29 मिनट पहलेलेखक: गौरव तिवारी
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विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के मुताबिक, पूरी दुनिया में 128 करोड़ लोगों को हाई ब्लड प्रेशर यानी हाइपरटेंशन की समस्या है। साल 2023 में पब्लिश हुई अमेरिकन हार्ट एसोसिएशन की एक स्टडी के मुताबिक, ठंड के मौसम में ब्लड प्रेशर की समस्या बढ़ जाती है।
ब्लड प्रेशर हाई होने का मतलब है कि पूरे शरीर में ब्लड सर्कुलेशन में मुश्किल हो रही है। इस दौरान ब्लड वेसल्स की वॉल्स पर दबाव बढ़ जाता है। वो कमजोर होने लगती हैं और आर्टरीज ब्लॉक होने लगती हैं। यही कारण है कि सर्दियों में कार्डियोवस्कुलर डिजीज का जोखिम भी बढ़ जाता है। पूरी दुनिया में हर साल हार्ट डिजीज के कारण 1 करोड़ 80 लाख लोगों की मौत होती है।
इसलिए आज ‘सेहतनामा’ में जानेंगे कि सर्दियों में ब्लड प्रेशर क्यों बढ़ जाता है। साथ ही जानेंगे कि-
- क्या बिना दवा खाए ब्लड प्रेशर मैनेज कर सकते हैं?
- हाइपरटेंशन होने पर खानपान में क्या बदलाव जरूरी हैं?
सर्दियों में बढ़ता ब्लड प्रेशर का रिस्क
ठंड में टेम्प्रेचर कम होने पर हमारा ब्रेन शरीर को यह मैसेज देता है कि जिंदा रहने के लिए शरीर के प्रमुख अंगों को गर्मी की जरूरत है। मैसेज मिलते ही शरीर ब्लड फ्लो हार्ट की ओर बढ़ा देता है। इसके बाद ब्लड वेसल्स टाइट हो जाती हैं ताकि ब्लड फिर से अन्य अंगों की तरफ कम मात्रा में जाए और हार्ट के आसपास ही बना रहे। आर्टरीज के सख्त और संकरा होते ही ब्लड प्रेशर बढ़ जाता है। यही कारण है कि ठंड बढ़ने पर ब्लड प्रेशर का रिस्क भी बढ़ता है।
न्यूरोलॉजिस्ट डॉक्टर अनिमेष गुप्ता कहते हैं कि इसीलिए सर्दियों में ब्लड प्रेशर को ज्यादा मॉनिटर करने की जरूरत होती है।

ब्लड प्रेशर बढ़ने से क्या कॉम्प्लिकेशन हो सकते हैं?
ब्लड प्रेशर हाई होने के कारण आर्टरीज की वॉल्स पर बहुत दबाव पड़ता है। इससे ब्लड वेसल्स और शरीर के कई ऑर्गन्स प्रभावित हो सकते हैं। डॉ. अनिमेष गुप्ता कहते हैं कि ब्लड प्रेशर जितना ज्यादा होता है और जितनी देर तक अनकंट्रोल्ड स्थिति में रहता है, नुकसान भी उतना ही ज्यादा होता है।

हाई ब्लड प्रेशर से जुड़े कुछ कॉमन सवाल और उनके जवाब
सवाल: सिस्टोलिक और डायस्टोलिक ब्लड प्रेशर में क्या अंतर है?
जवाब: ब्लड प्रेशर की मशीन में दो रीडिंग्स दिखती हैं। ऊपर की रीडिंग को ‘सिस्टोलिक’ और नीचे की रीडिंग को ‘डायस्टोलिक’ ब्लड प्रेशर कहते हैं। सिस्टोलिक प्रेशर का मतलब है, दिल की धड़कन के समय ली गई दबाव की रीडिंग। डायस्टोलिक प्रेशर का मतलब है दो धड़कनों (दो हार्ट बीट्स) के बीच ली गई दबाव की रीडिंग। इस प्रेशर को मर्करी प्रति मिलीलीटर में मापा जाता है, इसलिए इसे mm Hg लिखा जाता है।
सवाल: ब्लड प्रेशर की कितनी रीडिंग को हाइपरटेंशन कहते हैं?
जवाब: ब्लड प्रेशर की 120/80 रीडिंग को सामान्य माना जाता है। इसके अलावा कितने ब्लड प्रेशर पर इसे किस स्टेज में रखा जाता है, समझिए:
नॉर्मल ब्लड प्रेशर: जब ब्लड प्रेशर 120/80 mm Hg हो या इससे कुछ कम हो।
एलिवेटेड ब्लड प्रेशर: जब सिस्टोलिक प्रेशर 120 से 129 mm Hg हो और डायस्टोलिक प्रेशर 80 mm Hg से ज्यादा न हो।
स्टेज 1 हाइपरटेंशन: जब सिस्टोलिक प्रेशर 130 से 139 mm Hg हो या डायस्टोलिक प्रेशर 80 से 89 mm Hg के बीच हो।
स्टेज 2 हाइपरटेंशन: जब सिस्टोलिक प्रेशर 140 mm Hg या इससे ज्यादा हो या फिर डायस्टोलिक प्रेशर 90 mm Hg या इससे ज्यादा हो।
सवाल: जिन्हें हाइपरटेंशन नहीं है, क्या ठंड में उन्हें होने के चांस बढ़ जाते हैं?
जवाब: अगर किसी के ब्लड प्रेशर की रीडिंग्स एलिवेटेड मोड में हैं तो उसे हाइपरटेंशन का ज्यादा रिस्क हो सकता है। इसका मतलब है कि अगर सिस्टोलिक प्रेशर 120 से 129 mm Hg है और डायस्टोलिक प्रेशर 80 mm Hg के करीब है तो ठंड बढ़ने पर उसे हाइपरटेंशन का खतरा अधिक होता है।
इसके अलावा जिन लोगों का ब्लड प्रेशर सामान्य है, उन्हें बहुत ठंड बढ़ने पर एलिवेटेड ब्लड प्रेशर का रिस्क बढ़ जाता है।
सवाल: ब्लड प्रेशर हाई होने पर शरीर क्या संकेत देता है?
जवाब: ब्लड प्रेशर हाई होने पर अधिकांश लोगों में कोई लक्षण नहीं दिखते हैं। कई बार तो लोगों का ब्लड प्रेशर इमरजेंसी सिचुएशन में होता है। इसके बावजूद उन्हें इसका पता नहीं चल पाता है।
ब्लड प्रेशर बढ़ने पर कुछ लोगों में ये लक्षण दिख सकते हैं:
- सिरदर्द
- सीने में दर्द
- पीठ में दर्द
- सांस लेने में कठिनाई
- बोलने में कठिनाई
- नकसीर (नाक से खून आना)
- सेक्शुअल डिस्फंक्शन
सवाल: क्या सर्दियों में हाइपरटेंशन की ज्यादा दवाएं खानी पड़ती हैं?
जवाब: नहीं, ऐसा नहीं होता है। अगर ठंड बढ़ने से कोई कॉम्प्लिकेशन नहीं हो रहा है तो सामान्य तौर पर चल रही दवाएं काफी होती हैं। हालांकि, टेम्प्रेचर कम होने पर डॉक्टर ब्लड प्रेशर मैनेज करने के लिए दवाओं के डोज बढ़ा सकते हैं।
सवाल: ब्लड प्रेशर हाई है और दवा नहीं खा रहे हैं तो क्या होगा?
जवाब: अगर ब्लड प्रेशर लगातार हाई बना हुआ है तो दवा न खाने पर निश्चित रूप से गंभीर परिणाम हो सकते हैं। ट्रीटमेंट नहीं लेने पर हाई ब्लड प्रेशर के कारण कई स्वास्थ्य समस्याओं का खतरा बढ़ा सकता है। मसलन हार्ट अटैक हो सकता है, स्ट्रोक हो सकता है या कोई किडनी डिजीज हो सकती है। ब्लड प्रेशर ज्यादा बढ़ने पर हार्ट फेल्योर हो सकता है या हो सकता है कि किसी के आंखों की रोशनी ही चली जाए।
सवाल: क्या बिना दवा खाए ब्लड प्रेशर मैनेज कर सकते हैं?
जवाब: हां, बिल्कुल कर सकते हैं। अगर ब्लड प्रेशर मैनेज करने के लिए दवाएं नहीं ले रहे हैं तो भी इसे मैनेज किया जा सकता है। हालांकि, स्टेज 2 हाइपरटेंशन जैसी स्थिति में डॉक्टर से कंसल्ट जरूर करें।
बिना दवा खाए ब्लड प्रेशर मैनेज करने के लिए करें ये 10 काम:
- सबसे पहले वजन घटाएं। कमर के आसपास की चर्बी कम करें।
- रोज कम-से-कम 30 मिनट एक्सरसाइज करें या जॉगिंग करें।
- हेल्दी डाइट लें। होल ग्रेन्स, सब्जियां और लो फैट डेयरी प्रोडक्ट्स लें।
- खाने में नमक और सोडियम की मात्रा कम करें। प्रोसेस्ड फूड न खाएं।
- शराब का सेवन कम करें या बिल्कुल न करें।
- स्मोकिंग छोड़ दें।
- रोज कम-से-कम 7 घंटे की साउंड स्लीप लें और जल्दी सोएं।
- शरीर और दिमाग का स्ट्रेस मैनेज करें।
- घर पर रेगुलर ब्लड प्रेशर चेक करते रहें।
- अपना कोलेस्ट्रॉल लेवल और ब्लड शुगर कंट्रोल में रखें।
सवाल: ठंड में ब्लड प्रेशर मैनेज करने का सबसे अच्छा तरीका क्या है?
जवाब: अगर हाई ब्लड प्रेशर की समस्या है तो ठंड में एक्सपोज होने से बचें। बहुत सुबह या शाम के समय घर से बाहर न निकलें। जरूरी काम दिन के समय ही पूरे कर लें। कहीं बाहर जाने पर या घर पर हमेशा गर्म कपड़े पहनकर रखें।
सवाल: अगर हाइपरटेंशन है तो खाने में क्या खाना चाहिए और क्या नहीं खाना चाहिए?
जवाब: अगर हाई ब्लड प्रेशर की समस्या है तो ये अवॉइड करें:
- बहुत तला-भुना खाना
- प्रोसेस्ड फूड
- रेड मीट
- बहुत नमक
- कॉफी
- शुगर
- शराब
- सिगरेट
ये खाना-पीना चाहिए:
- मौसमी फल
- ताजी हरी सब्जियां
- साबुत अनाज
- दिन में 8-10 गिलास पानी
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