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- Winter Season Common Diseases Symptoms Explained; Cold Fever | Heart Attack Stomach Ache
45 मिनट पहलेलेखक: संदीप सिंह
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सर्दियों में सीजनल बीमारियों का खतरा कई गुना बढ़ जाता है। इस मौसम में कॉमन कोल्ड, बुखार, पेट दर्द जैसी समस्याएं होना आम है।
दरअसल ठंड बढ़ने और धूप न निकलने के कारण हमारा इम्यून सिस्टम कमजोर हो जाता है। इससे हम जल्दी संक्रामक बीमारियों की चपेट में आ जाते हैं। इसका एक कारण ये भी है कि ठंड में वायरस ज्यादा एक्टिव हो जाते हैं। इसलिए सर्दियों में सेहत का विशेष ध्यान रखना जरूरी है।
तो चलिए आज जरूरत की खबर में बात करेंगे कि बदलते मौसम में किन बीमारियों का खतरा रहता है? साथ ही जानेंगे कि-
- इन मौसमी बीमारियों की पहचान कैसे कर सकते हैं?
- इन बीमारियों से बचने के लिए क्या करना चाहिए?
एक्सपर्ट: डॉ. विक्की चौरसिया, कंसल्टेंट, इंटरनल मेडिसिन, कोकिलाबेन धीरूभाई अंबानी अस्पताल (मुंबई)
बदलते मौसम में इन वजहों से बढ़ता बीमारियों का खतरा
मौसम में बदलाव होने के साथ वायरल और बैक्टीरियल इंफेक्शन का खतरा बढ़ जाता है। जिन लोगों की इम्यूनिटी कमजोर है, उन्हें सीजनल डिजीज का खतरा सबसे ज्यादा होता है। घरों में बंद रहने से वायरस एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में आसानी से फैलता है।
सर्दियों में बढ़ता इन बीमारियों का खतरा
सर्दियों में बीमारियां अधिक आम हैं क्योंकि जब कोई बीमार व्यक्ति खांसता या छींकता है तो बैक्टीरिया ड्राई हवा में आसानी से फैलते हैं। किसी भी बीमारी के लक्षण तुरंत सामने नहीं आते हैं। अक्सर इसमें कुछ दिन या एक सप्ताह तक का समय लग सकता है। साथ ही सर्दियों में पहले से मौजूद कई स्वास्थ्य समस्याएं ट्रिगर कर सकती हैं। नीचे दिए ग्राफिक में देखिए-
आइए, ऊपर ग्राफिक में दी गई बीमारियों के लक्षण, बचाव और ट्रीटमेंट के बारे में विस्तार से बात करते हैं।
कॉमन कोल्ड
कॉमन कोल्ड राइनोवायरस की वजह से होने वाली आम समस्या है, जो सर्दी-जुकाम या बुखार का कारण बन सकती है। इसका बड़ा कारण सर्दियों के समय धूप का कम निकलना है। इससे विटामिन D की कमी हो जाती है और इम्यून सिस्टम कमजोर होने लगता है।
कॉमन कोल्ड के लक्षण
- गले में खराश होना
- नाक से पानी बहना
- बार-बार छींक आना
- हल्का बुखार रहना
- शरीर में दर्द होना
- सिरदर्द
बचाव के लिए क्या करें
- कॉमन कोल्ड से बचने के लिए अपने हाथों को नियमित रूप से धोएं।
- सर्दी-खांसी या बुखार से पीड़ित लोगों के संपर्क में आने से बचेें।
- यह खांसने या छींकने से भी आपको अपनी चपेट में ले सकता है।
इसका उपचार क्या है
आमतौर पर कॉमन कोल्ड का असर 2-3 दिन तक रहता है। इसमें पर्याप्त आराम करने की सलाह दी जाती है। अगर 3 दिन से ज्यादा लक्षण दिखें तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें।
जोड़ों में दर्द
सर्दियों में हाथ व पैरों की ब्लड वेसल्ड सिकुड़ जाती हैं। इससे जोड़ों में दर्द बढ़ सकता है। इसके अलावा सर्दियों में कम एक्सरसाइज करने की वजह से भी मसल्स में दर्द, जकड़न या सूजन बढ़ सकती है। जिन लोगों को पहले से गठिया या आर्थराइटिस की समस्या है, उनके लिए ठंड का मौसम अधिक परेशानी बढ़ा सकता है।
जोड़ों में दर्द के लक्षण
- चलते समय घुटनों में दर्द
- घुटनों में सूजन
- जल्दी थकान होना
बचाव के लिए क्या करें
- इससे बचने का सबसे आम तरीका है खुद को और अपने पैरों को गर्म रखना।
- इसके अलावा नियमित एक्सरसाइज करने से जोड़ों और मसल्स की जकड़न से छुटकारा पाया जा सकता हैं।
इसका उपचार क्या है
गठिया के रोगियों के लिए जोड़ों का दर्द गंभीर हो सकता है। बेहतर होगा कि डॉक्टर से सलाह लें और जांच कराएं।
नोरोवायरस
यह एक संक्रामक वायरस है। इसकी वजह से गैस्ट्रोएंटेराइटिस की समस्या हो सकती है। सर्दियों के मौसम में हवा में नमी होने से वायरस ज्यादा समय तक एक्टिव रहते हैं।
नोरोवायरस के लक्षण
- जी मचलाना
- उल्टी-दस्त
- पेट में ऐंठन
- हल्का बुखार
- ठंड लगना
- सिरदर्द
- मसल्स में दर्द
बचाव के लिए क्या करें
- इस बीमारी से बचने का सबसे अच्छा तरीका इम्यून सिस्टम को मजबूत रखना है।
- इसके अलावा अपने आसपास हाइजीन रखना है।
- अपने हाथों को नियमित रूप से धोएं और आसपास साफ-सफाई बनाए रखें।
इसका उपचार क्या है
यह रोग कुछ ही दिनों में ठीक हो जाता है। हालांकि लक्षण ज्यादा दिनों तक बने रहें या परेशानी बढ़े तो टेस्ट करवाना और ट्रीटमेंट लेना बेहतर है।
निमोनिया
यह बैक्टीरिया, वायरस या फंगस के कारण फेफड़ों में होने वाला इन्फेक्शन है। आमतौर पर निमोनिया काफी गंभीर होता है। यह एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में फैल सकता है। यह बीमारी किसी भी उम्र के व्यक्ति को अपनी चपेट में ले सकती है। आमतौर पर इसके लक्षण कई हफ्तों तक रह सकते हैं, जो धीरे-धीरे सीवियर होते हैं।
निमोनिया के लक्षण
- खांसी
- बुखार
- सीने में दर्द
- सांस लेने में तकलीफ
- थकान
- पसीना आना
- सिरदर्द
- उल्टी
बचाव के लिए क्या करें
- सर्दियों में शरीर को भीतर से गर्म रखने के लिए पौष्टिक आहार लें।
- गर्म कपड़े पहनें। कान, सिर, पैर को ढंककर रखें।
- बाहर बफीर्ली हवा में जाना अवॉइड करें।
- सर्दी–जुकाम, खांसी ज्यादा समय तक रहे तो तुरंत टेस्ट करवाएं।
- ठंडी चीजें न खाएं।
इसका उपचार क्या है
निमोनिया में डॉक्टर एंटीबायोटिक, एंटीवायरल या एंटीफंगल दवाएं देते हैं।
कान में इन्फेक्शन
सर्दी-जुकाम होने से कान में संक्रमण होने का खतरा बढ़ जाता है। बफीर्ली हवा और ठंड में कान का बचाव न करने पर संक्रमण हो सकता है। इसका इलाज किया जाना जरूरी है क्योंकि यह गंभीर रूप भी ले सकता है।
कान में इन्फेक्शन के लक्षण
- कान में दर्द
- चक्कर आना
- कान में टेंडरनेस होना
- सिरदर्द होना
- कान में सूजन
- असामान्य ब्लीडिंग
- कान में खुजली
बचाव के लिए क्या करें
- सर्दियों में कान को हमेशा ढंककर रखें।
- बाहर जाते हुए मफलर या टोपी जरूर पहनें।
- कान में पानी न जाने दें। नहाते हुए विशेष सावधानी बरतें।
- अपने हाथों को साबुन से धोएं। कीटाणुओं से बचें।
इसका उपचार क्या है
कान में इंफेक्शन होने पर तुरंत डॉक्टर को दिखाएं। इसे न इग्नोर करें और न ही कोई घरेलू इलाज करें। समय पर ट्रीटमेंट न मिलने पर यह गंभीर हो सकता है।
थ्रोट (गले में) इन्फेक्शन
सर्दियों में प्रदूषित हवा की वजह से हमारे श्वसन तंत्र पर बुरा असर पड़ता है, जिससे गले में इन्फेक्शन हो सकता है। इसके अलावा ड्राई और ठंडी हवा में वायरस और बैक्टीरिया तेजी से पनपते हैं, जो गले में इन्फेक्शन का कारण बन सकते हैं।
थ्रोट इन्फेक्शन के लक्षण
- गले में दर्द और जलन
- गले में सूजन
- आवाज बदलना
- कुछ भी निगलने में परेशानी
- सांस लेने में परेशानी
बचाव के लिए क्या करें
- गले के इन्फेक्शन से बचाव के लिए खुद को हाइड्रेटेड रखें।
- गले को साफ रखने के लिए गुनगुने नमक वाले पानी का गरारा करें।
- अपनी डाइट में विटामिन C और एंटीऑक्सीडेंट से भरपूर फल–सब्जियां शामिल करें।
इसका उपचार क्या है
गले में इंफेक्शन के लिए एंटीबायोटिक दवाइयां लेनी पड़ सकती हैं। समस्या होने पर तुरंत किसी ENT डॉक्टर को दिखाएं।
हार्ट अटैक
ठंड के मौसम में धमनियां सिकुड़ जाती हैं। इससे ब्लड फ्लो धीमा हो जाता है। इस मौसम में हार्ट को पूरे शरीर में ऑक्सीजन पंप करने के लिए दोगुनी मेहनत करनी पड़ती है।
पब्लिक लाइब्रेरी ऑफ साइंस जर्नल में पब्लिश एक स्टडी के मुताबिक जिन्हें पहले से कोई हार्ट डिजीज है, उनमें ठंड के मौसम में हार्ट अटैक का खतरा 31% तक बढ़ जाता है।
हार्ट अटैक के लक्षण
- सांस लेने में परेशानी
- छाती में तेज दर्द
- बेहोशी
- दिल की धड़कन रुकना
- पसीना या चक्कर आना
बचाव के लिए क्या करें
- नियमित एक्सरसाइज करें और हेल्दी डाइट लें।
- अगर पहले से हार्ट से जुड़ी समस्या है तो ठंड में हैवी वर्क न करें। शरीर को आराम दें।
- स्मोकिंग न करें और शराब से दूर रहें।
इसका उपचार क्या है
हार्ट अटैक आने पर तुरंत डॉक्टर के पास पहुंचना जरूरी है, वरना यह जानलेवा भी हो सकता है। इसके लिए जरूरी है कि परिवार के सभी सदस्यों को इसके लक्षणों के बारे में पता हो और वे हमेशा सजग रहें।
इसके अलावा नीचे ग्राफिक में देखिए कि सर्दियों के मौसम में शरीर को स्वस्थ रखने के लिए आमतौर पर कौन सी सावधानियां बरतनी चाहिए और किन बातों का ख्याल रखना चाहिए।
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