैं। इसमें उन्होंने टेक्सटिंग करते वक्त कुछ गलतियों के बारे में भी बताया है।
सोशल मीडिया से बढ़ा टेक्सटिंग का ट्रेंड
आज के डिजिटल युग में बातचीत का तरीका भी डेवलप हो रहा है। टेक्सट मैसेजिंग हमारे जीवन का एक जरूरी हिस्सा बन गया है। इससे हमारे दोस्तों, परिवार और यहां तक कि व्यवसायों या हमारे कामों से जुड़े रहने के तरीकों में भी बदलाव आया है।
इसका उपयोग तब से और ज्यादा बढ़ा है, जब से सोशल मीडिया का आगाज हुआ है। सोशल मीडिया यूजर्स सबसे ज्यादा टेक्सट में बात करना पसंद करते हैं। किसी की स्टोरी या स्टेटस पर कमेंट करने से लेकर बात करने तक हम एक मैसेज भेज देते हैं। इसी के चलते आज के दौर में जो लोग ज्यादातर टेक्सट में बात करते हैं, उन्हें ‘टेक्सट्रोवर्ट’ कहा जाने लगा है।
‘मैनर्स इन ए डिजिटल वर्ल्ड: लिविंग वेल ऑनलाइन’ के लेखक डैनियल सेनिंग ने भी टेक्सटिंग को लेकर कुछ सुझाव दिए हैं, जिसमें आप टेक्सटिंग के नियमों और शर्तों पर ध्यान दे सकते हैं।
टेक्सट छोटा ही रखें
टेक्सट मैसेजिंग कम्युनिकेश का एक छोटा माध्यम है। अगर यह बहुत लंबा होता है तो बोझ बन जाता है। अगर आपके पास कहने के लिए बहुत कुछ है तो मैसेज को कई टेक्सट में भेजें ताकि रिसीवर के लिए इसे पढ़ना आसान हो सके।
संवेदनशील खबरें न भेजें
कुछ जानकारियां मैसेज के जरिए नहीं बताई जातीं। जैसे किसी से रिश्ता तोड़ना, किसी को नौकरी से निकालना, किसी की मृत्यु का समाचार या अन्य संवेदनशील खबरें टेक्सट के जरिए नहीं भेजी जानी चाहिए। ऐसे संदेश फोन करके या व्यक्तिगत रूप से बताना बेहतर होता है।
अनुचित समय पर संदेश न भेजें
हम सभी के पास ऐसे दोस्त होते हैं, जो खाने के दौरान एक मैसेज भेजे बिना नहीं बैठ सकते। लेकिन ऐसे लोग सबसे बड़ी गलती करते हैं, वह यह नहीं सोचते कि वे कब और कहां संदेश भेज रहे हैं। सार्वजनिक समारोहों के दौरान मैसेज भेजना असभ्य, असंवेदनशील और परेशान करने वाला माना जा सकता है। वहीं कुछ लोगों की आदत होती है कि वे आधी रात में भी मैसेज भेज देते हैं। ऐसा करना मैसेज एटीकेट के खिलाफ है।
टेक्सट मैसेजिंग का इतिहास
टेक्सट मैसेजिंग, जिसे एसएमएस के नाम से भी जाना जाता है। इसकी शुरुआत 1990 के दशक में हुई थी, जब मोबाइल फोन मार्केट में आ गए थे। शुरुआत में, इसका उपयोग मुख्य रूप से व्यक्तियों के बीच कम्युनिकेशन के रूप में किया जाता था। जैसे-जैसे तकनीक बढ़ी, वैसे-वैसे टेक्सटिंग भी विकसित हुई।
लेकिन 2000 के दशक में जैसे-जैसे मोबाइल उपकरणों का आकार बदलता गया और कार्यक्षमता बढ़ती गई, ज्यादा-से-ज्यादा लोगों ने कम्युनिकेशन के पसंदीदा तरीके के रूप में टेक्सट मैसेजिंग को अपनाया। यह व्यक्तिगत और व्यावसायिक संचार के लिए गेम चेंजर बन गया।
अब तो मैसेज में इमोटिकॉन से लेकर एब्रिविएशन तक यूज किए जाते हैं, जिससे मैसेज संक्षेप में ही बेहतर समझ आ जाए।