14 मिनट पहले
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बारिश का मौसम आते ही मच्छर जनित बीमारियों का खतरा कई गुना बढ़ जाता है। इनमें डेंगू, मलेरिया, चिकनगुनिया और जीका वायरस के सबसे ज्यादा मामले सामने आते हैं। हर मच्छर के काटने के लक्षण अलग-अलग हो सकते हैं। ऐसे में किस मच्छर ने काटा है, इसकी पहचान करने में समय लगता है। लेकिन अब वैज्ञानिकों ने इस समस्या का जल्द हल ढूंढने की उम्मीद जगाई है।
युगांडा की मैकेरी यूनिवर्सिटी और गेट्स फाउंडेशन के सहयोग से अमेरिका की जॉन हॉपकिन्स यूनिवर्सिटी में डॉ. सौम्या आचार्य और उनकी बायोइंजीनियर्स की टीम ने एक ऐप डेवलेप किया है।
इस ऐप का नाम है वेक्टरकैम (vectorcam)। इस ऐप की मदद से यह आसानी से पता लगाया जा सकेगा कि कोई मच्छर किस प्रजाति का है और वह कौन सी बीमारी का वायरस फैला रहा है। माइक्रोसॉफ्ट के को-फाउंडर बिल गेट्स ने भी इस ऐप की तारीफ की है। अभी इस ऐप का परीक्षण पूर्व-मध्य अफ्रीका में स्थित देश युगांडा में किया जा रहा है।
इसलिए आज जरूरत की खबर में बात करेंगे कि वेक्टरकैम क्या है? साथ ही जानेंगे कि-
- वेक्टरकैम के सफल परीक्षण से किस तरह के बदलाव की उम्मीद है?
- इस ऐप के आने से आपके-हमारे जैसे आम लोगों की जिंदगी में क्या बदलाव आएगा?
सवाल- पूरी दुनिया में हर साल मच्छरों के कारण कितने लोगों की मौत होती है?
जवाब- यूं तो मच्छर देखने में बहुत छोटा जीव है, लेकिन इंसानों के लिए इसे सबसे खतरनाक माना जाता है क्योंकि मच्छर के काटने से 10 से अधिक बीमारियां फैलती हैं। इसमें मलेरिया और डेंगू के मामले सबसे ज्यादा देखने को मिलते हैं।
नीचे ग्राफिक में देखिए कि मलेरिया और डेंगू की वजह से हर साल कितने लोगों की मौत होती है।
सवाल- मच्छरजनित बीमारियों की पड़ताल और रोकथाम में वेक्टरकैम ऐप की क्या भूमिका होगी? यह किस तरह काम करेगा?
जवाब- वेक्टरकैम ऐप मच्छरों के फोटो को स्कैन करता है। इससे मच्छरों की प्रजातियों की भी पहचान कर सकता है। जैसेकि मच्छर डेंगू, जीका, मलेरिया किस तरह की संक्रामक बीमारी को फैलता है।
इससे बचाव व इलाज की प्रक्रिया में काफी तेजी आ सकती है। इसके अलावा इसके अन्य फायदे भी हैं। नीचे दिए ग्राफिक में इन्हें समझ सकते हैं।
सवाल- वेक्टरकैम ऐप से आम लोगों को क्या फायदा होगा?
जवाब- अभी यह ऐप सिर्फ डॉक्टरों और हेल्थकेयर प्रोफेशनल्स के इस्तेमाल के लिए बनाया गया है। इस ऐप की मदद से वे बीमारी फैलाने वाले मच्छर की तत्काल पड़ताल करके तुरंत जरूरी एक्शन ले सकेंगे। लेकिन यह आपके हमारे जैसे आम लोगों के लिए भी बहुत उपयोगी होगा।
इसे इस तरह समझ सकते हैं कि एक छोटे गांव, कस्बे के प्राथमिक चिकित्सा केंद्र में बैठे लोग भी अगर सिर्फ ऐप की मदद से तुरंत बीमारी फैला रहे मच्छर की पड़ताल कर लेंगे तो तुरंत उसका उपचार करना और उससे जुड़े एक्शन लेना भी आसान हो जाएगा।
यह भी संभव है कि यह ऐप प्ले स्टोर के जरिए आम लोगों के लिए भी उपलब्ध हो जाए। ऐसे में हम अपने घरों में या आसपास पनप रहे मच्छरों को भी स्कैन करके यह पता कर सकेंगे कि यह कोई सामान्य मच्छर है या फिर बीमारी फैलाने वाला खतरनाक मच्छर।
सवाल- क्या यह इस तरह का पहला ऐप है?
जवाब- नहीं। इससे पहले भी ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी के डिपार्टमेंट ऑफ इंजीनियरिंग साइंस के वैज्ञानिकों की टीम ने HumBug नाम का एक ऐप डेवलप किया था, जो लगभग 10 सेमी दूर से मच्छरों का पता लगा सकता है। यह ऐप मच्छरों के पंखों की आवाज सुनकर उनकी प्रजाति का पता लगा सकता है। हालांकि अभी यह शुरूआती स्टेज में है। यह ऐप केवल मलेरिया फैलाने वाले मच्छरों की पहचान कर सकता है। डेवलपर्स द्वारा इसके डेटाबेस को बढ़ाने पर काम किया जा रहा है, जिससे अन्य प्रजातियों के मच्छरों की भी पहचान की जा सके।
सवाल- एक सामान्य मच्छर और वायरस फैलाने वाले मच्छर में क्या फर्क है। क्या आम आदमी खुद भी इसकी पहचान कर सकता है?
जवाब- भारत में डेंगू और मलेरिया, ये दो मच्छरजनित गंभीर बीमारियां हैं। हर साल हजारों लोगों को इनकी वजह से अपनी जान गंवानी पड़ती है। इन दोनों बीमारियों को फैलाने वाले मच्छर अलग-अलग होते हैं।
नीचे ग्राफिक में देखिए कि इन दोनों मच्छरों में क्या अंतर होता है और इसकी पहचान कैसे कर सकते हैं।
सवाल- मच्छरों के प्रकोप से खुद को कैसे बचा सकते हैं?
जवाब- नीचे कुछ उपाय दिए गए हैं, जिन्हें अपनाकर आप खुद का बचाव कर सकते हैं।
- फुल आस्तीन की शर्ट और फुल पैंट पहनें।
- अपने आसपास खूब साफ-सफाई रखें।
- बर्तनों या कंटेनरों में पानी जमा न होने दें।
- घर की खिड़कियों और दरवाजों पर जाली लगवाएं।
- जरूरत न हो तो दरवाजे और खिड़कियां बंद रखें।
- कूड़ेदान को हमेशा ढंककर रखें।