9 मिनट पहलेलेखक: संदीप सिंह
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उत्तर प्रदेश में प्रयागराज की पुलिस ने शादी के फर्जी प्रमाण पत्र बनाने वाले एक गिरोह के दो शातिरों को गिरफ्तार किया है। यह गिरोह धार्मिक संस्थाओं के फर्जी मैरिज सर्टिफिकेट बना रहा था। एक सर्टिफिकेट के लिए गिरोह 5 से 10 हजार रुपए चार्ज करता था।
भारत में शादी के लिए कानूनन उम्र तय की गई है। शादी के दौरान लड़की की उम्र 18 साल और लड़के की उम्र 21 साल से कम नहीं होनी चाहिए। अगर शादी की तारीख पर दोनों में से किसी एक की भी उम्र कम है तो ऐसी स्थिति में मैरिज सर्टिफिकेट नहीं बन सकता है।
यह गिरोह किसी के लिए भी फर्जी सर्टिफिकेट बना रहा था। चाहे लड़का–लड़की की शादी हुई हो या न हुई हो, वे घर से भागे हुए हों या अंडर ऐज हों, ऐसे सभी लोगों से रुपए लेकर उन्हें फेक मैरिज सर्टिफिकेट मुहैया करा रहा था। बाद में कोर्ट से सुरक्षा मांगने के लिए उसी मैरिज सर्टिफिकेट का इस्तेमाल किया जाता था।
तो चलिए आज जरूरत की खबर में बात करेंगे मैरिज सर्टिफिकेट की और जानेंगे कि-
- मैरिज सर्टिफिकेट बनवाने की प्रक्रिया क्या है?
- इसकी कहां और क्यों जरूरत होती है?
- किन लोगों का मैरिज सर्टिफिकेट नहीं बनता है?
एक्सपर्ट: हरिओम अवस्थी, एडवोकेट, इलाहाबाद हाईकोर्ट
सवाल- मैरिज सर्टिफिकेट क्या है?
जवाब- जिस तरह बर्थ सर्टिफिकेट जन्म की तारीख की कानूनी प्रमाणिकता का डॉक्यूमेंट है, उसी तरह मैरिज सर्टिफिकेट एक वैलिड कानूनी डॉक्यूमेंट होता है, जो पति-पत्नी के वैवाहिक रिश्ते को प्रमाणित करता है।
सुप्रीम कोर्ट ने साल 2006 में विवाह को वैलिड बनाने के लिए मैरिज सर्टिफिकेट अनिवार्य कर दिया था। इस फैसले के पीछे मुख्य कारण महिलाओं के अधिकारों की रक्षा करना था।
सवाल- मैरिज सर्टिफिकेट क्यों जरूरी है?
जवाब- मैरिज सर्टिफिकेट पति-पत्नी के विवाहित होने की प्रामाणिकता के साथ कई सरकारी व गैर-सरकारी योजनाओं का लाभ लेने के लिए जरूरी होता है। कई प्राइवेट कंपनियां शादीशुदा कर्मचारियों को अलग से कुछ बेनिफिट देती हैं। इन योजनाओं के लाभ के लिए मैरिज सर्टिफिकेट की जरूरत होती है। इसके अलावा मैरिज सर्टिफिकेट के कुछ और भी फायदे हैं, नीचे दिए ग्राफिक से इसे समझ सकते हैं।
सवाल- मैरिज सर्टिफिकेट बनवाने के लिए किन डॉक्यूमेंट्स की जरूरत होती है?
जवाब- अगर कोई आवेदक मैरिज सर्टिफिकेट बनवाना चाहता है तो वह मूल रूप से भारतीय नागरिक होना चाहिए। साथ ही पति-पत्नी की उम्र भारतीय कानून के मुताबिक होनी चाहिए। विवाह के एक महीने के भीतर मैरिज सर्टिफिकेट के लिए आवेदन करना अनिवार्य है।
हालांकि उसके बाद भी मैरिज सर्टिफिकेट के लिए 5 साल तक कभी भी अप्लाई किया जा सकता है। लेकिन इसके लिए लेट फीस के साथ–साथ मैरिज रजिस्ट्रार से विशेष अनुमति लेनी होती है।
वहीं अगर आवेदक का विवाह पहले हुआ था और अब तलाक हो गया है तो उसे नए विवाह के लिए पहले तलाक का प्रमाणपत्र लगाना होगा। इसके अलावा कुछ डॉक्यूमेंट्स की जरूरत भी होती है। नीचे दिए ग्राफिक से इसे समझिए।
सवाल- मैरिज सर्टिफिकेट बनवाने की प्रक्रिया क्या है?
जवाब- मैरिज सर्टिफिकेट बनवाने के लिए ऑनलाइन या ऑफलाइन दोनों तरीके से अप्लाई कर सकते हैं। ऑफलाइन अप्लाई करने के लिए दंपती को उस क्षेत्राधिकार के भीतर उप-रजिस्ट्रार के ऑफिस में जाना होगा, जहां विवाह संपन्न हुआ था। वहां उन्हें लिखित रूप से आवेदन भरना होगा, जिसमें दोनों पक्षों के हस्ताक्षर शामिल होंगे। फॉर्म के साथ आवश्यक दस्तावेज जमा करने होंगे। इसके बाद अगर 30 दिनों तक कोई इस विवाह पर आपत्ति नहीं जताता या कोई विवाद नहीं होता तो 30 दिन के बाद विवाह आवेदन पर कार्रवाई होती है और उसका पंजीकरण किया जाता है।
अगर कोई ऑनलाइन मैरिज सर्टिफिकेट के लिए अप्लाई करना चाहता है तो उसे राज्य के विवाह पंजीकरण के आधिकारिक पोर्टल पर जाना होगा।
इसके बाद ऑनलाइन विवाह पंजीकरण का फॉर्म भरना होगा। फिर आवेदक को कागजी काम और गवाहों को वेरिफाई करने के लिए रजिस्ट्रार कार्यालय में बुलाया जाएगा। इसके बाद रजिस्ट्रार पंजीकरण की प्रक्रिया पूरी करेगा।
सवाल- ऑनलाइन मैरिज सर्टिफिकेट के क्या फायदे हैं?
जवाब- ऑनलाइन मैरिज सर्टिफिकेट का सबसे बड़ा फायदा यह है कि आप घर बैठे ऑनलाइन अप्लाई कर सकते हैं। इसके लिए आपको किसी दफ्तर के चक्कर नहीं काटने पड़ते हैं। ऑनलाइन विवाह पंजीकरण के बारे में अधिक जानकारी के लिए, अपने राज्य के विवाह पंजीकरण पोर्टल से संपर्क करें।
सवाल- किन लोगों का मैरिज सर्टिफिकेट नहीं बन सकता है?
जवाब- भारत में शादी के लिए निर्धारित कानूनी उम्र सीमा के मुताबिक लड़की की उम्र 18 वर्ष और लड़के की उम्र 21 वर्ष होनी चाहिए। अगर शादी के समय दोनों में से किसी की भी उम्र इस सीमा से कम होती है तो शादी गैर-कानूनी है और उनका मैरिज सर्टिफिकेट नहीं बन सकता।
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