Vinesh Phogat, CAS Full Verdict: भारतीय स्टार पहलवान विनेश फोगाट के लिए पेरिस ओलंपिक 2024 ‘कभी खुशी कभी गम’ की तरह ही रहा है. उन्हें धांसू अंदाज में एंट्री करते हुए एक ही दिन (6 अगस्त) में लगातार 3 मैच जीतकर 50 किग्रा फ्रीस्टाइल कुश्ती के फाइनल में एंट्री कर सिल्वर मेडल पक्का कर लिया था.
यहां तक विनेश और फैन्स के लिए एकदम खुशी वाला माहौल था. गोल्ड मेडल मैच 7 अगस्त की रात को होना था, लेकिन उसी दिन सुबह विनेश और फैन्स के लिए दिल तोड़ने वाली खबर सामने आई. विनेश को 100 ग्राम ज्यादा वजन के कारण डिसक्वालिफाई कर दिया गया.
24 पेज की रिपोर्ट में बताया कि क्यों अपील रद्द की
इसके बाद विनेश ने CAS में अपील की थी. उनकी मांग थी कि उन्हें इस इवेंट में संयुक्त रूप से सिल्वर मेडल दिया जाना चाहिए. मगर इस मामले में 14 अगस्त को फैसला आया और CAS ने विनेश की अपील खारिज कर दी. तब CAS ने सिर्फ फैसला सुनाया था, कोई बयान या फैसले की रिपोर्ट जारी नहीं की थी.
मगर अब CAS ने सोमवार (19 अगस्त) को फैसले की एक विस्तृत रिपोर्ट जारी की है, जिसमें लंबी प्रक्रिया का विवरण दिया गया है. CAS की यह फैसले की रिपोर्ट 24 पेज की है. इसमें CAS की कार्यवाही शामिल है. अपनी अपील में विनेश ने कई दलीलें दीं, जिसमें 5 काफी मजबूत थीं. उसके बावजूद उनकी अपील खारिज कर दी गई. आइए जानते हैं उन 5 मजबूत दलीलों के बारे में और उन्हें क्यों खारिज किया…
1. विनेश ने अपनी दलील में कहा कि पहली बार उनका वजन सही था और उन्होंने सेमीफाइनल जीतकर सिल्वर मेडल पक्का किया था. जबकि दूसरी बार के माप में उनका वजन ज्यादा पाया गया. ऐसे में उनके पिछले 3 मैचों के नतीजों को रद्द नहीं करना चाहिए. इस कारण से वो सिल्वर मेडल की दावेदार हैं. वो इवेंट की सभी रैंकिंग, पॉइंट्स और स्कोर की भी हकदार हैं.
CAS का जवाब- यह तर्कपूर्ण बात है, लेकिन नियम ऐसा करने की अनुमति नहीं देते. नियमों में यह स्पष्ट दिया गया है कि यदि उल्लंघन होता है, तो बाहर कर दिया जाएगा. ऐसे में CAS फेडरेशन के नियमों को नए सिरे से नहीं लिख सकता.
2. आवेदन में विनेश ने एक मेडिकल सर्टिफिकेट देकर बताया गया कि 8 अगस्त को वो पीरियड्स से पहले वाले फेज में थी. इससे शरीर के वजन पर असर पड़ता है. दलील में कहा गया कि पुरुष और महिला के शरीर में अंतर होता है. ऐसे में दूसरे दिन के वजन के दौरान इस पर ध्यान देना चाहिए.
जवाब मिला- पुरुष और महिला एथलीट के शरीर में अंतर के नतीजों का कोई सबूत नहीं दिया गया. विनेश ने 50 किग्रा वेट कैटेगरी को चुनौती नहीं दी है. शरीर में अंतर के असर की बात कहना काल्पनिक है और इसके पक्ष में कोई सबूत नहीं है.
3. विनेश ने अपनी दलील में ठोस दावा किया कि वजन करने वाली मशीन में गड़बड़ी थी. उन्होंने कहा कि जब वह मशीन खाली थी तब भी उसमें 50 ग्राम वजन दिख रहा था. यह विनेश के एक्स्ट्रा वजन (100 ग्राम) का आधा था.
CAS का जवाब- फिर भी यह बात तो तथ्य के रूप में रहेगा कि याचिकाकर्ता (विनेश फोगाट) का वजन 50 किग्रा वेट कैटेगरी के लिहाज से लिमिट से ज्यादा था.
4. स्टार पहलवान विनेश ने अपनी दलील में एक नियम का भी हवाला दिया. उन्होंने कहा कि यूनाइटेड वर्ल्ड रेसलिंग (UWW) का आर्टिकल-8 एथलीट्स को इंटरनेशनल टूर्नामेंट्स में 2 किलो वजन तक की छूट देता है. वर्ल्ड कप, UWW रैंकिंग सीरीज में भी यह नियम लागू रहता है. ओलंपिक भी इंटरनेशनल टूर्नामेंट है तो इसमें भी आर्टिकल-8 के तहत 2 किग्रा वजन की छूट मिलनी चाहिए.
जवाब मिला- CAS ने अपने फैसले की रिपोर्ट में साफ कहा कि आर्टिकल-8 में ओलंपिक गेम्स को इंटरनेशनल टूर्नामेंट में शामिल नहीं किया गया है. ऐसे में दूसरे वजन के दौरान उन्हें छूट नहीं मिल सकती.
5. विनेश फोगाट ने एक और मजबूत दलील दी. उन्होंने कहा कि अलग-अलग बैकग्राउंड से आने वाले एथलीट्स के लिए प्रक्रिया को समझने के लिए पर्याप्त ट्रेनिंग नहीं होती. उन्हें इस बारे में भी अच्छी तरह से नहीं बताया जाता.
जवाब- विनेश के सबूतों से लगता है कि उन्हें 50 किग्रा वेट कैटेगरी के लिहाज से वजन को लेकर नियमों की पूरी जानकारी थी. उन्होंने इसके लिए (50 किलोग्राम वजन रखने) कोशिश भी की. मगर वो असफल रहीं.